दबाव वाली संपत्तियों के लिए खाका | रुचिका चित्रवंशी और सोमेश झा / नई दिल्ली June 19, 2019 | | | | |
इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने भारतीय रिजर्व बैंक की 7 जून की अधिसूचना के मुताबिक दबाव वाली संपत्तियों के समाधान के लिए इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट (आईसीए) का खाका तैयार किया है। रिजर्व बैंक के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक सभी कर्जदाताओं को अनिवार्य रूप से इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने होंगे। रिजर्व बैंक ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि समाधान योजना लागू किए जा रहे मामलों में सभी कर्जदाताओं को एक कंसोर्टियम के रूप में समीक्षा की अवधि के 30 दिन के भीतर इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट करना होगा।
जुलाई 2018 नियम में कर्जदाता समझौते को रद्द कर सकता था, वहीं नए समझौते में ऐसा प्रावधान नहीं है, जब तक कि रिजर्व बैंक या कोई अन्य नियामक संस्था इसे रद्द करने के लिए दिशानिर्देश न दे। आईसीए ने रिजर्व बैंक द्वारा अनिवार्य किए गए प्रमुख प्रावधानों को दबाव वाली संपत्तियों के समाधान के अपने विवेकपूर्ण ढांचे में डाला है, और जुलाई 2018 में करीब 35 कर्जदाताओं द्वारा हस्ताक्षरित पहले के गैर बैंकिंग समझौते में बदलाव किया गया है। प्रस्तावित आईसीए में समाधान योजना के तहत प्रावधान किया गया है कि 'सभी कर्जदाताओं की बकाया राशि का भुगतान करके कर्ज लेने वाले के खाते को नियमित किया जाए'। आईबीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसका प्रभावी आशय कम अवधि में एकमुश्त समाधान या बकाये का वास्तविक पुनर्भुगतान हो सकता है।
आईबीए के मुख्य कार्यकारी वीजी कन्नन की ओर से सभी कर्जदाताओं को लिखे गए पत्र में कहा गया है, 'कर्जदाताओं द्वारा आईसीए को हर मामले में स्वीकार किया जा सकता है, जिसमें रिजर्व बैंक के विवेकपूर्ण ढांचे के तहत एक समाधान योजना लागू कर इसके निपटारे की जरूरत होगी। इसमें किसी खास मामले में बदवाव या सुधार किया जा सकता है।' समझौते में समाधान योजना के लिए कर्जदाताओं द्वारा मतदान की प्रक्रिया तय की गई है। अगर कोई कर्जदाता मतदान से बाहर रहता है तो यह माना जाएगा कि उसने योजना के खिलाफ मतदान किया है। बहरहाल असहमति जताने वाले कर्जदाता समाधान योजना का हिस्सा बन सकते हैं, अगर वे योजना लागू होने की अवधि के दौरान अपना मन बदल देते हैं। इस समझौते में संपत्ति की बिक्री से प्राप्त धन असहम कर्जदाताओं के बकाये की राशि से कम नहींं होगी, जैसा रिजर्व बैंंक ने कहा है। पहले के प्रावधान में प्रमुख कर्जदाता को अनुमति दी गई थी कि वह असहमत कर्जदाता की संपत्ति खरीद सकता है, जिसका मूल्य समाधान मूल्य के 85 प्रतिशत के बराबर होगा।
रिजर्व बैंंक के नए मानकों में बैंकों को चूक के बाद से योजना के बारे में सोचने के लिए 30 दिन का वक्त और फिर योजना लागू करने के लिए 180 दिन का वक्त दिया गया है। समाधान योजना को लागू करने में बैंक देरी कर सकते हैं, लेकिन उन्हें ऐसे मामलों में कड़े प्रावधान करने की जररूरत होगी। बहुसंख्य कर्जदाता की परिभाषा भी बदली गई है, जिससे रिजïर्व बैंक के दिशानिर्देशों का पालन किया जा सके। कुल बकाये का 75 प्रतिशत देने वाले कर्जदाता और कर्जदाताओं की 60 प्रतिशत संख्या को बहुसंख्य कर्जदाता माना गया है।
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