अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को कर्ज आसान करने की कवायद | श्रेया जय / नई दिल्ली June 16, 2019 | | | | |
परंपरागत ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश कम होने और अक्षय ऊर्जा के स्थान बनाने के बीच नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) चाहता है कि इस क्षेत्र के लिए वित्तपोषण और वित्तीय नियमन की अलग व्यवस्था हो। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक से कहा है कि अक्षय ऊर्जा के लिए ताप बिजली से अलग नियम बनाए जाएं, जिससे इस क्षेत्र के लिए अलग से पूंजी का इंतजाम हो सके। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'एमएनआरई ने रिजर्व बैंक से कहा है कि अब अक्षय ऊर्जा को परंपरागत ऊर्जा से अलग किए जाने की जरूरत है। बिजली परियोजनाओं में बैंक निवेश करने से बच रहे हैं। लेकिन अक्षय ऊर्जा बढ़ता हुआ क्षेत्र है और हम नहीं चाहते कि यह क्षेत्र ताप बिजली की समस्याओं की वजह से प्रभावित हो। भारत के ताप बिजली क्षेतत्र पर 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बैंकों का बकाया है, जो गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल गया है और इस समय 40,000 मेगावॉट क्षमता की परियोजनाएं चालू हालत में नहीं हैं।'
इसके अलावा एमएनआरई ने रिजर्व बैंक से कहा है कि प्राथमिकता वाले क्षेत्र को कर्ज देने में 15 करोड़ रुपये की अधिकतम सीमा अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए खत्म की जानी चाहिए। यह कदम बोली में मौजूदा बदलाव के हिसाब से होगा क्योंकि अब बड़ी परियोजनाओं की पेशकश की जा रही है। वहीं पवन ऊर्जा क्षेत्र के घरेलू वित्तपोषण की जरूरत है क्योंकि इसे नियामकीय चुनौतियों और इसकी वजह से विदेशी निवेश में कमी के संकट से जूझना पड़ रहा है। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'भारत अब सौर क्षेत्र में बड़ी परियोजनाओं की योजना बना रहा है। परियोजना का न्यूनतम आकार 500 मेगावॉट का है, जिसमें कम से कम 2,000 से 2,500 करोड़ रुपये तक की निवेश की जरूरत है। ऐसे में बदलाव की बहुत ज्यादा जरूरत है।'
मई में उद्योग जगत और सरकार के साथ हुई बातचीत में इस क्षेत्र के बड़े अधिकारियों ने कहा था कि देश में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की वृद्धि की राह में सबसे बड़ी बाधा वित्तपोषण है। मई में एमएनआरई के चिंजन बैठक में मौजूद इस उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'पूंजी निवेश की कमी और एनपीए के जोखिम से इस क्षेत्र को खतरा है। इस क्षेत्र में 2030 तक 55 अरब डॉलर निवेश की जरूरत है।' शुरुआती पूंजी की जरूरत पूरा करने की चुनौतियों के समाधान के लिए एमएनआरई ने इस क्षेत्र के प्रमुख वित्त प्रदाताओं पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) और इंडियन रिन्यूएबल डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) से अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए विशेषीकृत उधारी योजनाएं तैयार करने को कहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'कर्ज देने वाली इन तीन एजेंसियों से एमएनआरई ने कहा है कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को कम अवधि /निर्माण की अवधि के लिए कर्ज दिया जाना चाहिए। अगर निर्माण के अहम वक्त के लिए कर्ज मिल जाता है तो यह उद्यमियों को इस क्षेत्र में नए निवेश लाने में मददगार होगा।' पीएफसी ने 2017 में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए अलग उधारी योजना पेश की थी। वित्त वर्ष 2018-19 में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को दिए जाने वाले कंपनी के कर्ज में 260 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। परियोजनाओंं को आकर्षित करने के लिए एजेंसी ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए ब्याज की दरें भी घटाकर 9.5 से 11 प्रतिशत के बीच कर दिया है।
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