जीएसटी व्यवस्था के तहत मुकदमेबाजी पर अंकुश | सुदीप्त दे / June 30, 2019 | | | | |
पिछले महीने कर चोरों को गिरफ्तार करने के लिए जीएसटी अधिकारियों को दिए गए अधिकार का मामला अदालतों में सुर्खियों में रहा। विभिन्न उच्च न्यायालयों के आदेशों में विरोधाभास होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में दखल दी है। सर्वोच्च न्यायालय का एक तीन सदस्यीय पीठ अब कर चोरी मामले में गिरफ्तारी की इन शक्तियों की संवैधानिकता पर गौर कर रहा है। इसी प्रकार, अदालतों के परस्पर विरोधाभासी नजरिये के कारण कर विशेषज्ञ एवं कारोबारी असमंजस में हैं। विभिन्न करदाताओं द्वारा कई अदालतों में मुनाफाखोरी निरोधक मुकदमे चलाए जा रहे हैं।
कर विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक जीएसटी से संबंधित मुकदमेबाजी को विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर रिट याचिका तक सीमित कर दिया गया है। अद्वैत लीगल के पार्टनर सुदीप्त भट्टाचार्य ने कहा, 'जीएसटी के तहत मुख्यधारा की मुकदमेबाजी में तेजी आने के आसार हैं।' विशेषज्ञों का मानना है कि कारण बताओ नोटिस, वैधानिक अपील, पुनर्विचार याचिका आदि के जरिये मुकदमेबाजी में काफी तेजी आ सकती है। जीएसटी व्यवस्था के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट मुकदमेबाजी की सबसे बड़ी वजह रही है।
आमतौर पर जिन मुद्दों को लेकर मुकदमेबाजी होती है उनमें इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिफंड दावों को खारिज करने, पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से संक्रमणकालीन क्रेडिट को आगे ले जाने, विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए पात्रता और जीएसटी-पूर्व व्यवस्था में कर क्रेडिट के दावे के लिए पात्रता शामिल हैं। मुनाफाखोरी निरोधक मामलों के कारण तमाम करदाता काफी व्यस्त दिख रहे हैं। विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए फैसलों में विरोधाभास होने से करदाता कहीं अधिक असमंजस में पड़ जाते हैं।
लक्ष्मीकुमारन ऐंड श्रीधरन के प्रधान पार्टनर एन मतिवणन ने कहा, 'इस प्रकार के विवादों को निपटाने के लिए एक केंद्रीकृत अपील ढांचा तैयार करने की तत्काल आवश्यकता है।' विशेषज्ञों ने कहा कि जब तक इस प्रकार का कोई ढांचा तैयार नहीं कर लिया जाता, तब तक करदाता उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले को उठाते रहेंगे जिससे मुकदमेबाजी लंबी खिंच सकती है। भट्टाचार्य ने कहा, 'इस प्रकार की मुकदमेबाजी को निपटाने में चार शाखाओं (उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी एवं पश्चिमी) के साथ एक केंद्रीकृत अग्रिम न्यायिक प्राधिकरण को लंबा सफर तय करना पड़ेगा।' नैशनल ऐंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी द्वारा पारित आदेशों को लेकर मुकदमेबाजी होती रही है। खेतान ऐंड कंपनी की पार्टनर रश्मि देशपांडे ने कहा कि उन्हें उच्च न्यायालयों में इस आधार पर चुनौती दी गई है कि एनएए द्वारा मनमाने तरीके से मुनाफाखोरी निरोधक मामला निर्धारित किया गया है। कुछ मुनाफाखोरी निरोधक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि उन्होंने कीमतों में कमी को निर्धारित करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में कुछ नहीं बताया। कानून विशेषज्ञों ने कहा कि हाल तक तमाम मामलों में देखा गया है कि कर आयुक्त ने मनमाने तरीके से और यहां तक कि गैरकानूनी तरीके से करदाताओं को हिरासत में लिया और अपराध प्रक्रिया संहिता के प्रावधाओं को नजरअंदाज करते हुए गिरफ्तारी की।
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