दिलाशा सेठ और इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली July 07, 2019
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि एक बैंक खाते से साल में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी पर स्रोत पर कर (टीडीएस) इसलिए लगाया गया है क्योंकि कुछ सूचनाएं मिल रही थीं कि इस तरीके से कुल निकासी कुछ लाख करोड़ रुपये है। मंत्रालय ने कहा है कि इससे सही व्यक्ति को डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उसे तिमाही अग्रिम भुगतान के समय टीडीएस की वापसी हो जाएगी। इस योजना से सिर्फ काला धन रखने वालों या कर चोरों पर लगाम लगेगी।
बहरहाल विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना में कई खामियां हैं, जो 1 सितंबर से लागू होने वाली है। कोई भी व्यक्ति इस तरह के टीडीएस की कटौती से बचने के लिए कई खातों का इस्तेमाल कर सकता है और उन खातों से निकासी कर सकता है।
राजस्व सचिव एबी पांडेय ने कहा, 'हमने पाया है कि बैंकों से कुछ लाख करोड़ रुपये की निकासी ऐसी हो रही है, जहां लोगों ने एक ही खाते से एक करोड़ रुपये से ज्यादा निकाले हैं। लोगों को ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके पीछे विचार यह है कि लोग एक बैंक खाते से एक करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी न करें।'
उन्होंने कहा कि ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें बड़ी मात्रा में नकदी निकासी पर सही पैन नंबर नहीं दिखाया गया है। पांडेय ने कहा, 'अगर कोई सही व्यक्ति 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी उचित वजहों से करता है तो वह टीडीएस का भुगतान करेगा और उसके बाद वह संबंधित तिमाही में अग्रिम कर भुगतान के समय उसकी वापसी का दावा करेगा। अगर यह उचित मामला नहीं होगा और उसमें गलत पैन नंबर दिकाया गया है तो उन्हें 2 प्रतिशत कर का भुगतान करना पड़ेगा, और वह व्यक्ति क्रेडिट का दावा नहीं कर सकेगा। इससे पहचान करने में मदद मिलेगी।'
बजट में आयकर अधिनियम में नई धारा 194 एन जोडऩे का प्रस्ताव किया गया है, जिससे इस टीडीएस को लगाया जा सके। कर विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही टीडीएल लागू करने व बाद में इसे वापस करने से कर विभाग को सूचनाएं हासिल करने में मदद मिले, लेकिन अगर किसी का सही इरादा नहीं होगा तो वह व्यक्ति कई खातों से इस तरह की निकासी करेगा और वह कर विभाग की नजर से बचने में सफल हो जाएगा व उसे टीडीएस भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
इस प्रस्ताव की खामियों का उल्लेख करते हुए शार्दूल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर अमित सिंघानिया ने कहा, 'इस संशोधन के ब्योरे से लगता है कि एक करदाता के प्रति बैंक से निकासी की सीमा 1 करोड़ रुपये सालाना तय की गई है। इसके बाद की निकासी पर टीडीएस का भुगतान करना पड़ेगा।'
नांगिया एडवाइजर्स एलएलपी में मैनेजिंग पार्टनर राकेश नांगिया ने कहा कि इस नियम के तहत एक बैंक के एक खाते से एक करोड़ रुपये निकालने की सीमा तय की गई है, ऐसे में टीडीएस के दायरे से बचने के लिए विभिन्न बैंकों से नकदी निकासी की जा सकती है और हर बैंक में एक करोड़ रुपये से कम निकासी सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने कहा, 'चूंकि करदाता कर के क्रेडिट का दावा कर सकता है, जिसे बैंक ने काटा है, ऐसे मे यह सिर्फ नकदी के प्रवाह का मसला है। सरकार को कोई वास्तविक कर नहीं मिलेगा क्योंकि करदाता इस टीडीएस की वापसी का दावा करेगा। बहरहाल रिपोर्टिंग की जरूरतो के कारण सरकार को सूचनाएं मिलेंगी और उसकी तरफ से जांच के विकल्प खुलेंगे। यह एक गतिरोध का काम करेगा।'
इस प्रावधान में कुछ प्राप्तियों के भुगतान को छूट मिली हुई है, जिसमें सरकार, बैंकिंग कंपनी, कोऑपरेटिव सोसाइटी और ह्वाइट लेवल एटीएम ऑपरेटर शामिल हैं। इसके अलावा सरकार को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक से सलाह के बाद अन्य लोगों को भी अधिसूचना के माध्यम से छूट दे सकती है।
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