दमदार रुपये से आईटी मार्जिन पर दबाव | देवाशिष महापात्र / बेंगलूरु June 12, 2019 | | | | |
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती से घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा कंपनियों के मार्जिन प्रोफाइल पर दबाव दिख सकता है। वीजा शुल्क में वृद्धि के बोझ और आउटसोर्सिंग अनुबंधों में मूल्य निर्धारण संबंधी दबाव के कारण चुनौतियां फिलहाल बरकरार रहने के आसार दिख रहे हैं। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये की मजबूती के कारण आईटी सेवा कंपनियों के परिचालन मार्जिन पर करीब 30 आधार अंकों का प्रभाव दिख सकता है। जनवरी से जून के पहले सप्ताह के दौरान भारतीय मुद्रा में करीब 1 रुपये की तेजी दर्ज की गई है। अप्रैल से जून की अवधि में अब तक रुपया औसतन करीब 30 पैसे मजबूत हो चुका है। रुपया फिलहाल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 69.4 रुपये के आसपास है।
इन्फोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी एवं बोर्ड सदस्य और एक्सफिनिटी वेंचर पार्टनर्स के चेयरमैन वी बालकृष्णन ने कहा, 'रुपये में किसी भी तरह की मजबूती से घरेलू आईटी सेवा कंपनियों के मार्जिन प्रोफाइल पर प्रभाव पड़ेगा। आमतौर पर रुपये-डॉलर मूल्य में 1 फीसदी बदलाव होने से परिचालन मार्जिन पर 30 से 40 आधार अंकों का प्रभाव दिखता है।' हालांकि उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये में हालिया तेजी का प्रभाव बाजार में मूल्य निर्धारण दबाव को झेलने की क्षमता के अलावा कंपनियों के व्यक्तिगत खजाना प्रबंधन दृष्टिïकोण पर निर्भर करेगा।
बालकृष्णन ने कहा, 'हरेक तिमाही के बीतने के साथ ही आईटी सेवा उद्योग के उत्पाद बाजार और उपभोक्ताओं की नजर में सामान्य बनते जा रहे हैं। इसलिए हाल के वर्षों में रुपये में उतार-चढ़ाव का असर कंपनियों के मार्जिन प्रोफाइल पर मामूली रहा है।' हालांकि घरेलू आईटी सेवा कंपनियां फिलहाल मार्जिन के मोर्चे पर चुनौतियों से जूझ रही हैं। आउटसोर्सिंग अनुबंध हासिल करने में तगड़ी प्रतिस्पर्धा और मूल्य निर्धारण संबंधी दबाव के कारण मार्जिन प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा खास तौर पर अमेरिका में ऑनसाइट नियुक्तियों में तेजी और भारत में वेतन वृद्धि संबंधी दबाव आईटी कंपनियों के मार्जिन प्रोफाइल को प्रभावित करने वाले अन्य कारक हैं।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय आईटी कंपनियों को आगामी वर्षों में मुनाफा मार्जिन के मोर्चे पर जोखिम का सामना करना पड़ेगा। क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान मार्जिन में ढांचागत तौर पर गिरावट (भारतीय आईटी सेवा कंपनियों के लिए) दर्ज की गई है। बिलिंग दरों एवं उपयोगिता में स्थिरता और कर्मचारी लागत में इजाफे से इस दबाव में केवल तेजी आएगी।' परिचालन मार्जिन में गिरावट की झलक सभी बड़ी कंपनियों के वित्तीय नतीजों में पहले ही मिल चुकी है। उदाहरण के लिए, टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस) का परिचालन मार्जिन 2018-19 में घटकर 25.6 फीसदी रह गया जो वित्त वर्ष 2015 में 26.9 फीसदी रहा था। इसी प्रकार इन्फोसिस का मार्जिन मार्च 2019 में समाप्त वर्ष के दौरान घटकर 22.8 फीसदी रह गया जो वित्त वर्ष 2015 में 25.9 फीसदी रहा था।
इन दो बड़ी आईटी सेवा कंपनियों के अलावा एचसीएल टेक्नोलॉजिज के परिचालन मार्जिन में भी वित्त वर्ष 2019 के दौरान 70 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की गई। क्रिसिल ने कहा, 'चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय आईटी सेवा कंपनियों के परिचालन मार्जिन में 30 से 80 आधार अंकों की और गिरावट दिख सकती है।'
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