व्यापार पर जल्द होगी बातचीत | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली June 28, 2019 | | | | |
जापान के ओसाका में दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (जी-20) के शिखर सम्मेलन में भारत और अमेरिका के बीच हाल में रिश्तों में आई तल्खी कुछ कम हुई है। दोनों देशों के वाणिज्य मंत्री व्यापारिक मुद्दों पर आपसी मतभेद दूर करने के लिए जल्द ही बैठक करेंगे। शुक्रवार को सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में यह निर्णय लिया गया।
इस बैठक से पहले ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाता रहेगा। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने ट्रंप के हवाले से कहा, 'मेरा मानना है कि अमेरिका भारत के साथ संबंधों को मजबूती देता रहेगा। जल्द ही दोनों देशों के बीच एक बड़े व्यापारिक समझौता होने वाला है।'
ब्लूमबर्ग के मुताबिक मोदी ने अमेरिका के साथ चार मुद्दों पर बातचीत की जरूरत बताई। इनमें ईरान, 5जी कम्युनिकेशन नेटवर्क, द्विपक्षीय संबंध और रक्षा संबंध शामिल हैं। भारत 5जी पर तुरंत बातचीत चाहता है क्योंकि इसका परीक्षण देश के जल्दी ही शुरू होने वाला है। दूरसंचार उपकरण बनाने वाली चीन की कंपनी हुआवे को 5जी के परीक्षण के हिस्सा लेने की अनुमति दी जाए या नहीं, यह काफी हद तक ट्रंप और मोदी के बीच जी-20 बैठक की बातचीत पर निर्भर करेगा।
दोनों नेताओं की बैठक भारत और अमेरिका के बीच आयात शुल्क के मुद्दे पर बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि में हुई। 16 जून को भारत ने अमेरिका से आयात होने वाले 28 सामान पर 50 प्रतिशत तक शुल्क लगा दिया था। एल्युमीनियम और इस्पात पर अमेरिका के शुल्क के जवाब में भारत ने यह कदम उठाया है। इस बैठक से एक दिन पहले गुरुवार को ट्रंप ने भारत के रुख पर नाराजगी जताते हुए उसे बढ़े हुए आयात शुल्क को वापस लेने को कहा था। उन्होंने कहा था कि इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है। विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि मोदी के साथ बैठक में ट्रंप भारत के साथ व्यापारिक संबंधों पर चर्चा करना चाहते थे, इसलिए रक्षा पर बातचीत की अवधि को कम करना पड़ा। दोनों नेताओं ने भारत में अमेरिका की 5जी प्रौद्योगिकी के विकास और विपणन के तरीकों पर चर्चा की।
इस बीच वाणिज्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक आयात शुल्क से जुड़े मुद्दों पर समय लगेगा लेकिन दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों के बीच होने वाली बातचीत में अमेरिका के साथ एक समग्र व्यापार पैकेज के बारे में फिर से चर्चा शुरू हो सकती है। इस पर पिछले एक साल से भी अधिक समय से काम चल रहा है। दोनों देश आपसी सहमति से ऐसे उत्पादों की सूची बना सकते हैं जिन पर आयात शुल्क में कमी की जा सकती है और बाजार पहुंच बढ़ाई जा सकती है। इस बारे में वाणिज्य विभाग की अमेरिका के व्यापार और वाणिज्य विभाग के प्रतिनिधियों के साथ छह द्विपक्षीय वार्ताएं हुई हैं।
भारत के संरक्षणवादी उपायों पर ट्रंप ने कई बार चेतावनी दी थी। इसके बाद भारत ने व्यापार पैकेज पर प्रस्तावित मंत्रीस्तरीय वार्ता में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने अपनी हाल की भारत यात्रा के दौरान प्रस्तावित पैकेज पर जोर दिया था। लगता है कि इसके बाद ही भारत ने इस पर आगे बढऩे का फैसला किया। एक सूत्र ने कहा, 'प्रधानमंत्री कार्यालय से उन्हें इस पर आगे बढऩे के लिए हरी झंडी मिल गई।' हालांकि अधिकारियों ने कहा कि इस पैकेज की बुनियादी शर्तों की समीक्षा करने की जरूरत है क्योंकि व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि पहले की शर्तें अमेरिका के लिए फायदेमंद थी और इनसे भारत को कोई मदद नहीं मिलतीं।
भारत ने हृदय रोग के इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेंट की कीमतें घटाने पर विचार किया था। इसके साथ ही वह अमेरिका से आयात होने वाले कुछ सूचना एवं संचार तकनीक उपकरणों जैसे महंगे मोबाइल फोन और आधुनिक घडिय़ों पर शुल्क कम करने पर सहमत हो गया था।
इस बारे में एक दूसरे अधिकारी ने कहा, 'अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने टेक्सस से सस्ते तेल के साथ व्यापार से जुड़ी कई वृहद रियायतें देने की पेशकश की थी।' कच्चे तेल के विषय पर मोदी ने शुक्रवार को भारत की ऊर्जा जरूरतों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि ईरान से भारत अपनी कुल ऊर्जा जरूरतों का 11 प्रतिशत तक आयात करता था, लेकिन इसे अमेरिकी दबाव में आकर ईरान से तेल आपूर्ति कम करनी पड़ी। मोदी ने कहा कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर हुआ।
भारत एकमात्र अकेला ऐसा बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा लगातार कम हुआ है। भारत से विशेष तरजीही दर्जा वापस लेने के एक दिन बाद अमेरिकी द्वारा जारी सालाना आंकड़ों के अनुसार भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 2018 में कम होकर 21.3 अरब डॉलर रह गया, जो एक साल पहले 22.3 अरब डॉलर था।
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