डॉक्टर हड़ताल खत्म करने पर सहमत | अभिषेक रक्षित / June 17, 2019 | | | | |
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर सोमवार को अपनी सप्ताह से चल रही हड़ताल खत्म करने को सहमत हो गए। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ राज्य सचिवालय में मुलाकात के बाद यह फैसला लिया। 31 जूनियर डॉक्टर अपनी बिरादरी के प्रतिनिधि के रूप में 12 मांगों की सूची के साथ बनर्जी से मिले। इस मौके पर राज्य सरकार में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, प्रशासनिक प्रमुख, पुलिस और वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद थे। उनकी मुलाकात का सचिवालय से सीधा प्रसारण किया गया। हड़ताली डॉक्टरों ने मांग रखी थी कि वे मुख्यमंत्री से तभी मिलेंगे, जब बैठक का मीडिया द्वारा सीधा प्रसारण किया जाएगा। उन्होंने पिछले शुक्रवार और शनिवार को दो बार बनर्जी से मुलाकात की पेशकश ठुकरा दी थी।
इन मांगों में विभिन्न सहकारी सहायता प्राप्त और निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रशासन एवं बुनियादी ढांचे जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। हड़ताली डॉक्टरों ने मांग की थी कि अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सैन्य बलों को तैनात किया जाए और डॉक्टरों के साथ मारपीट करने वाले लोगों पर गैर-जमानती धाराओं के तहत पुलिस कार्रवाई होनी चाहिए। हड़ताली डॉक्टरों की मांगों पर सुनवाई करते हुए बनर्जी ने सुझाव दिया कि नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। ये अधिकारी राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा समेत सुरक्षा के सभी पहलुओं को देखेंगे।
बनर्जी ने कहा, 'डॉक्टरों को अन्य मरीजों को भी देखना होता है, इसलिए वे मरीजों की हालत या मृत्यु के बारे में बताने की स्थिति में नहीं होते है। इसलिए एक ऐसे तीसरे व्यक्ति को जोड़ा जाना चाहिए, जो मरीज के परिजनों को स्थिति के बारे में जानकारी दे सके।' बनर्जी ने एनआरएस अस्पताल में मरीज की मौत के बाद परिजनों द्वारा एक जूनियर डॉक्टर के साथ मारपीट की घटना पर दुख जताया। उन्होंने कहा, 'हम हमेशा लोगों से गुजारिश करते हैं कि वे कानून व्यवस्था को अपने हाथ में न लें। लेकिन ऐसी छिटपुट घटनाएं होती हैं। लोगों को इस बारे में जागरूक बनाने की जरूरत है।'
पश्चिम बंगाल के आंदोलनरत चिकित्सकों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए देशभर के चिकित्सकों ने हेलमेट पहनकर और मानव शृंखलाएं बनाकर सोमवार को हड़ताल की, जिसके कारण पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने देशभर में सोमवार को हड़ताल का आह्वान किया था। देशभर के कई सरकारी और निजी अस्पतालों में बाह्य मरीज विभाग (ओपीडी) बंद रहे और निर्धारित ऑपरेशन स्थगित कर दिए गए। हालांकि, आपात सेवाएं बंद नहीं की गईं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के डॉक्टरों ने भी काम का बहिष्कार किया और विरोध प्रदर्शन किया। असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, हरियाणा और केरल समेत अन्य राज्यों से भी इसी प्रकार की रिपोर्ट मिली हैं। हड़ताल से अनजान बड़ी संख्या में मरीजों और उनके संबंधियों को विभिन्न अस्पतालों के बाहर इंतजार करते देखा और प्राधिकारियों से मदद की गुहार लगाते देखा गया।
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