राष्ट्रीय ब्रांड के पटल पर पंकज त्रिपाठी | उर्वी मलवाणिया / June 28, 2019 | | | | |
विज्ञापनदाताओं और ब्रांड के लिए पंकज त्रिपाठी कोई नया नाम नहीं है। उन्होंने बड़े पर्दे पर ब्रेक लेने से पहले विज्ञापन फिल्मों में सालों से कई भूमिकाएं निभाई हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में फिल्मों और ओओटी शो (गैंग्स ऑफ वासेपुर, सीक्रेड गेम्स और मिर्जापुर आदि) में सफलता के बाद ब्रांड प्रचारक के तौर पर उनकी छवि मजबूत हुई है।
आज के समय त्रिपाठी टाटा टी (जहां से उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा) से इतर वह स्टार प्लस और पॉलिसी बाजार का भी चेहरा बने हुए हैं। वह कहते हैं, 'शायद वह 2007 की बात है जब मैंने जागो रे कैंपेन के तहत टाटा टी के लिए अपना पहला विज्ञापन किया था। उस समय मैं यह भी नहीं जानता था कि विज्ञापनों के लिए एक साल के कॉन्ट्रेक्ट बनाए जाते हैं। मैने बिना किसी अनुबंध के विज्ञापन फिल्माए और किसी तरह के अनुबंध के अभाव में इनमें से कुछ विज्ञापन आज तक चलाए जाते हैं।'
हालांकि एक भोली-सरल शख्सियत त्रिपाठी ने खुद को ब्रांड एंडोर्सर के तौर पर कैसे ढ़ाला? विशेषकर उस माहौल में जब वह न तो शीर्ष तीन वॉलीबुड अभिनेताओं की सूची में आते हो और न ही सोशल मीडिया मंचों पर बहुत अधिक प्रशंसक हो।
टूटती परंपरा
त्रिपाठी भले ही नवाजुद्दीन सिद्दीकी और इरफान खान की तरह फिल्मी भूमिकाएं निभाते हों लेकिन उन्हें अभी भी किसी हिट या अंतरराष्ट्रीय भूमिका निभाने का इंतजार है। इस सबसे बावजूद ब्रांड कोई शिकायत नहीं कर रहे। नाम सार्वजनिक नहीं करने की मांग पर एक टैलेंट मैनेजर ने बताया कि त्रिपाठी ने अपनी ऑफबीट शख्सियत का बड़े स्मार्ट तरीके से उपयोग कर कामयाबी हासिल की है। उन्होंने कहा, 'फिलहाल बॉलीवुड में उनकी तरह दूसरी शख्शियत नहीं है और वह एक दिन के 25 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक शुल्क ले सकते हैं।'
त्रिपाठी का मानना है कि ब्रांड प्रचारक के तौर पर उनका काम अभिनेता की भूमिका से अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। वह कहते हैं, 'विज्ञापनों में अभिनेता को मनोरंजन करने के साथ-साथ दर्शकों को उत्पाद के बारे में जानकारी देनी होती है, जो इसे अधिक चुनौती भरा बना देता है।' साल 2004 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक किया और इसके बाद उन्होंने विज्ञापन फिल्म निर्माताओं के साथ एक भूमिका के लिए ऑडिशन दिया। उस समय ब्रांड के लिए या विज्ञापन में किसी भूमिका को निभाना और ब्रांड प्रचारक होने में फर्क होता था। हालांकि अब उद्योग में काफी बदलाव आ चुके हैं।
बिजूर कंसल्ट्स के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी हरीश बिजूर कहते हैं, 'वह जाने-पहचाने चेहरे हैं लेकिन बॉलीवुड के मुख्य अभिनेताओं की सूची में नहीं आते। उनकी तरह शख्सियत वाले अभिनेताओं की अपनी अलग पहचान होती है और वह विज्ञापन कारोबार में अपना विशेष स्थान बना सकते हैं।' वह बताते हैं कि अधिक लोगों तक पहुंच बनाने के दो तरीके हैं। या तो आप अमिताभ बच्चन जैसे अभिनेता को हायर कर ले या स्थानीय अपील करने वाले किसी व्यक्ति को शामिल करें। त्रिपाठी दूसरी श्रेणी में आते हैं।
अभिनय से इतर
त्रिपाठी ने हाल के कुछ महीनों में विविध भूमिकएं निभाते हुए अलग-अलग चरित्र में खुद को स्थापित किया है। बिजूर बताते हैं कि त्रिपाठी जैसे अभिनेताओं के लिए ब्रांड अलग-अलग भूमिकाएं निर्धारित कर सकते हैं। वह कहते हैं, 'इसके दो कारण हैं। त्रिपाठी अपनी भूमिकाओं में विशिष्टता लाने के लिए जाने जाते हैं और इसलिए ब्रांड इस कौशल को अपनाना चाहते हैं। दूसरा, वह जाना-पहचाना चेहरा हैं लेकिन शाहरुख खान की तरह लोकप्रिय नहीं है, जिससे उन्हें देश भर में प्रसारित किया जा सकता है।'
त्रिपाठी कहते हैं, 'मैं अपने द्वारा किए जाने वाले विज्ञापनों के लिए रचनात्मक सुझाव देने के पहलू पर गहरी दिलचस्पी लेता हूं। मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि मेरा विज्ञापन दर्शकों को दिलचस्प लगे। मेरा विज्ञापन देखकर उनका मनोरंजन होना चाहिए और दर्शकों को बांधे रहे।' उदाहरण के लिए टाटा टी के जागो रे अभियान के समय उन्होंने वोट मांगने वाले राजनेता की भूमिका निभाते हुए अपनी तरफ से बहुत सी भाव-भंगिमाएं शामिल की थीं।
कई दूसरे अभिनेताओं की तरह वह भी अपने ब्रांड या उत्पाद के चयन को लेकर काफी सतर्क रहते हैं। वह बताते हैं, 'मुझे शराब तथा पान मसाला जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ब्रांड से समस्या है और खुद को उनसे दूर ही रखता हूं। मैं ऑनलाइन सट्टा प्रमोशन से भी दूर रहता हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे विज्ञापन के उत्पाद की जानकारी के साथ साथ समाज के लिए संदेश भी जाए।'
हालांकि यह ब्रांड त्रिपाठी के लिए सही है लेकिन इससे उनके लिए स्थान सीमित हो सकता है। विश्लेषक कहते हैं कि आज के समय शराब, तंबाकू या रियल एस्टेट कंपनियां अधिक दाम देती हैं और त्रिपाठी इस मौके को छोड़ रहे हैं।
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