पेटीएम और एऑन कैपिटल के प्रवक्ताओं ने किसी तरह की बातचीत पर टिप्पणी और इससे जुड़ी जानकारी साझा करने से मना कर दिया। हालांकि पेटीएम के एक करीबी सूत्र ने कहा कि दोनों इकाइयों के बीच बातचीत काफी आगे निकल चुकी है। सूत्र ने कहा, 'दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। अब सौदे की बारीकीयिों पर बात चर्चा चल रही है। अगर सौदा हुआ तो इससे पेटीएम को पीटूपी उधारी कारोबार शुरू करने में मदद मिलेगी।'
दूसरे स्रोतों के अनुसार पेटीएम ने एक मध्यस्थ के तौर पर पी2पी उधारी प्लेटफॉर्म शुरू करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास पंजीयन कराया है। इस प्लेटफॉर्म से मोबाइल ऐप्लीकेशन या वेबसाइट के जरिये ऋण सुविधाओं से जुड़ी सेवाएं दी जाएंगी। अभी इसने कारोबार शुरू नहीं किया है।
पीटूपी लेंडिंग एक डिजिटल माध्यम है, जिसके जरिये उधार चाहने वाले और उधार देने वालों (कर्जदाताओं) के बीच संपर्क स्थापित किया जाता है। ये कर्जदाता विभिन्न दरों पर 36 महीने की परिपक्वता अवधि के लिए ऋण की पेशकश करना चाहते हैं। यह माध्यम विदेश में खासा लोकप्रिय है, लेकिन भारत में यह जोर नहीं पकड़ पाया है। यहां करीब एक दर्जन कंपनियां ही यह सुविधा देती हैं और आवंटन 100 करोड़ रुपये से कम होता है। पीटूपी कर्जदाता अपेक्षाकृत ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज देते हैं।
आम तौर पर ऐसे लोग पीटूपी कर्जदाताओं के पास जाते हैं, जो दूसरे स्रोतों से ऋण हासिल करने में नाकाम रहते हैं। इस माध्यम के साथ एक दूसरी बात यह है कि कोई कर्जदाता ऐसे प्लेटफॉर्म में 10 लाख रुपये तक ही लगा सकता है। आरबीआई ने यह सीमा तय की है। यह पाबंदी और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) खंड में मौजूदा संकट के मद्देनजर पीटूपी कंपनियों के लिए विदेशी निवेशकों से रकम जुटाना खासा मुश्किल साबित हो रही है। इससे ये कंपनियां अपना विस्तार भी नहीं कर पा रही हैं।
पेटीएम ने अपने 1 करोड़ कारोबारियों को 1 लाख रुपये तक ऋण देने की पेशकश भी शुरू की है। कारोबारी रोजाना किस्तों का भुगतान कर सकते हैं और समय से पहले भुगतान पर शुल्क या कोई जुर्माना नहीं है। समय पर भुगतान के लिए इन्हें प्रोत्साहन भी दिया जाता है।