बाजार को आर्थिक सुधार, एनबीएफसी के समाधान का इंतजार | |
स्वाति वर्मा / 06 17, 2019 | | | | |
आगामी बजट से बाजार को उम्मीदें हैं और नीतिगत घोषणा के लिए वह बजट का इंतजार कर रहा है। यूटीआई एएमसी के कार्यकारी उपाध्यक्ष व फंड मैनेजर अजय त्यागी ने स्वाति वर्मा को दिए साक्षात्कार में कहा, इस साल राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.4 फीसदी रहने देना खराब विकल्प नहींं होगा। उन्होंने कहा, प्राथमिकता बढ़त की घटती रफ्तार को थामने की होनी चाहिए। पेश हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश...
कैलेंडर वर्ष 2019 की दूसरी छमाही बाजार के लिए कैसी रहेगी?
सरकार के लिए कठिन लड़ाई अब शुरू हुई है। जीडीपी घटकर 6 फीसदी से नीचे आ गई है और बेरोजगारी की दर कई दशक के उच्च स्तर पर है। आर्थिक रफ्तार दोबारा 7 फीसीद पर ले जाने के लिए सरकार को काफी कुछ करना होगा, जिसमें राजकोषीय कदम शामिल हैं। इस साल राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.4 फीसदी रहने देना बुरा विकल्प नहीं होगा क्योंकि सबसे पहले बढ़त की घटती रफ्तार पर लगाम कसना होगा। इस नजरिये से बाजार में कुछ एकीकरण हो सकता है, जो अर्थव्यवस्था में सुधार और कंपनियों की आय की रफ्तार में सुधार का इंतजार कर रहा है।
कंपनियों की आय पर आपका क्या नजरिया है?
कंपनियों की आय और जीडीपी की रफ्तार बाजार को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है। हम वित्त वर्ष 2020 के लिए आय में कम बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। मौजूदा नरमी के बावजूद अनुकूल आधार प्रभाव है, जो वित्त वर्ष 2020 में दो अंकों में आय बढ़ोतरी दर्ज करने में मदद करेगा।
क्या खुदरा निवेशकों की तरफ से निवेश अब जोर पकड़ेगा?
दुर्भाग्य से ज्यादातर खुदरा निवेशक अपने भविष्य के आवंटन पर फैसला लेने के लिए अलग-अलग संपत्ति वर्ग से रिटर्न के लिहाज से पीछे देखते हैं। म्युचुअल फंड के मामले में निवेश मुख्य रूप से खुदरा निवेशकों से आता है और जैसा कि मुझे नजर आ रहा है निवेशकों ने पिछले एक साल से कमाई नहीं की है। ऐसे में ऐसे निवेशक थोड़ा वक्त ले सकते हैं। हालांकि ढांचागत लिहाज से मुझे ज्यादा से ज्यादा खुदरा निवेशक अपना निवेश म्युचुअल फंडों के जरिए इक्विटी बाजारों में लगा रहे हैं।
आपकी निवेश रणनीति क्या है?
वैश्विक साइक्लिकल मसलन ऊर्जा (तेल व गैस समेत), धातु पर हमारा नजरिया मंदी का बना हुआ है। दूसरी ओर उपभोग व बैंकिंग क्षेत्र को लेकर हम सकारात्मक हैं। लेकिन वहां भी हम चुनिंदा शेयरों पर नजर डाल रहे हैं और सिर्फ निजी क्षेत्र के बैंकों में निवेश कर रहे हैं। इसके अलावा हमें आईटी सेवा कंपनियां पसंद हैं।
बजट से आपकी क्या उम्मीदें हैं?
सरकार को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर नजर डालनी चाहिए। राजकोषीय घाटा 3.5 फीसदी या 3.6 फीसदी पर जाना बुरा नहीं होगा, अगर आर्थिक रफ्तार को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएं। ऐसा करना अभी आसान है क्योंंकि पूंजी की लागत और महंगाई काफी अनुकूल है।
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