संकट में फंसी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है। केंद्र सरकार बैंकों से 2,500 करोड़ रुपये सावधि ऋण के लिए बात कर रही है, जिससे कि इस बीमार पीएसयू के पुनरुद्धार की ठोस योजना को अंतिम रूप दिए जाने के पहले इसके परिचालन में मदद मिल सके।
सूचना के मुताबिक दूरसंचार विभाग और कुछ बैंकों के बीच बातचीत चल रही है, जिससे अनुकूल पुनर्भुगतान की शर्तों पर कर्ज मिल सके। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'इस कर्ज से कंपनी को परिचालन व्यय जैसे वेतन, बिल भुगतान, वेंडरों के भुगतान आदि जुटाने में मदद मिलेगी।'
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अगर यह बातचीत मूर्त रूप ले लेती है तो कंपनी को अगले 6 महीने तक चलाते रहने में मदद मिलेगी। उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक इस समय एमटीएनएल पर 20,000 करोड़ रुपये कर्ज है, जबकि इसमें 22,000 कर्मचारी हैं। वहीं बीएसएनएल पर 13,500 करोड़ रुपये कर्ज है, जबकि इसमें कुल 1,76,000 कर्मचारी हैं।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बीएसएनएल जैसी कंपनी के लिए 2,500 करोड़ रुपये समुद्र में एक बूंद डालने जैसा है। एक विशेषज्ञ ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'जब तक बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या कम नहीं की जा सकती है और उसकी जमीनें नहीं बेची जाती हैं, कोई समाधान संभव नहीं है। टेलीफोन एक्सचेंज बनाने के लिए जमीन राज्यों ने दी है और यह राज्य से जुड़ा मसला है। सरकार उस जमीन या संपत्ति को कैसे बेचती है, यह देखने की जरूरत है।'
इस समय बीएसएनएल भारी घाटे, वेतन भुगतान में देरी, बड़ी संख्या में कर्मचारियों व 4जी स्पेक्ट्रम न होने के संकट से जूझ रही है। ऐसे में भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो जैसी निजी कंपनियों के सामने बीएसएनएल को बने रहने का भी संकट है। केंद्र सरकार इस महीने के अंत तक बीएसएनएल को 850 करोड़ रुपये और देने के लिए राजी हो गई है, जिससे मौजूदा कर्ज व वेतन का भुगतान किया जा सके। बहरहाल केंद्र सरकार कर्ज से लदी कंपनी के पुनरुद्धान के लिए योजना तैयार कर रही है।
प्रतिस्पर्धी दूरसंचार क्षेत्र में बने रहने के लिए बीएसएनएल और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) दोनों ने ही वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से केंद्र सरकार से राहत दिए जाने की मांग की है। कंपनियों के मांग के आधार पर केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि दोनों बीमार कंपनियों को जल्द ही पुनरुद्धार पैकेज दिया जाएगा।
बीएसएनएल के प्रस्तावित पैकेज में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के लिए 6,365 करोड़ रुपये और 4जी स्पेक्ट्रम के आवंटन की इक्विटी के लिए 6,767 करोड़ रुपये की मांग की गई है। बीएसएनएल के 1,76,000 कर्मचारियों में से आधे अगले 5 से 6 साल में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। अगर सिर्फ 50 प्रतिशत कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (जो 50 साल से ऊपर के हैं) का विकल्प अपनाते हैं तो ऐसे कर्मचारियों की संख्या 40,000 होगी।
हर कर्मचारी के लिए वीआरएस की गणना सेवा के हर साल के 35 दिन के वेतन और शेष वर्षों के 25 दिन के वेतन के मुताबिक की जाएगी। एमटीएनएल के मामले में वीआरएस पैकेज का राजस्व पर 2,120 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है। कंपनी में 22,000 कर्मचारी हैं, जिसमें से 16,000 कर्मचारी अगले 5 साल में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उम्मीद की जा रही है कि वीआरएस के लिए वित्तपोषण 10 साल का बॉन्ड जारी करके होगा, जिसका भुगतान कंपनी की भूमि संपत्तियों के मुद्रीकरण के माध्यम से होगा।
बीएसएनएल को पुनरुद्धार पैकेज के तहत 4जी स्पेक्ट्रम मिल सक ता है और उसे 2100 मेगाहट्र्ज बैंड में उदारीकृत स्पेक्ट्रम बाजार भाव पर मिल सकता है। कंपनी की वित्तीय हालत बहुत खराब है और बीएसएनएल का कर्ज बढ़कर 13,500 करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि दूरसंचार क्षेत्र का कुल कर्ज 6.1 लाख करोड़ रुपये है।
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