फेड की धुन पर झूमा बाजार | सुंदर सेतुरामन / मुंबई June 20, 2019 | | | | |
ब्याज दरों पर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के सकारात्मक रुख को देखकर गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार झूम उठे। बुधवार को फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया और इस बात के पुख्ता संकेत दिए कि बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए वह भविष्य में दरें घटाने से नहीं हिचकेगा। अमेरिकी केंद्रीय बैंक के इस रुख से उत्साहित बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 489 अंक उछलकर 39,601 अंक पर पहुंच गया। 3 जून के बाद यह सूचकांक में आई सबसे बड़ी तेजी है। इसी तरह, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) निफ्टी भी 140 अंक चढ़कर 11,831 पर बंद हुआ। बुधवार के 69.70 के मुकाबले रुपया भी मजबूत होकर 69.44 पर बंद हुआ। तेल कीमतों में भी तेजी दर्ज की गई, साथ ही सोने का भाव भी पिछले पांच वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
अमेरिका में सरकारी बॉन्ड पर प्राप्तियां 2 प्रतिशत से नीचे फिसलने के बाद ज्यादातर एशियाई और यूरोपीय बाजारों में उछाल आई। कारोबारियों का कहना है कि फेडरल रिजर्व अगले महीने संभवत: दरों में कमी कर सकता है। पिछली बार करीब 11 साल पहले वैश्विक वित्तीय संकट के बाद अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें घटाई थीं। बैंक के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि अमेरिका और चीन में व्यापरिक मसलों पर तनातनी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इसके विपरीत प्रभाव के बीच महंगाई दर अनुमान से कम रहने से उन्हें रुख में बदलाव करना पड़ा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नन शक्तिकांत दास ने कहा कि वृद्धि स्पष्ट तौर पर कमजोर हुई है, जबकि महंगाई वित्त वष 2019-20 मेंं 4 प्रतिशत से नीचे रह सकती है। कारोबारियों ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार पर कुछ सहमति बनने की उम्मीदों से भी निवेशकों का उत्साह बढ़ा। वेलेंटिस एडवाइजर्स की संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक ज्योति जयपुरिया ने कहा, 'इस बार अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने अपने बयान में धैर्य शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है, जिससे आने वाले समय में दरों में कटौती के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। निवेशकों को लग रहा है कि अब फेडरल रिजर्व मौद्रिक नीति पर सरल रख रखेगा।'
कंपनियों की कमजोर बुनियादी और मॉनसून की सुस्ती के मद्देनजर पिछले पांच कारोबारी सत्रों में घरेलू बाजार में गिरावट देखने को मिली थी। इनके अलावा अमेरिकी सामान पर अधिक शुल्क लगाने के भारत के निर्णय ने भी निवेशकों की चिंता बढ़ा दी थी। फस्र्ट ग्लोबल के संस्थापक एवं मुख्य वैश्विक रणनीतिकार शंकर शर्मा ने कहा, 'पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से बाजार में लगातार गिरावट आ रही थी। बाजार बेसब्री से उछाल भरने की आस में था और फेडरल रिजर्व के रुख ने यह मुराद पूरी कर दी। गुरुवार की तेजी मात्र एक राहत मानी जा सकती है। आने वाले समय में कंपनियों की बुनियादी मजबूती ही बाजार की दिशा बरकरार रख सकती है। कंपनियों की आय में बिना किसी बड़ी तेजी के बाजार से उछलने की उम्मीद लगाना मुनासिब नहीं होगा।'
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