इलेक्ट्रिक वाहनों पर नीति आयोग का जोर | |
शैली सेठ मोहिले और टी ई नरसिम्हन / मुंबई/चेन्नई 06 17, 2019 | | | | |
► वाहन उद्योग के प्रतिनिधियों से मिलेंगे अमिताभ कांत
► उद्योग की शिकायत, जल्दबाजी कर रही है सरकार
दोपहिया और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की नीति पर आगे की रूपरेखा तय करने के लिए नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत 21 जून को दिल्ली में वाहन निर्माता कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों से मिल सकते हैं। दरअसल नीति आयोग को इस मुद्दे पर वाहन बनाने वाली अग्रणी कंपनियों, उद्योग संस्था भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और वाहन कंपनियों की संस्था सायम की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। उनका आरोप है कि आयोग व्यापक विचार विमर्श के बिना इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में जल्दबाजी कर रहा है।
इस बैठक में विभिन्न वाहन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के हिस्सा लेने की संभावना है जिनमें हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन पवन मुंजाल, बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज, टीवीएस मोटर के चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन, महिन्द्रा ऐंड महिन्द्रा के प्रबंध निदेशक पवन गोयनका शामिल हैं। इन सभी ने विभिन्न वाहन वर्गों में तय समयसीमा के भीतर इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की सरकार की प्रस्तावित योजना की कड़ी आलोचना की है। इस योजना के तहत 150 सीसी से कम क्षमता वाले सभी तिपहिया और दोपहिया वाहनों को क्रमश: 2023 और 2025 तक इलेक्ट्रिक में बदला जाना है।
भारत दोपहिया और तिपहिया वाहनों का सबसे बड़ा बाजार है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में 21,181,390 दोपहिया और 701,011 तिपहिया वाहन बिके थे। अधिकांश वाहन कंपनियां स्वच्छ प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की सरकार की पहल पर सैद्घांतिक रूप से सहमत हैं और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए निवेश करने की इच्छुक हैं। लेकिन वे इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करना चाहते हैं ताकि वाहन उद्योग को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
सायम के अध्यक्ष राजन वढ़ेरा ने एक बयान में कहा कि योजना व्यावहारिक होनी चाहिए और इससे वाहन उद्योग को अनावश्यक परेशानी नहीं होनी चाहिए। आशंका जताई जा रही है कि दोपहिया और तिपहिया वर्ग में हड़बड़ी में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने से वाहनों के लिए कलपुर्जे बनाने वाला उद्योग मुसीबत में पड़ सकता है। 55 अरब डॉलर के इस उद्योग में छोटी और मझोली कंपनियों का दबदबा है और इसमें 30 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
ऑटोमेटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राम वेंकटरमानी का कहना है कि उद्योग पर पहले से ही बहुत दबाव है। एक तरफ वाहनों की बिक्री में कमी के कारण उद्योग परेशान है और दूसरी ओर बीएस-चार से बीएस-छह उत्सर्जन मानक अपनाने की समयसीमा का भी सामना करना पड़ रहा है। वेंकटरमानी ने कहा कि ऐसे मुश्किल समय में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से वाहन कलपुर्जा उद्योग की कमर टूट सकती है। साथ ही इससे बीएस-छह व्यवस्था के लिए किए जा रहे 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश पर भी सवाल खड़े होते हैं। इसलिए सरकार को कोई बड़ा फैसला लेने से पहले सभी पक्षों से व्यापक विचार विमर्श करना चाहिए।
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