अरूप रॉयचौधरी और शाइन जैकब / नई दिल्ली 06 13, 2019
वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.4 प्रतिशत पर रोकने का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य हासिल करने के चक्कर में नरेंद्र मोदी सरकार ईंधन और उर्वरक सब्सिडी में लगभग 62,000 करोड़ रुपये का भुगतान टाल सकती है। यह भुगतान वित्त वर्ष 2020-21 के लिए टाला जा सकता है। सब्सिडी का बकाया अगले साल के लिए टालना जरूरी हो गया है क्योंकि केंद्र को इस साल कर राजस्व में कमी आने और खर्च बढऩे की आशंका है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस लोकसभा चुनाव के लिए अपने संकल्प पत्र में कुछ कल्याणकारी वादे किए थे, जिन्हें पूरा करने के लिए अधिक रकम खर्च करनी पड़ेगी।
वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सरकारी और निजी उर्वरक कंपनियों को सब्सिडी के एवज में करीब 1.12 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है। इसमें चालू वित्त वर्ष के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपये की मांग है और पिछले साल का 32,000 करोड़ रुपये का बकाया भी है। चालू वित्त वर्ष के अंतरिम बजट में उर्वरक सब्सिडी के लिए 74,986 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार के स्वामित्व वाली तीन तेल विपणन कंपनियों - इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और ओएनजीसी की सहायक इकाई हिंदुस्तान पेट्रोलियम - को भी सब्सिडी के लिए कुल 63,100 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसमें चालू वित्त वर्ष के लिए 36,000 करोड़ रुपये चाहिए और 27,100 करोड़ रुपये पिछले बकाया हैं। अंतरिम बजट में पेट्रोलियम सब्सिडी के लिए 37,478 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
जुलाई में आने वाले पूर्ण बजट की तैयारी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अतिरिक्त खर्च की जरूरत नहीं पड़ी तो सब्सिडी आंकड़ों में बदलाव किए जाने की संभावना नहीं है। इसका मतलब है कि 37,014 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी आगे बढ़ा दी जाएगी और पेट्रोालियम के लिए 25,622 करोड़ रुपये की सब्सिडी अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दी जाएगी। एक अधिकारी ने कहा, 'हम शायद बकाया सब्सिडी के बड़े हिस्से को अगले साल के लिए टाल देंगे। लंबित भुगतान इस साल मुमकिन है या नहीं, इस पर चर्चा की गई है। लेकिन राजकोषीय हालत को देखते हुए यह विकल्प कारगर नहीं रह गया है।' अधिकारियों का कहना है कि खाद्य सब्सिडी में दिक्कत नहीं है।
सरकार ने खाद्य सब्सिडी बिलों को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय लघु बचत कोष में कमी पर जोर दिया है। वर्ष 2019-20 के लिए अनुमानित खाद्य सब्सिडी बजट 1.84 लाख करोड़ रुपये है। इस सप्ताह के शुरू में खबर आई थी कि जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को लोकसभा में अपना पहला आम बजट पेश करेंगी तो वह 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को जीडीपी के 3.4 प्रतिशत पर रखे जाने पर जोर देंगी। यह लक्ष्य अंतरिम बजट से बरकरार रखा जाएगा जो 1 फरवरी को पेश किया गया था। उर्वरक क्षेत्र में बढ़ते बोझ की एक मुख्य वजह यूरिया कीमतों में गैर-संशोधन है। इन कीमतों में लगभग आठ साल से कोई बदलाव नहीं किया गया है। दूसरी तरफ, सरकार द्वारा बकाया के गैर-भुगतान से भी तेल विपणन दिग्गजों आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल का कर्ज बढ़ा है। इसी तरह की स्थिति पिछले साल भी देखी गई थी और तब तेल कंपनियों का कर्ज मार्च 2019 के अंत तक 1.62 लाख करोड़ रुपये की पांच वर्ष की ऊंचाई पर पहुंच गया था।
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