बिहार में बारिश की कमी से कम बुआई | बीएस संवाददाता / पटना July 04, 2019 | | | | |
बिहार में सूखे का संकट गंभीर हो गया है। राज्य में इस बार सामान्य से लगभग आधी ही बारिश हुई है। इस वजह से सरकार को राज्य में धान के रकबे में भी बड़ी गिरावट की आशंका है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जून में बिहार में 41 फीसदी तक बारिश हुई है। इस वजह से करीब 61 फीसदी रकबे पर ही धान का बिचड़ा डाला जा सका है। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 2.03 लाख हेक्टेयर में ही बिचड़ा डाला जा सका है, जबकि लक्ष्य 3.3 लाख हेक्टेयर का था। वहीं, जून के अंत तक राज्य में 33 लाख हेक्टेयर लक्ष्य के विपरीत महज 93,258 हेक्टेयर में धान की रोपनी हुई है। इस हिसाब से राज्य में महज 3 फीसदी इलाके में धान की रोपनी जून में हो पाई है। वहीं, मक्के की महज 29 फीसदी रकबे पर ही बुआई हो सकी है। राज्य सरकार को खरीफ के मौसम में 4.24 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती का इरादा है, जबकि अब तक 1.23 लाख हेक्टेयर में ही मक्के की बुआई हुई है।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक कम बिचड़े परेशानी का सबब हैं। उनके मुताबिक बारिश में देरी से किसान बिचड़े तैयार नहीं कर पा रहे हैं, जिस वजह से धान के रकबे पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं। कम बारिश की वजह से अब तक राज्य के 38 में से 27 जिलों में रोपनी शुरू भी नहीं हो पाई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में जून में सामान्य से 41 फीसदी तक कम बारिश हुई है। राज्य में अब तक पूर्वी चंपारण, सुपौल और गोपालगंज में ही सामान्य बारिश हुई है। बाकी के 35 जिलों में 10 से 50 फीसदी तक कम बारिश हुई है। सबसे खराब हालत भागलपुर और मुंगेर प्रमंडल के जिलों की है। हालांकि, बीते दिनों की बारिश से किसानों को राहत जरूर मिली है।
बीते वर्ष भी राज्य के 280 प्रखंडों में सूखा पड़ा था। इस वजह से बिहार में चावल की पैदावार 60 लाख टन रह गई थी। वहीं, दलहन और तेलहन की पैदावर पर भी असर हुआ था। बीते वर्ष की सूखे की वजह से इस वर्ष राज्य में जलस्तर निम्न स्तर पर पहुंच गया, जिस कारण से राज्य में पेयजल का भंयकर संकट खड़ा हो गया है।
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