दक्षेस देशों के लिए विमानपत्तन प्राधिकरण की योजना | अरिंदम मजूमदार / नई दिल्ली June 12, 2019 | | | | |
सरकार की भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (प्राधिकरण) पड़ोसी देशों में उड्डयन से जुड़े बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कदम रखने पर विचार कर रहा है। इस कदम से प्राधिकरण को अतिरिक्त आमदनी होगी और साथ ही इसके माध्यम से सरकार की कवायद है कि इलाके में भारत का प्रभाव बढ़े। प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'प्राधिकरण की बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट ने दक्षेस के कुछ देशों के साथ इस सिलसिले में चर्चा शुरू की है कि किस तरह से वे अपने देश में उड्डयन संबंधी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्राधिकरण की विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर सकते हैं।'
अधिकारी ने कहा, 'हमने नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से कहा है कि इन देशों से द्विपक्षीय बातचीत के दौरान इसे वे अपने एजेंडे का हिस्सा बनाएं।' दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। योजना के तहत प्राधिकरण एयरपोर्ट टर्मिनल बनाने, टर्मिनल पर प्रशिक्षण देने और हवाई यातायात प्रबंधन, तलाश एïवं बचाव कार्य की पेशकश करेगा, जिससे उसके गैर विमानन राजस्व में बढ़ोतरीहो सके। इस परियोजना के तहत नेपाल के काठमांडू में दूसरा हवाईअड्डा बनाने के लिए प्राधिकरण को काम मिल सकता है। प्राधिकरण अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी इस समय 125 हवाई अड्डोंं व 26 सिविल एनक्लेव का प्रबंधन पिछले कई साल से देख रही है और उसे हवाईअड्डों के परिचालन में विशेषज्ञता हासिल है। अब प्राधिकरण अपनी इस विशेषज्ञता का इस्तेमाल मौद्रिक फायदे के लिए कर सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि चीन द्वारा इलाके में बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) के तहत काम को देखते हुुए भारत अपना प्रभाव बढ़ाने के मकसद से भी यह काम कर रहा है। बीआरआई के तहत चीन आक्रामक रूप से दुनिया भर में रणनीतिक स्थलों पर प्रभाव बढ़ाने के लिए कर्ज देने एवं ऋण पुनर्गठन का काम कर रहा है। विमानन क्षेत्र की सलाहकार फर्म सीएपीए के एक अध्ययन के मुताबिक 2014 से 2016 के बीच चीन का इस क्षेत्र में बीआरआई के साथ 3 लाख करोड़ डॉलर का कारोबार हुआ है, जबकि इन देशोंं में निवेश 50 अरब डॉलर पार कर गया है।
बहरहाल चीन से जुड़े कर्ज का बोझ चिंता का विषय है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'प्राधिकरण के साथ अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग एजेंसियों जैसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को कहा गया है कि वे इलाके में बुनियादी ढांचे के विकास की संभावनाओं की तलाश करें। चीन के आक्रामक निवेश का मुकाबला करने के लिए भारत ने अपने पड़ोसियों को सहायता बढ़ाई है और अपनी विकास परियोजनाएं लागू करने के लिए प्रभावी तरीके से काम करने पर ध्यान दे रहा है।' उदाहरण के लिए नेपाल को भारत की सहायता 2017-18 में बढ़ाकर 650 करोड़ रुपये कर दी गई है, जो इसके पहले के साल के आवंटन की तुलना में 73 प्रतिशत ज्यादा है। एनएचएआई ने अपना कारोबार पहले ही भारत के बाहर बढ़ा लिया है। पिछले साल इसने म्यामार में एक राजमार्ग परियोजना के उन्नयन के लिए समझौता किया है।
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