उभरते बाजारों में वृद्घि की रफ्तार काफी मजबूत | बीएस बातचीत | | पुनीत वाधवा / July 07, 2019 | | | | |
उन वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए पहली छमाही अच्छी रही जिन्होंने कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और अमेरिका तथा चीन के बीच तेजी से बढ़ रहे व्यापारिक टकराव का सफलतापूर्वक सामना किया। वहीं घरेलू बाजार में आम चुनाव की वजह से राजनीतिक अनिश्चितता से निवेशक दूरी बनाए रहे। ईपीएफआर ग्लोबल में शोध निदेशक केमरॉन ब्रांट ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में बताया कि उभरते बाजारों (ईएम) में, रूस, दक्षिण कोरिया और चीन पर केंद्रित फंडों ने भारी रिडम्पशन पर जोर दिया जबकि सऊदी अरब, भारत और ब्राजील के इक्विटी फंडों ने नई पूंजी आकर्षित की। बातचीत के मुख्य अंश:
चालू वर्ष 2019 में अब तक फंड प्रवाह को लेकर आपका क्या आकलन है? कौन से क्षेत्रों ने पूंजी प्रवाह आकर्षित किया और किन क्षेत्रों में बिकवाली दर्ज की गई?
वैश्विक इक्विटी बाजारों के लिए वर्ष खासकर एक दिशा (तेजी) में केंद्रित रहा, जबकि प्रमुख बाजारों का वृहद आर्थिक आंकड़ा काफी हद तक मिश्रित बना हुआ है। म्युचुअल फंड निवेशकों ने अब तक आंकड़ों पर ज्यादा ध्यान दिया है, जिससे पता चलता है कि यूरोप और चीन में जीडीपी वृद्घि अपनी रफ्तार खो रही है। सबसे ज्यादा दबाव यूरोप पर दिखा है और वहां पिछले 70 में से 67 सप्ताहों में इक्विटी फंडों ने निकासी दर्ज की, क्योंकि निवेशकों में ब्रेक्सिट, कमजोर वृद्घि से अनिश्चितता पैदा हुई। उभरते बाजारों में, रूस, कोरिया और चीन के प्रति केंद्रित फंडों ने भारी निकासी दर्ज की, जबकि सऊदी अरब, भारत और ब्राजील के इक्विटी फंडों ने नई पूंजी आकर्षित की।
क्या आप मान रहे हैं कि ईएम के लिए प्रवाह वर्ष 2019 के अंत तक विकसित बाजारों (डीएम) को मात देगा?
हां, प्रमुख केंद्रीय बैंक नरमी बरत रहे हैं जिससे ईएम पर कर्ज बोझ को लेकर आशंका घटी हैं। विकास की कहानियां ईएम में ज्यादा मजबूत हैं। 2018 में तेजी से बढ़ी 40 कंपनियों में आयरलैंड एक प्रमुख विकसित बाजार था। ईएम का सुधार से संबंधित सफलताओं में भी एकाधिकार है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर वृद्घि पर आपका क्या नजरिया है? क्या अमेरिका 2020 में मंदी की चपेट में आ सकता है? क्या बाजारों पर इसका असर दिख रहा है?
अमेरिकी फेडरल का कहना है कि सुधार को बरकरार रखना एक प्रमुख नीतिगत लक्ष्य है और छोटे व्यवसायों की उम्मीद अभी भी मजबूत बनी हुई है। अर्थव्यवस्था में अच्छी तेजी है। इसलिए मेरा मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अगले 18 महीनों के दौरान मंदी की चपेट में आने की आशंका नहीं है। हालांकि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में लहर पक्ष में रहने से हालात में बदलाव आ सकता है।
क्या पिछले कुछ महीनों के दौरान भारतीय इक्विटी में प्रवाह के स्वरूप में बारे में आप कुछ कहना चाहेंगे? क्या निवेशक इससे जुड़े हुए हैं?
मेरा मानना है कि निवेशक इक्विटी बाजारों से जुड़े हुए हैं। सुधार की काहनी वैश्विक व्यापार के संदर्भ में अपेक्षाकृत कमतर है और शानदार जनसांख्यिकी प्रोफाइल मौजूदा हालात में भारत के लिए अच्छा है। पूंजी प्रवाह कुछ समय से सकारात्मक बना हुआ है।
क्षेत्रों के संदर्भ में, भारतीय संदर्भ में निवेशक किन पर दांव लगा रहे हैं?
वर्ष 2018 के शुरू से ही क्षेत्र पर केंद्रित फंड प्रबंधकों ने आईटी क्षेत्र से वित्तीय, दूरसंचार और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी दांव पर जोर दिया है।
भारत को लेकर विदेशी निवेशकों की मुख्य चिंताएं क्या हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए जरूरी राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण निर्णय लेने के बजाय अपनी स्थिति प्रबल बनाने के लिए अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल किया है, जो विदेशी निवेशकों के लिए एक प्रमुख चिंता है। सब्सिडी को तर्कसंगत बनाए रखने के लिए उनकी प्रतिबद्घता, खासकर ऊर्जा और ज्यादा क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोलने के साथ साथ आरबीआई की स्वायत्तता के प्रति सम्मान जताने की उनकी भावना निवेशकों के लिए प्रमुख मापदंड होगी।
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी चिंता का विषय है?
आर्थिक आंकड़ा नाजुक है। प्रमुख आंकड़े में भी मुख्य रूप से चुनाव-पूर्व खर्च शामिल है और इसमें पर्याप्त घरेलू पूंजीगत खर्च, खासकर निजी व्यवसायों से खर्च को शामिल नहीं किया गया है।
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