ऐश्ली कुटिन्हो और सचिन मामबटा / मुंबई July 08, 2019
अमीरों के बीच विपणन वाले जटिल निवेश फंडों को अब ज्यादा कर चुकाना होगा। विशेषज्ञों ने कहा कि इस साल के बजट में शामिल नए नियम 1 अप्रैल से प्रभावी होंगे, लेकिन यह अस्पष्ट है कि उच्च कर का भार उन निवेशकों के मामले में कौन उठाएगा जो बजट की घोषणा से पहले अपना निवेश निकाल चुके हैं।
इस साल पेश आम बजट में एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स के लिए अधिभार में बढ़ोतरी का जिक्र है। कई वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) की संरचना एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स की तरह है, जिसका मतलब यह हुआ कि उन्हें भी ज्यादा कर चुकाना होगा। ऐसी ही संरचना वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर पडऩे वाले असर के चलते एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स आज 792.82 अंक टूट गया। बेंचमार्क सूचकांक सोमवार को 2.01 फीसदी टूटकर 38,720.57 अंक पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों की तरह एआईएफ की तीसरी श्रेणी पर भी यह लागू हो सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की आय पर कर की दर मौजूदा 35.8 फीसदी से बढ़कर 42.7 फीसदी हो जाएगी।
ईवाई के पार्टनर सुब्रमण्यम कृष्णन ने कहा, अधिभार में बढ़ोतरी से निवेशकों के शुद्ध रिटर्न पर असर पड़ेगा क्योंकि फंड का एनएवी उच्च कर के चलते प्रभावित होगा। लंबी व अल्पावधि वाले फंड निवेशकों के बीच अपना आकर्षण खो सकते हैं क्योंकि निवेशकों के लिए सवाल यह है कि क्या उन्हें अन्य निवेश योजनाओं में बेहतरी मिलेगी जो इसके समान या बेहतर रिटर्न देते हैं।
एवेंडस कैपिटल मार्केट्स के उप-मुख्य कार्याधिकारी वैभव सांघवी ने तीसरी श्रेणी के वैकल्पिक निवेश फंड का संचालन करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे फंड पहले से ही कर के लिहाज से अलाभ की स्थिति में हैं और यह निवेशकों के रिटर्न के लिहाज से और प्रभाव डालेगा।
उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि भारत सरकार इसके निहितार्थ पर विचार करेगी और इसका समाधान निकालेगी। कर विशेषज्ञों ने कहा कि ये नियम एक अप्रैल से प्रभावी होंगे। इसका मतलब यह हुआ कि उस तारीख के बाद और बजट घोषणा से पहले इससे निवेश निकासी करने वाले निवेशकों के कर पर संदेह के बादल हैं।
डेलॉयट हस्किंस ऐंड सेल्स के पार्टनर राजेश एच गांधी ने कहा, यह उन निवेशकों पर सवालिया निशान लगा सकता है जो वित्त वर्ष शुरू होने के बाद और बजट घोषणा से पहले निवेश निकाल चुके हैं। ऐसे निवेशकों से अतिरिक्त ककर की वसूली चुनौतीपूर्ण होगी। उन्होंने कहा, अगर निवेशक पहले सही निकल चुके हैं तो वे इसकी रिकवरी आसानी से नहीं कर सकते। वैकल्पिक निवेश फंड तीसरी श्रेणी में मार्च 2019 तक 30,801.8 करोड़ रुपये का निवेश था। यह मार्च 2015 के 1,528 करोड़ रुपये के मुकाबले 20 गुने से ज्यादा है।
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