भारत में कॉर्पोरेट कर सबसे अधिक | |
कृष्ण कांत और सचिन मामपटा / 06 26, 2019 | | | | |
भारत दुनिया के उन देशों की फेहरिस्त में शुमार है, जहां कॉर्पोरेट कर (कंपनियों पर लगने वाला कर) की दर सबसे अधिक है। हाल के वर्षों में इन दरों में धीमी गति से ही सही, लेकिन बढ़ोतरी बरकरार है। ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) में शुमार 94 देशों में भारत में कॉर्पोरेट कर 48.3 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक है। इतना ही नहीं, यह आंकड़ा 2018 के औसत वैश्विक कर दर 24 प्रतिशत का दोगुना पाया गया।
जिन घरेलू कंपनियों का राजस्व 250 करोड़ रुपये से अधिक है उन पर कर की दर 30 प्रतिशत है, वहीं 250 करोड़ रुपये से कम राजस्व वाली कंपनियों को 25 प्रतिशत कर चुकाना पड़ता है। विदेशी कंपनियों को 40 प्रतिशत कर देना पड़ता है। 1 करोड़ से 10 करोड़ रुपये कर योग्य आय के दायरे में आने वाली घरेलू कंपनियों को 7 प्रतिशत अधिभार भी देना पड़ता है। 10 करोड़ रुपये से अधिक कर योग्य आय वाली देसी कंपनियों की कर देनदारी 12 प्रतिशत बनती है।
विदेशी कंपनियों की बात करें तो यह दर क्रमश: 2 प्रतिशत और 5 प्रतिशत है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर के रूप में 4 प्रतिशत अतिरिक्त कर भुगतान भी करना पड़ता है। विदेशी कंपनियां रॉयल्टी पर 50 प्रतिशत कर भुगतान करती हैं। इसके अलावा 20.56 प्रतिशत लाभांश वितरण कर भी चुकाना होता है। ओईसीडी ने यह मानकर गणना की है कि कंपनियां अपने पूरे सालाना मुनाफे का वितरण शेयरधारकों को इक्विटी लाभांश के तौर पर करती हैं। भारत में कॉर्पोरेट कर जापान (29.7 प्रतिशत) की तुलना में डेढ़ गुना और रूस (20 प्रतिशत) और यूनाइटेड किंगडम (19 प्रतिशत) के मुकाबले दोगुना अधिक है।
ओईसीडी दरें मानक दर पर विचार करती है, जो किसी खास उद्योग या आय पर केंद्रित नहीं है। भारत में ऊंचे कॉर्पोरेट कर पर ईवाई इंडिया में नैशनल टैक्स लीडर सुधीर कपाडिय़ा ने कहा, 'भारत में कॉर्पोरेट कर अधिक हैं और सरकार को इन्हें कम कर दूसरी प्रतिस्पद्र्धी अर्थव्यवस्थाओं के अनुसार ही करना चाहिए।'
अधिक कर से कंपनियों की प्रतिस्पद्र्धी क्षमता कम होती है। इससे कंपनियों से जुड़े निवेश पर भी असर होता है। डेलॉयट में मैनेजिंग पार्टनर विपुल जवेरी कहते हैं,'कॉपोरेट कर कम किए जाने से कंपनियां अधिक मात्रा में पूंजी व्यय करने के लिए प्रोत्साहित होंगी।' पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015 के बजट कहा था कि कॉर्पोरेट कर धीरे-धीरे कम करते हुए 25 प्रतिशत पर लाया जाएगा। साथ ही उन्होंने विभिन्न रियायतें समाप्त करने की बात भी कही थी। कपाडिय़ा ने कहा कि हालांकि सरकार ने 250 करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए कर घटाकर 25 प्रतिशत जरूर किया है, लेकिन भारत में कंपनियों के संयुक्त राजस्व एवं मुनाफे में ऐसी कंपनियों की तादाद महज 5 प्रतिशत ही है।
ओईसीडी के अनुसार विभिन्न कटौतियों और भत्तों के समायोजन के बाद 2017 में भारत में प्रभावी कर 44.1 प्रतिशत था। यह आंकड़ा 74 देशों में सर्वाधिक था। तेजी से उभरते दूसरे देशों जैसे रूस, इंडोनेशिया और चीन के मुकाबले यह दोगुना था। हालांकि इसके बाद भी भारत में कर कम नहीं हो रहा है, बल्कि सालों से स्थानीय कर दर में इजाफा हो रहा है। इसके मुकाबले दूसरे देशों में कॉर्पोरेट कर कम हो रहा है। ग्रांट थॉर्नटन में पार्टनर रियाज थिंगना कहते हैं,'पिछले कुछ वर्षों में कई देशों ने कॉर्पोरेट करों में कमी की है, जिससे भारत स्वत: ही अधिक कर लगाने वाला देश बन गया है।
सरकार सभी कंपनियों के लिए कर कम करके 25 प्रतिशत करने की बात कह चुकी है। उम्मीद की जा सकती है कि अब वह ऐसा करेगी।' हालांकि सरकार वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए संघर्ष कर रही है और ऐसे में उसके लिए कर की दर कम करना आसान नहीं होगा। भारत जैसे विकासशील देशों में कॉर्पोरेट कर राजस्व का अहम स्रोत होता है। यूबीएस सिक्योरिटीज के गौतम छाछरिया और तन्वी गुप्ता ने कहा कि भारत की वित्तीय स्थिति इस समय नाजुक है।
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