एयर इंडिया के विनिवेश में तेजी | अरूप रायचौधरी / नई दिल्ली July 08, 2019 | | | | |
►संभावित बोलीदाता के तौर पर टाटा से बातचीत कर सकती है सरकार
►अभिरुचि पत्र आमंत्रित करने के साथ ही बातचीत की प्रक्रिया भी चलेगी
► एयर इंडिया पर जल्द ही पुनर्गठित होगा मंत्रिसमूह
आम बजट में इस साल एयर इंडिया को विनिवेश के केंद्र में रखे जाने से इस राष्टï्रीय विमानन कंपनी के निजीकरण की प्रक्रिया में फिर से तेजी लाई जा रही है। सरकार अक्टूबर तक इसकी बिक्री प्रक्रिया पूरी करने की उम्मीद कर रही है। बीते समय में विनिवेश प्रक्रिया सफल नहीं रहने से सबक लेते हुए सरकार इस बार कोई कसर बाकी रखना नहीं चाहती। सरकार ने संभावित बोलीदाताओं के नाम छांटे हैं, जिनमें टाटा समूह का नाम शीर्ष पर है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्द ही एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने के लिए टाटा समूह के साथ बातचीत शुरू कर सकती है। प्रस्तावित बातचीत अभिरुचि पत्र जारी करने की औपचारिक प्रक्रिया के साथ चलेगी। अभिरुचि पत्र इस माह कभी भी जारी किया जा सकता है। एक सूत्र ने बताया, 'वित्त मंत्री ने बजट में इसकी प्रतिबद्घता जताई है, ऐसे में हम अनौपचारिक तौर पर संभावित बोलीदाताओं से संपर्क साधना शुरू करेंगे।' समझा जाता है कि बड़े कॉरपोरेट में टाटा समूह से इस बार संपर्क किया जाएगा। उक्त शख्स ने बताया, 'टाटा विमानन क्षेत्र से जुड़ा रहा है और इस क्षेत्र में किस तरह से परिचालन होता है, उसकी जानकारी भी है।'
सीतारमण ने बजट भाषण में शुक्रवार को कहा था, 'वर्तमान वृहद आर्थिक मानदंड को ध्यान में रखते हुए सरकार न केवल एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया दोबारा शुरू करेगी बल्कि कई सीपीएसई की भी पेशकश की जाएगी।' पहले भी खबर प्रकाशित की जा चुकी है कि सरकार एयर इंडिया स्पेसिफाइड अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (एआईएसएएम) का पुनर्गठन जल्द करेगी, जिसके तहत नया अभिरुचि पत्र जारी किया जाएगा। एआईएसएएम एयर इंडिया के विनिवेश प्रक्रिया के हर कदम को मंजूरी देगा और एकबारगी अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल द्वारा किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में एआईएसएएम में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वाणिज्य एवं विमानन मंत्री सुरेश प्रभु और रेल मंत्री पीयूष गोयल शामिल थे। अब जेटली और प्रभु मोदी मंत्रिमंडल में नहीं है, इसलिए एआईएसएएम का जल्द ही पुनर्गठन किया जाएगा और इसमें सीतारमण तथा नागरिक उड्डïयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को शामिल किया जाएगा।सरकार राष्ट्रीय विमानन कंपनी की बिक्री के नियम और शर्तों को उदार बनाने की योजना बना रही है। इन बदलावों से संभावित खरीदार विमानन कंपनी के अधिग्रहण के तत्काल बाद हिस्सेदारी बेच सकते हैं।
संशोधित नियम में खरीदार के मौजूदा कारोबार के साथ एयर इंडिया के विलय या इसमें किसी इकाई के विलय करने की भी अनुमति होगी। एयर इंडिया की करीब 95 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री की जा सकती है जबकि शेष 5 फीसदी ईसॉप्स के लिए रहेगा। यह पहला मौका होगा जब सरकार रणनीतिक विनिवेश के लिए नियमों में ढील देगी। नियमों में ढील देने का प्रस्ताव लेनदेन सलाहकार ईवाई ने दिया था। इसके साथ ही केंद्र सरकार अब भी विमानन कंपनी की बिक्री से पहले इसकी सहायक इकाइयों को बेचने के विकल्प तलाश रही है। कंपनी पर करीब 27,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। पिछले साल नीलामी के दौरान सरकार ने 24 फीसदी हिस्सेदारी अपने पास रखने का निर्णय किया था, लेकिन खरीदारों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसकी वजह से सरकार को बिक्री प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी थी।
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