डॉक्टरों के इस्तीफों की लगी झड़ी | ईशिता आयान दत्त / June 14, 2019 | | | | |
बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल बड़ी समस्या बनती जा रही है। शुक्रवार को 400 से अधिक जूनियर और सीनियर डॉक्टरों ने सेवा से इस्तीफा देने की इच्छा जताई। एसएसकेएम हॉस्पिटल, आर जी कर मेडिकल कॉलेज, नैशनल मेडिकल कॉलेज और एनआरएस मेडिकल कॉलेज समेत कई मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों से डॉक्टरों के इस्तीफे की पेशकश की रिपोर्ट दिनभर आती रहीं। सबसे पहले अपने इस्तीफे की पेशकश एनआरएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल शैवाल कुमार मुखर्जी और सौरभ चटोपाध्याय (मेडिकल सुपरीटेंडेंट ऐंड वाइस प्रिंसिपल) ने की। यही कॉलेज विरोध-प्रदर्शन का मुख्य केंद्र है। दोनों ने मेडिकल कॉलेज में समस्या को नियंत्रित रखने में नाकाम रहने के लिए गुरुवार को त्यागपत्र दिया था। सबसे अधिक (177) इस्तीफे एसएसके से आए हैं। वहीं एनआरएस मेडिकल कॉलेज के करीब 100 डॉक्टरों ने इस्तीफे दिए हैं। लेकिन शहर के कॉलेजों के हड़ताली डॉक्टरों को कोलकाता और बंगाल के बाहर भी समर्थन मिला है। नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के भी बहुत से डॉक्टरों ने इस्तीफे दिए। देश भर के डॉक्टरों ने हड़ताली डॉक्टरों को अपना समर्थन दिया है।
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर मंगलवार से ही हड़ताल पर हैं। कोलकाता में एनआरएस मेडिकल कॉलेज में एक मरीज की मौत से नाराज उसके परिजनों ने दो जूनियर डॉक्टरों पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था। राज्य में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल चौथे दिन भी जारी रहने से सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों और कई निजी अस्पतालों में नियमित सेवा प्रभावित रहीं। डॉक्टरों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने हड़ताली डॉक्टरों को अपना समर्थन देने के लिए शुक्रवार को तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन शुरू किया। आईएमए ने 17 जून को हड़ताल का आह्वान किया है। उस दिन गैर-जरूरी सेवाएं बंद रखी जाएंगी।
एसोसिएशन स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की पहले की मांग फिर दोहराई है। उनकी मांग है कि इस कानून का उल्लंघन करने वाले को कम से कम सात साल के कारावास का प्रावधान किया जाए। यह विरोध-प्रदर्शन बंगाल के बाहर भी पहुंच गया है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से गुजारिश की है कि वह स्वास्थ्य कर्मियों को दी गई चेतावनी वापस लें और इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं।
उन्होंने कहा, 'मैं इस बात से बहुत दुखी हूं कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों से मार-पीट के खिलाफ विरोध में देश भर के डॉक्टरों को हड़ताल करनी पड़ी, जिससे पूरे देश में मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है।' उन्होंने डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे समाज के हित में अपनी पड़ताल बंद करें। उन्होंने कहा, 'मैं देश भर के अस्पतालों में उनके खातिर सुरक्षित माहौल बनाने के लिए सभी हरसंभव कदम उठाऊंगा। मैं उन सभी राज्यों को पत्र लिखूंगा, जहां ऐसी घटनाएं हुई हैं और डॉक्टरों के लिए काम करने का सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करूंगा।'
हालांकि मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फिर यह बात दोहराई कि विरोध-प्रदर्शन में बाहरी लोग शामिल हैं। लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हड़ताल पर कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए मनाए। उच्च न्यायालय ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह उसे (अदालत को) उन कदमों के बारे में सूचित करे, जो उसने सोमवार रात जूनियर डॉक्टरों पर हमले के बाद उठाए हैं।
डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए वकीलों और बंगाल के बुद्धिजीवियों के एक वर्ग ने न्याय की मांग को लेकर कोलकाता में एक जुलूस निकाला। अभिनेत्री अपर्णा सेन भी विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुईं। सेन 2011 के चुनावों से पहले ममता की उस परिवर्तन ब्रिगेड का हिस्सा थीं, जिसने वाम मोर्चे को बुरी तरह हराया था। वह विरोध-प्रर्दशन में शामिल होने से पहले एनआरएस मेडिकल कॉलेज गईं। उन्होंने कहा कि ममता को डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए। सेन ने कहा कि उन्होंने (ममता ने) उन्हें (डॉक्टरों) को चेतावनी दी, जिससे बंगाल और पूरे देश के डॉक्टर नाराज हो गए हैं। सेन ने कहा, 'प्रिय मुख्यमंत्री आप हमारी संरक्षक हैं। आप हमारी मां की तरह हैं। आप इन युवा डॉक्टरों से बड़ी हैं। कृपया उनका ध्यान रखिए।' ममता ने गुरुवार को हड़ताली डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए चार घंटे का समय दिया था। दिल्ली में कुछ सरकारी एवं निजी अस्पतालों के कई डॉक्टरों ने कोलकाता में आंदोलनरत चिकित्सकों के प्रति एकजुटता जताने के लिए शुक्रवार को काम का बहिष्कार करते हुए नारेबाजी की और मार्च निकाला।
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