निवेशकों को लुभाने के लिए सौर संयंत्र के निविदा नियम में बदलाव | श्रेया जय / नई दिल्ली June 26, 2019 | | | | |
एक साल से अधिक समय लेने और 10 बार समय सीमा बढ़ाने के बाद अब केंद्र सकार ने देश में सौर उत्पादन से जुड़े पहले बिजली संयंत्र परियोजना के लिए निविदा विर्निदेशों में संशोधन किया है। सरकार को इससे और अधिक निवेशकों को लुभाने की उम्मीद है। इस बार शुल्क की सीमा 2.75 रुपये प्रति इकाई तय की गई है।
भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) ने 6 गीगावॉट के सौर बिजली संयंत्र की स्थापना के लिए सौर बिजली डेवलपरों के चयन की खातिर मंगलवार को चयन के लिए निवेदन (आरएफएस) नोटिस जारी किया। यह संयंत्र सालाना 2 गीगावॉट सौर उत्पादन संयंत्र की स्थापना से संबंधित है।
बोलीदाता एक परियोजना में 0.5 गीगावॉट की सौर उत्पादन क्षमता से जुड़ी 1.5 गीगावॉट तक की सौर बिजली परियोजनाओं की किसी भी क्षमता के लिए बोली लगा सकता है। ऐसी चार परियोजनाओं को बोली के लिए रखा गया है। कोई भी कंपनी एक या सभी चार परियोजनाओं के लिए बोली लगा सकती है।
नए चयन के लिए निवेदन में शामिल किए गए एक दिलचस्प संशोधन से एसईसीआई ने बिजली संयंत्र में आयातित सौर मॉड्ïयूलों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है और जरूरी नहीं है कि यह कंपनी द्वारा स्थापित संबंधित इकाई में ही तैयार किया गया हो। इससे पहले ऐसा करना जरूरी था।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने चयन के लिए निवेदन वाले जिन पत्रों की समीक्षा की है उसमें कहा गया है, 'एसपीडी को उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के साथ साथ ही आईएसटीएस से जुड़ी सौर पीवी बिजली संयंत्र स्थापित करने की अनुमति भी दी जाएगी। इसका मतलब है कि इस योजना के तहत सौर पीवी बिजली संयंत्र में स्व-उत्पादित मॉड्ïयूलों के ही इस्तेमाल की अनिवार्यता नहीं होगी। इसे आयातित मॉड्ïयूलों या बोलीदाता द्वारा स्थापित निर्माण इकाई में उत्पादित मॉड्ïयूलों या अन्य घरेलू मॉड्ïयूलों की सहायता से स्थापित किया जा सकता है।'
निविदा नियमों में दूसरी नई बात उत्पादन के संबंध में है जिसके तहत कंपनियां सिल्लियां और वेफर्स के साथ साथ सौर सेल और मॉड्ïयूलों के लिए निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए बोली जमा करा सकती हैं।
सौर सेल के उत्पादन के लिए सिल्लियां और वेफर्स महत्त्वपूर्ण घटक होते हैं। वहीं मॉड्ïयूल सौर सेलों का संग्रह होता है और पैनल एक बिजली उत्पादन इकाई होता है। हालांकि, निविदा में मौजूदा सौर उत्पादन इकाइयों को शामिल करने की उद्योग की बहुप्रतीक्षित मांग को शामिल नहीं किया गया है। चयन के लिए निवेदन पत्र में कहा गया है, 'चूंकि यह योजना भारत में सौर उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए है अत: पहले से चालू उत्पादन इकाइयों पर इस पत्र में विचार नहीं किया जा सकता है। हालांकि मौजूदा उत्पादन संयंत्रों का विस्तार भारत में कहीं भी किया जा सकता है।'
कई बार समय सीमा बढ़ाने के बाद केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में सौर बिजली संयंत्र के साथ सौर पैनल उत्पादन इकाई स्थापित करने की इकलौती बोली को रद्ïद का निर्णय लिया था। वारी एनर्जीज के साथ मिलकर अज्यूर पावर की ओर से इकलौती बोली आई थी। सरकार ने मार्च में दोबारा से निविदा जारी की थी और उसे भी फिर से आगे बढ़ा दिया गया था।
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