आर्थिक विकास के लिए निर्यात में बढ़ोतरी पर रहेगा ध्यान | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली July 04, 2019 | | | | |
आज पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि निवेश से संचालित विकास के मॉडल में निवेश में भारी भरकम बढ़ोतरी की रणनीति निश्चित तौर पर होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि आर्थिक विकास की रफ्तार को बहाल करने की जवाबदेही निर्यात पर डाली गई है क्योंंकि सकल घरेलू उत्पाद में उपभोग की हिस्सेदारी बचत के उच्च स्तर से अवरोधित बनी हुई है। 2018-19 में वस्तुओं का निर्यात 8.8 फीसदी बढ़ा जबकि पिछले साल इसमें 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी। हालांकि अमेरिका-चीन व्यापार में जारी तनाव को देखते हुए यह स्पष्ट तौर पर 2019-20 में निर्यात में कमजोर बढ़ोतरी का जिक्र अर्थव्यवस्था में गिरावट के प्रमुख जोखिम के तौर पर करता है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि अगर यथास्थिति बरकरार रही तो 2019-20 में निर्यात में बढ़ोतरी का परिदृश्य कमजोर रहेगा और इस बारे में चेतावनी भी दी गई है। अप्रैल 2019 में वल्र्ड इकनॉमिक आउटलुक ने दुनिया में आउटपुट घटकर 3.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो 2018 में 3.6 फीसदी रहा था।
रुपये का अवमूल्यन
इसमें कहा गया है कि निर्यात में जरूरी बढ़ोतरी के लिए जीडीपी की रफ्तार 8 फीसदी होनी चाहिए और इसके लिए वास्तविक प्रभावी विनिमय दर में कमी जरूरी है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, हम निर्यात में बढ़ोतरी उत्पादकता में इजाफे के जरिए करने पर जोर दे रहे हैं, न कि मुद्रा के ह्रास से। हालांकि सरकार ने निर्यात में उच्च बढ़ोतरी पर जोर दिया है, जैसा कि रुपये में गिरावट के चलते रुपये के लिहाज से देखा गया था, वहीं 2018-19 में आयात घटा। उद्योग की तरफ से भारत के मौजूदा मुक्त व्यापार समझौते पर दोबारा नजर डालने की मांग के आलोक में समीक्षा में कहा गया है कि मुक्त व्यापार समझौते वाले देशों से भारत का आयात बढ़ा है और यह भारत के कुल आयात का 52 फीसदी है। दूसरी ओर भारत का निर्यात लगातार घट रहा है। कारोबारी साझेदार के साथ निर्यात की हिस्सेदारी कुल निर्यात में 36.9 फीसदी है।
निर्यात बढ़ाने के लिए गठित उच्चस्तरीय सलाहकार समूह ने सुझाव दिया था कि उद्योग के लिए सभी व्यापार समझौतों के असर का अध्ययन किया जाना चाहिए। भारत ने विभिन्न देशों के साथ 28 द्विपक्षीय व अन्य व्यापार समझौते किए हैं।
पूर्वी एशियाई मॉडल
समीक्षा में पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं मसलन जापान, दक्षिण कोरिया व चीन की अगुआई में विनिर्माण के चलते हुई बढ़त पर ध्यान केंद्रित किया गया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यन ने उत्पादकता में मजबूती, नौकरियों के सृजन व निर्यात में बढ़ोतरी के लिए गहन श्रम वाले विनिर्माण पर निवेश के मामले में पूर्ववर्ती अरविंद सुब्रमण्यम के विचारों को अपनाया है। दो प्रमुख क्षेत्रों कपड़ा व चमड़ा में सरकार ने और ढांचागत सुधार का संकेत दिया है। हालिया समीक्षा में एक बार फिर लक्षित योजना के जरिये वैश्विक निर्यात में भारत की भागीदारी में बढ़ोतरी का आह्वान किया है और इसके लिए अहम बाजारों में बाजार हिस्सेदारी में इजाफा करने की बात कही गई है।
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