तैयार वस्त्रों के निर्यात में दिख रहा सुधार | टीई नरसिम्हन / चेन्नई June 27, 2019 | | | | |
छूट में इजाफे सहित केंद्र सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों की मदद से भारत के रेडीमेड परिधान का निर्यात फिर से तेजी के रास्ते पर आ गया है। पिछले दो-तीन सालों के दौरान निर्यातकों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा, देश से निर्यात की अधिक लागत जैसे अन्य कारणों से निर्यात में गिरावट का रुख अनुभव करने के बाद इसमें सुधार आ रहा है।
मई 2019 में वस्त्र निर्यात लगभग 14.05 प्रतिशत तक बढ़कर 1.528 अरब डॉलर हो गया जो पिछले साल इसी महीने में 1.339 अरब डॉलर था। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि भारतीय उत्पाद 10-15 प्रतिशत तक महंगे हैं, खरीदार भारत से आपूर्ति करनेके इच्छुक हैं। उन्हें इस बात की आशा है कि उद्योग 8-10 प्रतिशत बढ़ेगा तथा अगर सरकार उद्योग की और मदद करे तो यह इससे भी बेहतर हो सकता है।
पिछले दो वित्त वर्षों से वस्त्र निर्यात में साल-दर-साल लगातार कमी आती रही है। 2016-17 में कुल वस्त्र निर्यात 17.361 अरब डॉलर था। जीएसटी, नोटबंदी और अन्य सुधारों की शुरुआत के बाद, जिनसे भारत में निर्मित उत्पाद महंगे हो गए थे, निर्यात में गिरावट आने लगी थी। वर्ष 2018-19 में निर्यात 3.43 प्रतिशत तक गिरकर 16.14 अरब डॉलर रह गया था जबकि वर्ष 2017-18 में यह 16.71 अरब डॉलर था।
तिरुपुर निर्यातक संघ (टीईए) के अध्यक्ष राजा एम षड्मुखम का कहना है कि उद्योग में लागत का दबाव और कम प्रोत्साहन जैसे मसलों की पहचान करते हुए सरकार ने कुछ मदों पर राज्य और केंद्रीय करों एवं शुल्कों की छूट 3.2 प्रतिशत तक तथा अन्य मदों पर 4.5 प्रतिशत तक बढ़ा दी। ये इकाइयां, खास तौर पर एमएसएमई इस असर से उबर गई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों के दौरान 2017-18 की इसी अवधि के मुकाबले तिरुपुर में औसत निर्यात वृद्धि करीब 31.15 प्रतिशत रही। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर 2018 से निर्यात में 12 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
मुंबई स्थित क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राहुल मेहता कहते हैं, 'मुझेलगता है कि हम ठहराव या कुछ गिरावट के बाद आखिरकार मुसीबत से निकल आए हैं। सरकार की मदद बढ़ी है। बांग्लादेश महंगा हो रहा है और वियतनाम अपनी सर्वोच्च क्षमता पर पहुंचने के संकेत दे रहा है।' पिछले साल अप्रैल-मई के दौरान गिरावट के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में वृद्धि जारी है। डॉलर के हिसाब से पिछले साल के इन दो महीनों की तुलना में अप्रैल में निर्यात 4.45 प्रतिशत तक और मई में 14.05 प्रतिशत तक बढ़ा है।
भारत के पक्ष में रहने वाले कारकों में कई बातें शामिल हैं जैसे चीन का कपड़ा क्षेत्र से बाहर निकलने का फैसला, बांग्लादेश का महंगा होता श्रम और वियतनाम का अपने शीर्ष स्तर पर पहुंचना। इन कारणों से भारत एक बार फिर महत्त्वपूर्ण गंतव्य बन गया है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।
केंद्र और राज्यों के करों के रिफंड से लागत में कमी, भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) के तहत नए लाभ और नए सिरे से दिया गया दो प्रतिशत शुल्क ड्राबैक सहित हाल के कुछ सुधारों ने उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया। डिजाइन, मूल्य संवर्धन और कौशल से भारत को अलग लाभ मिलता है जिससे वह अन्य देश से आगे है।
मेहता इस बात से सहमत हैं कि अब भी भारत में निर्मित उत्पाद 10-12 प्रतिशत तक महंगे हैं। इसके साथ ही अन्य प्रतिस्पर्धी देशों को 10 प्रतिशत का शुल्क छूट लाभ मिलता है। वह कहते हैं कि आज ग्राहक केवल लागत पर ही नहीं, बल्कि गुणवत्ता और शीघ्र डिलिवरी पर भी ध्यान देते हैं। अगर हम इसमें सुधार कर सकते हैं तो हम एक बार फिर मजबूत प्रतिस्पर्धी के रूप में उभर सकते हैं।
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