स्वास्थ्य, कृषि और स्वचालन से 5जी को मिलेगी धार! | सुरजीत दास गुप्ता / नई दिल्ली June 26, 2019 | | | | |
यदि आप अल्ट्रा हाई-स्पीड 5जी मोबाइल प्रौद्योगिकी से परहेज करना चाहते हैं तो वास्तविकता यह है कि इसका अगले तीन से पांच साल तक कोई समस्या पैदा नहीं होगी। दूरसंचार कंपनियों के साथ साथ उपभोक्ताओं के लिए, नई प्रौद्योगिकी का बड़ा फायदा सिर्फ तभी मिलेगा जब इसे पारंपरिक दूरसंचार सेवाओं के अलावा हेल्थकेयर, शिक्षा, कृषि और स्मार्ट होम एवं सिटी, पावर ग्रिड, ऑटोनोमस कार और उद्योग स्वचालन जैसे उद्योगों और प्रयोगों के लिए भी इस्तेमाल किया जाए।
फिलहाल, 5जी सेवाएं वैश्विक रुझानों का आईना होंगी और फाइबर-टु-द होम (एफटीटीएच) सेवाओं के संदर्भ में फिक्स्ड वायरलेस एक्सेज (एफडब्ल्यूए) ब्रॉडबैंड की 4जी की तुलना में 100 गुना ज्यादा क्षमता के साथ पेशकश में सक्षम बनाएंगी। दूसरी बात यह है कि इससे आपके 5जी मोबाइल पर ज्यादा तेज स्पीड मिलेगी, 3डी और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) व्यूइंग आसान होगी और गेमिंग को और ज्यादा आकर्षक बनाया जा सकेगा।
मौजूदा समय में एफटीटीएच भारत में अपनी शुरुआती अवस्था में है और सिर्फ 40-50 लाख परिवार ही इससे जुड़े हुए हैं। रिलायंस जियो ने अपनी एफटीटीएच सेवाओं का विस्तार करने की योजना बनाई है, हालांकि वह एफडब्ल्यूए का भी इस्तेमाल करेगी। कंपनी मौजूदा समय में फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के लिए 5 करोड़ परिवारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है और माना जा रहा है कि 26.5 करोड़ घरों को एफडब्ल्यूए से जोड़े जाने की संभावना है।
हालांकि रिलायंस जियो के अध्यक्ष मैथ्यू ऊमेन का मानना है कि फाइबर-टु-होम एक बेहतर विकल्प है। हालांकि उनका कहना है कि एफडब्ल्यूए की भी लोकप्रियता है और इसका इस्तेमाल उन दूरदराज स्थित इलाकों में ज्यादा किया जाएगा जहां भूमिगत खुदाई की अनुमति एक बड़ी चुनौती है।
इसे लेकर विचार किया जा रहा है कि कौन सा मोडल व्यवसाय की दृष्टि से ज्यादा उपयुक्त है। कुछ दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि एफडब्ल्यूए ब्रॉडबैंड अधिक आकर्षक है क्योंकि इसे तेजी से पेश किया जाता है और फाइबर की तुलना में काफी सस्ता विकल्प भी है। इससे मोबाइल सेवा कम दर पर मुहैया कराने की अनुमति मिलती है।
नए 5जी उपयोगकर्ताओं के लिए एक प्रमुख बाधा डिवाइस की महंगी कीमत है, जो 1,000 डॉलर से भी ज्यादा महंगा है। लेकिन इस समस्या का मुकाबला आसानी से किया जा सकेगा, जैसा कि 4जी डिवाइस के मामले में भारत में देखने को मिला। 4जी एलटीई सेवाएं शुरू करने वाली जियो ने अपने स्वयं के सस्ते मोबाइल (जिन्हें वह खरीदती है) पेश करने का निर्णय लिया है, जिससे अन्य मोबाइल फोन निर्माताओं को अपनी कीमतें तेजी से घटाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। मौजूदा समय में जियो 2,000 रुपये से कम कीमत पर 4जी फोन की पेशकश कर रही है। दरअसल, कंपनी 4जी की कीमत पर 5जी फोन पेश करने का वादा कर चुकी है।
अन्य बड़ी समस्या यह है कि दूरसंचार कंपनियों को 5जी में अपने निवेश पर प्रतिफल हासिल करने की जरूरत होगी। मौजूदा वैश्विक रुझानों के आधार पर वे प्रीमियम सेवा के तौर पर 5जी की पेशकश कर रही हैं। हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय उपयोगकर्ता सिर्फ हाई स्पीड की वजह से ज्यादा रकम चुकाना पसंद नहीं करेंगे। पिछले सप्ताह मोबिलिटी पर जारी की गई एरिक्सन की रिपोर्ट में कहा गया कि देश में 66 प्रतिशत स्मार्टफोन उपयोगकर्ता 5जी सेवाओं के लिए प्रीमियम चुकाने को इच्छुक हैं।
हुआवेई इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी जय चेन ने भी इसी तरह के विचार प्रकट किए हैं। उनका कहना है, 'ग्राहक बेहतर सेवा चाहते हैं और 4जी को लेकर समस्या दिख रही है। मुझे इसमें कोई वजह नहीं दिख रही है कि यदि उन्हें हाई-स्पीड सेवा मिले तो वे थोड़ी ज्यादा रकम क्यों नहीं चुकाएंगे।'
कुल मिलाकर, यह स्पष्ट दिख रहा है कि जहां अल्पावधि में 5जी उपभोक्ताओं पर ज्यादा असर नहीं डाल सकती है, लेकिन दीर्घावधि में यह सेवा कई तरह से उनकी जिंदगी में अहम साबित हो सकती है।
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