बजट के बाद बाजार गतिविधि में आएगी तेजी | बीएस बातचीत | | सुंदर सेतुरामन / June 24, 2019 | | | | |
नोमुरा इंडिया में निवेश बैंकिंग के प्रमुख उत्पल ओझा का कहना है कि आर्थिक मंदी और एनबीएफसी नकदी संकट से जुड़ी चिंताओं के बावजूद कॉरपोरेट कोष उगाही चक्र में सुधार आ रहा है। सुंदर सेतुरामन के साथ साक्षात्कार में ओझा ने कहा कि बजट के बाद सौदों से जुड़ी गतिविधि में तेजी आ सकती है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
2019 के पहले पांच महीने पूंजी बाजारों के जरिये कोष उगाही के लिए बहुत ज्यादा अच्छे नहीं रहे। शेष वर्ष के लिए आपका क्या नजरिया है?
2019 के पहले पांच महीनों में आम चुनाव और अमेरिका-चीन व्यापारिक टकराव जैसी अनिश्चितताएं बरकरार रहीं। इसके परिणामस्वरूप आईपीओ लाने की योजना बना रही कंपनियों ने इस अवधि में इंतजार करना जरूरी समझा। हमें उम्मीद है कि इक्विटी पूंजी बाजारों के जरिये कोष उगाही में तेजी आएगी। सूचकांक अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तरों के आसपास हैं और स्पष्ट चुनावी जनादेश से निवेशक धारणा मजबूत हुई है। हालांकि खपत और वित्तीय नकदी में सुस्ती, खासकर एनबीएफसी को लेकर कुछ चिंताएं हैं, लेकिन हमें बजट के बाद सकारात्मक रुझान पैदा होने की उम्मीद है।
वैश्विक सूचीबद्घता की स्थिति कैसी दिख रही है?
मेरी नजर में, सिर्फ चुनिंदा नई प्रौद्योगिकी कंपनियां ही अंतरराष्टï्रीय बाजार पर ध्यान देंगी। वे अगले 18-24 महीनों में कोष उगाही के लिए अमेरिका की ओर रुख कर सकती हैं। इन कुछ खास अवसरों को छोड़कर, हम यह मान रहे हैं कि भारतीय पूंजी बाजार ज्यादातर कंपनियों के लिए पसंदीदा सूचीबद्घता विकल्प होंगे।
70 से ज्यादा कंपनियां आईपीओ लाने के लिए सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। क्या चुनाव समाप्त होने के बाद आपको आईपीओ चक्र में तेजी आने की उम्मीद है?
मजबूत बुनियादी आधार, विशेष बिजनेस मॉडल और शानदार कॉरपोरेट प्रशासिक ढांचे वाली कंपनियों पर निवेशक ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इन विशेषताओं से कंपनियों को मजबूत मूल्यांकन में मदद मिलेगी। चुनाव के बाद बाजार धारणा में सुधार आ रहा है। हमने इस साल अब तक 11 अरब डॉलर का मजबूत विदेशी प्रवाह दर्ज किया है। इसके अलावा, भारतीय मिड-कैप और स्मॉल-कैप मूल्यांकन में भी कुछ सुधार आया है जो आगामी आईपीओ के लिए भी अच्छा संकेत है, क्योंकि इनमें से ज्यादातर आईपीओ मिड-कैप कंपनियों के हैं।
रियल्टी क्षेत्र पर रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों (रीट्स) का क्या असर पड़ेगा? क्या आप मानते हैं कि एम्बेसी रीट की सफलता के बाद बाजार में ज्यादा रीट आएंगे?
भारत के पहले रीट की पेशकश घरेलू रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक बड़ा बदलाव है। इससे डेवलपरों को अपनी परिसंपत्तियों पर पूंजी तक पहुंच का माध्यम मिला है। नकदी तक इस पहुंच और परिसंपत्तियों के इस्तेमाल से उन कुछ चुनौतियों के दूर होने की संभावना है जिनसे रियल्टी क्षेत्र को मौजूदा समय में जूझना पड़ रहा है। हमें आगामी महीनों में अच्छी गुणवत्ता वाले प्रवर्तकों से कई और रीट के बाजार में आने की उम्मीद है।
कई कंपनियों ने 2016 के बाद से पुनर्खरीद पेशकशों पर जोर दिया है। क्या यह रुझान बरकरार रहेगा? राइट इश्यू और पुनर्खरीद पर सेबी के चर्चा पत्र पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
2015 में पुनर्खरीद के लिए सेबी द्वारा स्टॉक एक्सचेंज सेटलमेंट प्रणाली की पेशकश से पुनर्खरीद बाजार लेनदेन के तौर पर देखा गया है। पुनर्खरीद का कर लाभ पिछले कुछ वर्षों में बायबैक ऑफरों में तेजी की मुख्य वजह रहा है। पिछले साल सितंबर से कई कंपनियों के मूल्यांकन में गिरावट ने इन कंपनियों को अच्छा अवसर पेश किया जो यह मान रही थीं कि उनके शेयर का कम मूल्यांकन था।
क्या आप मानते हैं कि ताजा नियामकीय बदलावों से आईपीओ के आकार में बदलाव लाने में मदद मिली है?
यह वाकई एक सकारात्मक और स्वागत योग्य बदलाव है। इससे आईपीओ लाने वाली कंपनियों को सक्षम बनने और अपनी पूंजी उगाही योजनाओं को बाजार हालात के अनुरूप ढालने में मदद मिलेगी।
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