सोने के मुकाबले चांदी कमजोर 26 साल के निचले स्तर पर
राजेश भयानी / मुंबई June 23, 2019
चांदी की कीमतें सोने के मुकाबले 26 वर्षों के निचले स्तर पर आ गई हैं। कीमतों में तुलना सोने और चांदी की कीमत के अनुपात के आधार पर की जाती है। इस समय यह अनुपात 90 है, जो मार्च 1993 के बाद अपने उच्चतम स्तर पर है। अधिक अनुपात बताता है कि चांदी सोने के मुकाबले काफी सस्ती हो गई है। अब सवाल है कि क्या निवेशकों को चांदी पर दांव लगाना चाहिए?
विशेषज्ञों एवं विश्लेषकों का मानना है कि निकट अवधि में चांदी ऊंचा प्रतिफल दे सकता है और चांदी के मजबूत होने पर सोना और चांदी का अनुपात कम होकर 80 तक आ सकता है। मेटल्स फोकस के निदेशक फिलिप न्यूमैन कहते हैं, 'लगातार चुनौतियां झेलने के बाद भी चांदी की कीमत को लेकर हम 2019 की शेष अवधि के लिए सतर्क लेकिन सकारात्मक हैं।' इस सलाहकार कंपनी का मानना है कि आर्थिक हालात लचर रहने से सोना में निवेश बढ़ेगा, जिसका फायदा चांदी को भी मिल जाएगा। इस सतर्क रुख की वजह यह है कि चांदी की आंधी मांग उद्योग जगत से आ रही है, लेकिन व्यापार युद्ध के कारण इसकी (उद्योग) रफ्तार सुस्त हो गई है।
मेटल फोकस ने हाल में ही जारी सिल्वर फोकस 2019 रिपोर्ट में कहा है, 'साल के अंत तक चांदी की कीमत 18 डॉलर शायद ही पार कर पाएगी। यह स्तर 2018 की तीसरी तिमाही के बाद से अब तक नहीं दिखा है। सालाना औसत आधार पर कीमतें 15.60 डॉलर रह सकती हैं।' 2019 में चांदी कीमतें औसतन 15.23 डॉलर रही हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो चांदी से 2019 में 20 प्रतिशत प्रतिफल मिल सकता है। आनंद राठी कमोडिटीज में जिंस एवं मुद्रा प्रमुख नवीन माथुर कहते हैं, 'एक कीमती धातु के तौर पर चांदी से जुड़ी बुनियादी चीजें मजबूत हो रही हैं, लेकिन निवेशकों को कुछ और समय तक 80 से अधिक अनुपात के साथ रहना पड़ सकता है। आधार धातुएं सुस्त लग रही हैं, जिससे चांदी की मांग पर भी कुछ हद तक असर पड़ा है।' माथुर निकट अवधि में चांदी से बड़ा प्रतिफल मिलने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।
भारत सबसे बड़ा निवेशक
भारत में चांदी के निवेश का आकार 2018 में 1,680 टन था, जिससे यह दुनिया में चांदी में निवेश करने वाला सबसे बड़ा बाजार बन गया था। अब तक भारत का सबसे बड़ा उपभोक्ता खंड आभूषण एवं चांदी से बने उत्पाद रहे हैं। हालांकि दोनों में सकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई है और ये वैश्विक स्तर पर मांग को मजबूती देते रहे हैं और भारत में चांदी की मांग में 30 प्रतिशत वृद्धि देखी गई।
मेटल फोकस की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 1 किलोग्राम और 5 किलोग्राम की साबूत चांदी की मांग 2017 के 15 किलोग्राम और 30 किलोग्राम के मुकाबले अधिक दिखी। इससे पता चलता है कि छोटे खुदरा निवेशक बाजार में लौट आए हैं। भारत में निवेश के लिए चांदी की मांग कीमतों के प्रति संवेदनशील रही है और परंपरागत निवेशक निवेश का एक हिस्सा कारोबार या निचले स्तर खरीदकर ऊंचे स्तर पर बेचने के लिए करते हैं। वैश्विक शोध कंपनी जीएफएमएस टीआर में भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात पर नजर रखने वाले वरिष्ठï विश्लेषक देवजित साहा को जून तिमाही में चांदी की मांग में तेजी आने की उम्मीद है।
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