बजट में एनबीएफसी को नहीं मिली ज्यादा राहत | अनूप रॉय और अभिजित लेले / मुंबई July 07, 2019 | | | | |
बजट में भले ही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की मदद के लिए कई उपाय किए गए हैं, लेकिन इस क्षेत्र की कंपनियों को इन घोषणाओं में बहुत ज्यादा दम नहीं दिख रहा है। इन कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि बजट में किए गए उपाय देर से किए गए हैं और इस क्षेत्र के लिए नकदी की जरूरत पूरी करने के लिहाज से सक्षम नहीं हैं।
बजट में इस क्षेत्र के लिए पांच प्रमुख घोषणाएं की गई हैं। मुख्य उपाय मजबूत एनबीएफसी के लिए अच्छी रेटिंग वाली 1 लाख करोड़ रुपये तक की परिसंपत्तियों के लिए ऋण गारंटी है। 10 प्रतिशत के पहले नुकसान को पहले 6 महीनों के लिए शामिल किया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 1.34 लाख करोड़ रुपये की नकदी सहायता की पेशकश की है जिसका इस्तेमाल बैंकों द्वारा एनबीएफसी सेगमेंट को उधारी में किया जा सकेगा। इसके अलावा, बजट में गैर-परिवर्तनीय डिबेंंचर के सार्वजनिक निर्गम के लिए डिबेंचर रिडम्पशन रिजर्व (डीआरआर) को समाप्त किया गया है। एनबीएफसी को कर राहत भी दी गई है। गैर-निष्पादित ऋणों पर कर की गणना वसूली आधार पर की जाएगी, और प्राप्प्त ब्याज भुगतान के स्रोत पर कर नहीं काटा जाएगा।
बजट में शहरी आवासों के लिए प्रधानमंत्री निवास योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजटीय आवंटन भी किया गया है और साथ ही अन्य आवासीय योजनाओंं पर खास ध्यान दिया गया है। बजट में ज्यादा तादाद में एनबीएफसी को बिल डिस्काउंटिंग प्लेटफॉर्म ट्रेड्स से जुडऩे की अनुमति दी गई है, एमएसएमई के लिए कोष संबंधित समस्या के समाधान पर जोर दिया गया है जबकि इससे विदेशी संस्थागत निवेशकों को अपना निवेश खास लॉकइन अवधि में किसी घरेलू निवेशक के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंडों में स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई है।
अधिकारियों का कहना है कि हालांकि इनमें से किसी भी उपाय से एनबीएफसी के लिए व्यवस्था में तरलता में सुधार नहीं आएगा। एक बड़ी एनबीएफसी के वरिष्ठï अधिकारी के अनुसार बजट में घोषित नकदी संबंधित उपायों से कम रेटिंग वाली एनबीएफसी को बड़ी मदद नहीं मिलेगी। एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने के अनुरोध के साथ कहा, 'हमारी अच्छी परिसंपत्तियों के लिए हमेशा से खरीदार मौजूद रहे हैं। किसी सरकारी सहायता के बगैर भी बैंक इसके लिए तैयार हैं।'
अधिकारी ने कहा, 'इस उपाय से व्यवस्था में कुछ भरोसा पैदा होगा, बशर्ते कि इसे सितंबर या अक्टूबर मे अमल में लाया जाता। लेकिन इसमें देर हो चुकी है और दबाव की वजह से रेटिंग में कमी से जूझ रहीं एनबीएफसी तथा एचएफसी इसका लाभ नहीं उठा सकतीं। वहीं अच्छी रेटिंग वाली कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए बॉन्ड बाजार की ओर रुख कर सकती हैं। लेकिन कम रेटिंग वाली कंपनियों के लिए बॉन्ड बाजार उपलब्ध्ध नहीं है।'
वित्तीय कंपनियों के लॉबीइंग समूह फाइनैंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (एफआईडीसी) के अनुसार बजट में किए गए उपायों से नकदी संबंधित समस्या पूरी तरह दूर नहीं हो सकेगी। एफआईडीसी के चेयरमैन रमन अग्रवाल ने कहा, 'लेकिन तथ्य यह है कि भारत सरकार को एनबीएफसी परिसंपत्तियों पर फस्र्ट लॉस गारंटी मुहैया करानी चाहिए जिससे क्षेत्र में सरकार के भरोसे का पता चलता है।'
हालांकि बैंकरों का यह मानना है कि एनबीएफसी की समस्याओं को आंतरिक तौर पर सुलझाने की जरूरत होगी, और सरकार या आरबीआई को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना होगा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, 'ये अच्छे कदम हैं। आरबीआई तरलता और बाजार में विश्वास बढ़ाने पर जोर दे रहा है, वहीं सरकार ऊंची रेटिंग वाली परिसंपत्तियों की खरीदारी पर ध्यान देगी। व्यक्तिगत तौर पर, ऋणदाता और संबद्घ इकाई को समाधान पर जोर देना होगा।'
एसबीआई एनबीएफसी की परिसंपत्तियों की प्रमुख खरीदार है और उसने इस उद्देश्य के लिए पिछले वित्त वर्ष में 45,000 करोड़ ररुपये निर्धारित किए थे। हालांकि बैंक द्वारा यह लक्ष्य हासिल नहींं किया जा सका। कुमार ने कहा, 'पिछले साल हम यह लक्ष्य पूरा नहीं कर सके। हमें उपलब्धता और उन शर्र्तों पर विचार करना होगा जिससे इस योजना को मदद मिलेगी। बैंक इस पर ध्यान दे सकते हैं कि संबंधित विवरण आने के बाद उन्हें कितनी और क्या खरीदारी करनी है। हमार जोर आवास जैसे क्षेत्र पर रहेगा।'
मुथूट फाइनैंस के प्रबंध निदेशक जॉर्ज अलेक्जेंडर मुथूट ने किफायती आवास पर सरकार की उस पहल का स्वागत किया है जिसमें 45 लाख रुपये तक के मकानों पर लिए गए ऋणोंं पर ब्याज छूट 1.5 लाख रुपये तक बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये की गई है। मुथूट ने कहा, 'सरकार के 'सभी के लिए आवास' लक्ष्य में तेजी लाने के प्रयास में डेवलपरोंं को कर छूट देने से किफायती आवास क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।'
हालांकि एनबीएफसी उद्योग के अन्य जानकारों का कहना है कि जब तक तरलता की स्थिति में सुधार नहींं आता, तब तक आवास वित्त कंपनियां आवास क्षेत्र को ऋण नहीं दे सकतीं। बैंकों द्वारा पीएमएवाई के तहत सभी लाभार्थियों को लाभ नहीं दिए जाने की संभावना है। इसलिए यह जरूरी है कि एनबीएफसी में नकदी को प्राथमिकता दी जाए।
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