बैंकों के ऋण दरें घटाने पर मंत्रालय की नजर | |
सोमेश झा / नई दिल्ली 06 30, 2019 | | | | |
► इस साल अब तक भारतीय रिजर्व बैंक तीन बार नीतिगत दरें कम कर चुका है
► वित्त मंत्रालय चाहता है कि मौद्रिक नीति दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को दिया जाए
वित्त मंत्रालय की इस बात पर कड़ी नजर है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मौद्रिक नीति दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को दे रहे हैं या नहीं। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार तीन बार नीतिगत दरें कम की हैं, इसलिए वित्त मंत्रालय सार्वजनिक बैंकों के ऋण दरें घटाने के आंकड़े जुटा रहा है। सूत्रों ने कहा कि 19 जुलाई को वित्तीय स्थायित्व एवं विकास परिषद की 20वीं बैठक में भी मौद्रिक दरों में कटौती का कम लाभ ग्राहकों दिए जाने से संबंधित चिंताएं जताई गई थीं। इस बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। बैठक में सभी वित्तीय नियामक मौजूद थे। बैठक के बाद वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले वित्त सेवा विभाग ने आरबीआई के दर घटाने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा ब्याज दरों में की गई कटौती के आंकड़े जुटाना शुरू कर दिया है।
सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने का आग्रह करते हुए बताया कि वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कार्याधिकारियों के साथ बैठकों में इस बात पर जोर दिया है कि मौद्रिक नीति दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाया जाना चाहिए। कार्याधिकारी ने कहा, 'वित्त मंत्रालय और आरबीआई चाहते हैं कि ब्याज दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को जल्द दिया जाना चाहिए।'
आरबीआई ने अपनी जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार तीसरी बार रीपो दर 25 आधार अंक (0.25 फीसदी) घटाई थी। इस तरह 2019 में अब तक कुल 75 आधार अंकों की कटौती की जा चुकी है। इस समय रीपो दर 5.75 फीसदी है। यह वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक केंद्रीय बैंक से उधार लेते हैं। आरबीआई के नीतिगत दरों में कटौती करने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के 18 बैंकों में से 7 ने अब तक अपनी ऋण दरों में कमी की है। इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नैशनल बैंक ने सभी ऋणों के लिए अपनी कोष की सीमांत लागत आधारित दर (एमसीएलआर) में पांच आधार अंक (0.05 फीसदी) की कटौती की है।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने अपनी एक साल की एमसीएलआर 10 आधार अंक घटाकर 8.60 फीसदी कर दी है। अन्य अवधि के ऋणों के लिए एमसीएलआर 5 आधार अंक घटाई गई है। एक साल की एमसीएलआर ही वह बेंचमार्क है, जिसके आधार पर ही वाहन, पर्सनल और होम लोन जैसे ज्यादातर उपभोक्ता ऋण दिए जाते हैं। इसके अलावा आंध्रा बैंक, कॉरपोरेशन बैंक और ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने अपनी एक साल की एमसीएलआर में पांच आधार अंक की कटौती की है। भारतीय स्टेट बैंक ने जून में घोषणा की थी कि वह जुलाई से रीपो दर आधारित आवास ऋण शुरू करेगा।
सिंडिकेट बैंक और पंजाब ऐंड सिंध बैंक जैसे कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपनी कुछ ऋण दरों में बढ़ोतरी की है। सिंडिकेट बैंक ने अपनी 3 साल की एमसीएलआर 5 आधार अंक बढ़ाई है और अन्य यथावत रखी हैं। वहीं पंजाब ऐंड सिंध बैंक ने अपनी छह महीने की एमसीएलआर 5 आधार अंक बढ़ाई है और 3 साल की एमसीएलआर 5 आधार अंक कम की है। सिंडिकेट बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी मृत्युंजय महापात्र ने कहा, 'संदर्भित अवधि में एक साल की जमा दरें लगातार बढ़ रही थीं। एमसीएलआर तय करना कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें जमा लागत, परिचालन लागत की अधिकता, लागत ढांचा आदि शामिल हैं। हम जिन क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं, उनमें 3 साल की फंड दरें बढ़ रही थीं।' उन्होंने यह स्वीकार किया कि केंद्रीय बैंक का मकसद दरों में कटौती का ज्यादा से ज्यादा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाना होता है।
|