वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिक्ष विभाग का बजट आवंटन 12,473 करोड़ रुपये है जो पिछले साल के 11,200 करोड़ रुपये संशोधित अनुमान से करीब 11 प्रतिशत अधिक है। गगनयान सहित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में परिव्यय साल 2019-20 के लिए 8,408 करोड़ रुपये रखा गया है जो वर्ष 2018-19 के 6,993 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 20 प्रतिशत अधिक है। इस वित्त वर्ष में 3 भू-निगरानी अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण के लिए तैयार हैं। इस दौरान 4 पीएसएलवी प्रक्षेपण के साथ साथ 3 जीएसएलवी मार्क-3 भी अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे। इस साल के लिए उम्मीद है कि भू-अवलोकन सेवाओं की क्षमता विस्तार के लिए अंतरिक्ष में स्थित ढांचे को बढ़ाया जाएगा जिसके लिए 13 स्पेक्ट्रल बैंड के साथ ओशियन कलर मॉनिटर, सी-बैंड में माइक्रोवेव इमेजिंग का लगातार प्रयोग और समुद्री सतह तापमान सेंसर के उपयोग को तरजीह दी जाएगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) वित्त वर्ष 2019-20 में पीएसएलवी की सहायता से चार स्वदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण के साथ जीएसएलवी मार्क-3 से तीन ऑपरेशनल लॉन्च और जीएसएलवी के द्वारा एक स्वदेशी प्रक्षेपण करेगा। इसरो इस माह पूरी तरह स्वदेशी चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण करेगा। अंतरिक्ष परियोजनाओं के लिए इस वित्त वर्ष में 1,885 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो साल 2018-19 के दौरान 1,540 करोड़ रुपये था। इनसैट उपग्रह प्रणाली के लिए 884 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। साल 2018-19 के लिए इनसैट प्रणाली का संशोधित अनुमान बढ़कर 1,330 करोड़ रुपये रहा जबकि संबंधित वर्ष में बजट आवंटन 412 करोड़ रुपये था। 1,885 करोड़ रुपये के बजट आवंटन वाली अंतरिक्ष परियोजनाओं में नौ भू-निगरानी या संचार पेलोड, प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं संबंधित जानकारियों के लिए तंत्र, विभिन्न राष्ट्रीय मिशन के लिए 9,500 मैप तैयार करना और बिक्री अथवा मुफ्त डाउनलोड के माध्यम से 4,50,000 मूल्य वर्धित डेटा उत्पादों को प्रसारित करना शामिल है। इनसैट उपग्रह कार्यक्रम के तहत तीन संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण की संभावना है जिससे इनसैट और जीसैट द्वारा दी जा रही हालिया सेवाओं को बेहतर बनाया जा सके। न्यू स्पेस इंडिया का गठनअंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय उद्योगों की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए केंद्र सरकार भी उद्योगों को आकर्षित करने के लिए कई पहल कर रही है। इस कड़ी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में अंतरिक्ष विभाग के लिए नई वाणिज्यिक इकाई, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के गठन की घोषणा की है।अपने बजट भाषण में सीतारमण ने कहा कि बेहतर तकनीक के साथ साथ वैश्विक स्तर पर उपग्रह तथा दूसरे अंतरिक्ष उत्पादों को कम कीमत पर प्रक्षेपण करने की क्षमता के चलते भारत अंतरिक्ष क्षेत्र की बड़ी शक्ति बनकर उभरा है। उन्होंने कहा, 'इस क्षमता को व्यवसायिक स्तर पर उपयोग करने का समय आ गया है।' सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के तौर पर बनने वाली न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को अंतरिक्ष विभाग की नई वाणिज्यिक इकाई के तौर पर स्थापित किया जाएगा जिससे इसरो द्वारा किए जाने वाले शोध और विकास कार्यों का लाभ लिया जा सके। उन्होंने कहा, 'यह कंपनी प्रक्षेपण वाहनों के उत्पादन, प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण और अंतरिक्ष उत्पादों के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देगी।' केंद्र सरकार ने ऐसे समय में यह पहल की है जब इसरो अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों को बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसमें स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) और कई दूसरे प्रक्षेपण यान को लाया जा रहा है जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र की संभावनाओं को खंगालने के लिए इस क्षेत्र में कदम रख रही नई कंपनियों के साथ अपनी क्षमता को भुनाया जा सके। इसरो अंतरिक्ष तकनीक की बड़ी परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और प्रक्षेपण यान बनाने के लिए निजी फर्म की भागीदारी पर विचार किया जा रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अंतरिक्ष तथा उपग्रह प्रौद्योगिकी के व्यवसायीकरण और अंतरिक्ष व्हीकलों तथा उपग्रह निर्माण के निजीकरण के लिए एनएसआईएल महत्त्वपूर्ण समन्वयक होगा।
