वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गत शुक्रवार को जो केंद्रीय बजट पेश किया, उसके बारे मे कहा गया कि उसके केंद्र में ग्रामीण भारत था। उन्होंने 2019-20 के अपने बजट भाषण में कहा 'हम जो कुछ करते हैं, उसके केंद्र में हम गांव, गरीब और किसान को रखते हैं।' उन्होंने स्पष्टï किया कि उनकी चिंता के केंद्र में इंडिया नहीं बल्कि भारत है जो ग्रामीणों, किसानों और गरीबों से बना है। क्या उनके बजट के आंकड़े ग्रामीण भारत के लिए बनी योजनाओं का वित्तीय आवंटन बढ़ाकर उस चिंता को दूर करने का प्रयास करते दिखते हैं?
ग्रामीण विकास का उदाहरण लें तो यह किसानों, गांवों और गरीबों की चिंता का विषय है। परंतु 2019-20 के बजट में इस क्षेत्र के आवंटन में महज 4 फीसदी की बढ़ोतरी कर इसे 1.41 लाख करोड़ रुपये किया गया है। यह इस वर्ष बजट व्यय में हुए कुल 13 फीसदी के इजाफे की तुलना में बहुत कम है। ग्रामीण विकास के अधीन भी सबसे बड़ा व्यय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम में होता है लेकिन इस वर्ष इस मद में केवल 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जो एक वर्ष पहले के 61,084 करोड़ रुपये से कम है।
नवगठित जलशक्ति मंत्रालय के बारे में वित्त मंत्री के भाषण के दो बड़े पैराग्राफ थे। इस मंत्रालय में जल संसाधन, नदी विकास, गंगा पुनर्जीवन, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय आदि विभाग शामिल हैं। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में बताया कि कैसे पाइप से जलापूर्ति सरकार का लक्ष्य है और वह जल संसाधनों के संरक्षण और गंगा के पुनर्जीवन के लिए काम करेगी। परंतु नवगठित मंत्रालय के बजट में चालू वर्ष के लिए 28,262 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई जो वर्ष 2018-19 में इस मद में किए गए व्यय से केवल 2 फीसदी अधिक है। अगर जल शक्ति इतना बड़ा मिशन था तो इसके लिए और अधिक संसाधन क्यों नहीं आवंटित किया गया?
कृषि और संबद्घ गतिविधियों में यह रुझान बदला हुआ प्रतीत होता है। वर्ष 2019-20 में इस क्षेत्र के लिए वित्तीय आवंटन 75 फीसदी बढ़ाकर 1.5 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया है। परंतु यह बढ़ोतरी मोटे तौर पर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) और किसानों की पेंशन योजना में बढ़ाई गई है। वर्ष के लिए 64,916 करोड़ रुपये में से 55,000 करोड़ रुपये की राशि पीएम किसान योजना में और 900 करोड़ रुपये की राशि किसानों की पेंशन के लिए है। दूसरे शब्दों में कहें तो अन्य कृषि योजनाओं और परियोजनाओं के लिए केवल 9,000 करोड़ रुपये की राशि बढ़ाई गई। इसमें बहुप्रतीक्षित शोध परियोजनाएं भी शामिल हैं।
इससे सरकार की यह मान्यता सामने आती है कि किसानों की जरूरत मोटे तौर पर आय हस्तांतरण और पेंशन योजना से पूरी हो जाएगी। गत वर्ष सरकार ने पीएम किसान योजना पर 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इस वर्ष यह बढ़कर 75,000 करोड़ रुपये हो जाएगी। यहां प्रावधान में कमी नजर आती है। सरकार ने पीएम-किसान योजना का विस्तार कर सभी किसानों को उसमें शामिल करने का निर्णय किया है। ऐसे में इस मद में 87,000 करोड़ रुपये का प्रावधान होना था। क्या किसान पेंशन योजना में केवल 900 करोड़ रुपये की राशि पर्याप्त होगी?
ध्यान रहे कि बजट भाषण में ग्रामीण भारत पर ध्यान केंद्रित करना एक राजनीतिक कदम है जिसे बेहद सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। मोदी सरकार शहरी या अमीर वर्ग के बजाय ग्रामीण भारत के हित में काम करती हुई दिखना चाहती है। बहरहाल, ग्रामीण विकास या जल संसाधन के लिए किया गया मामूली आवंटन बजट में उल्लिखित प्रतिबद्घता का समर्थन नहीं करते। मोदी सरकार की भारत समर्थक छवि को मजबूत करने में अमीरों पर कर में इजाफे और घरेलू उद्योग के संरक्षण के लिए टैरिफ बढ़ाने जैसी बातें अधिक अहम हैं।
यही बात इस बजट को अलग बनाती है। यह चतुराईपूर्वक तैयार किया गया दस्तावेज है जो बजट समर्थक नीतिगत पैकेज के बीच देश की अर्थव्यवस्था को विदेशी पूंजी के लिए और अधिक खोलता है और निजीकरण तथा रेलवे आदि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने जैसे सुधारों की जमीन तैयार करता है।
बजट पर होने वाली चर्चा जहां भारत से जुड़ी प्रतिबद्घताओं पर केंद्रित है वहीं वित्तीय आवंटन में बिना समुचित इजाफे के, अमीरों पर कर बढ़ा कर और तीन दर्जन से अधिक वस्तुओं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी करके घरेलू उद्योग के लिए समान माहौल तैयार करने की कोशिश के साथ बजट में कई नई पहल की गई हैं। इनमें बाहरी बाजारों से उधार लेना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के मानक शिथिल करना तथा सरकारी उपक्रमों में सरकार की शेयर हिस्सेदारी को 51 फीसदी से कम करना शामिल हैं।
इस बजट को भारत समर्थक बजट के रूप में प्रस्तुत करना भाजपानीत केंद्र सरकार का एक राजनीतिक कदम है। हकीकत इससे अलग है। यह ऐसा बजट है जो नए क्षेत्रों में विदेशी पूंजी का प्रवेश, निजीकरण और नए सहज श्रम कानून आदि की राह आसान करता है। बजट को भारत समर्थक दिखाने का मुल्लमा जानबूझ कर पहनाया गया है ताकि आर्थिक खुलेपन को नकारने की किसी भी तरह की राजनीतिक कोशिश को रोका जा सके।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.