► ऋण की अवधि के विस्तार, क्रियाशील पूंजी सहायता और रणनीतिक निवेशक पर चर्चा ► प्रवर्तक समूह की हिस्सेदारी घटेगी ► ऐऑन कैपिटल और लोन स्टार की हिस्सेदारी पर नजर ► थोक कारोबार में ओकट्री कैपिटल की दिलचस्पी
संकट से जूझ रही दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के ऋणदाताओं की जुलाई के पहले हफ्ते में बैठक होगी जिसमें कंपनी को उबारने के उपायों पर चर्चा होगी। इनमें ऋण भुगतान पर नई योजना, कार्यशील पूंजी झोंकना, वित्तीय निवेशक लाना और नई प्रबंधन टीम बनाना शामिल है। मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठï बैंक ने कहा, 'हम अब तक किए गए पुनर्भुगतान और परिसंपत्तियों को बेचने के लिए किए गए उपायों की व्यापक समीक्षा करेंगे। कंपनी को उबारने के पैकेज और अगले कुछ महीनों के दौरान पुनर्भुगतान की तैयारियों पर चर्चा होगी।' डीएचएफएल के ऋणदाताओं में भारतीय स्टेट बैंक, ऐक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और यूनियन बैंक शामिल हैं। बैंकों का डीएचएफएल पर 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है।
एऑन कैपिटल औैर लोन स्टार जैसी निजी इक्विटी फर्में डीएचएफएल में हिस्सेदारी खरीदना चाहती हैं। ओकट्री कैपिटल ने इस आवास वित्त कंपनी का थोक कारोबार खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। इसके अलावा डीएचएफएल की कुछ परिसंपत्तियों को भी बिक्री के लिए आकर्षक बनाने पर विचार किया जा रहा है। डीएचएफएल के निवेश वाली कुछ परियोजनाओं के साथ कई तरह की दिक्कतें हैं। एक अन्य बैंकर ने कहा, 'यह स्थिति खत्म होनी चाहिए। इसके लिए आपको व्यावहारिक परियोजनाओं को देखना होगा ताकि यह पता चल सके कि आपको कितनी क्रियाशील पूंजी चाहिए और इसका प्रबंध कैसे हो सकता है।'
कंपनी के ऋण जोखिम को कम करने के लिए डीएचएफएल के कारोबार का कुछ हिस्सा बैंकों को बेचने के लिए एक योजना पर काम किया जा सकता है लेकिन यह प्रतिभूतिकरण के रूप में नहीं होगा। जो बैंक ऋण खरीदेंगे, वे इसके संग्रह की जिम्मेदारी भी संभालेंगे और वे इसमें डीएचएफएल की कोई भूमिका नहीं चाहेंगे। रणनीति निवेशकों के साथ भी बातचीत चल रही है जो डीएचएफएल में निवेश करेंगे या प्रवर्तकों की हिस्सेदारी का एक हिस्सा खरीदेगी। इससे कंपनी के प्रवर्तकों की हिस्सेदारी आधी रह जाएगी। सूत्रों ने कहा कि प्रवर्तक कपिल वधावन के चेयरमैन बने रहने की संभावना है जबकि नए साझेदार के साथ मिलकर एक प्रबंध निदेशक की नियुक्ति की जाएगी। अभी कंपनी में वधावन परिवार की 39.21 फीसदी हिस्सेदारी है।
मुंबई के एक सरकारी बैंक के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि डीएचएफएल के संकट का समय पर समाधान बैंकिंग क्षेत्र के लिए अहम है क्योंकि इस पर भारी देनदारी है। अतिरिक्त नकदी इस बात पर निर्भर करेगी कि डीएचएफएल द्वारा किए जा रहे प्रयास समय रहते फलीभूत हों। इनमें निवेश की बिक्री, रणनीतिक साझेदार को शामिल करना और परिसंपत्तियों की बिक्री शामिल है। रेटिंग एजेंसी केयर ने इसी महीने कहा था कि डीएचएफएल की नकदी स्थिति बदतर हुई है।
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