एयरबस को हजार करोड़ का बेजा फायदा! | श्रीमी चौधरी / June 04, 2019 | | | | |
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एयर इंडिया और एयरबस के बीच हुए सौदे में धन शोधन की जांच कर रहा है। एयर इंडिया ने 43 यात्री विमानों की आपूर्ति के लिए एयरबस के साथ करार किया था। ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि सौदे में एयरबस को 1,000 करोड़ रुपये का बेजा फायदा पहुंचाया गया। प्रवर्तन एजेंसी के मुताबिक विमानों की खरीद के लिए तत्कालीन सुरक्षा पर कैबिनेट सुरक्षा समिति द्वारा मंजूर किए गए नियमों एवं शर्तों को रद्द किया गया और एयरबस के साथ खरीद समझौते में नई शर्तें जोड़ी गईं। ईडी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत को सबूतों सहित अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है।
सरकार ने 2006 में 43 एयरबस विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी। प्रत्येक विमान की कीमत इन शर्तों के साथ तय की गई थी कि एयरबस भारत में 17.5 करोड़ डॉलर (1,000 करोड़ रुपये) की कीमत के प्रशिक्षण एवं एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत एवं परिचालन) केंद्र की स्थापना करेगी। हालांकि इस खरीद ऑर्डर को अवैध तरीके से रद्द कर दिया गया, जिसे सरकार ने कुछ नियमों एवं शर्तों के साथ तय किया था। इस ऑर्डर पर हस्ताक्षर एयरबस के एक प्रतिनिधि और नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल के तहत आने वाली एयर इंडिया के सीएमडी ने किए थे। पटेल को गुरुवार को ईडी के सामने उपस्थिति होने के लिए कहा गया है। ईडी ने अदालत में सौंपी रिपोर्ट में कहा, 'इस खरीद ऑर्डर की सावधानीपूर्वक पड़ताल करने के बाद यह सामने आया है कि 'न केवल प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की शर्त हटाई गई बल्कि खरीद समझौते की धारा 16 में एक नई शर्त भी जोड़ी गई। इस धारा में कहा गया है कि एयरबस फ्रांस के ब्लागनाक या जर्मनी के हैम्बर्ग या अमेरिका के मयामी या चीन के पेइचिंग में अपने वर्तमान प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षण देगी, जो वहां उपलब्धता पर निर्भर करेगा।' बिज़नेस स्टैंडर्ड ने मामले की जांच रिपोर्ट की समीक्षा की है।
प्रशिक्षण की नई धारा में कई शर्तें शामिल हैं। इनमें एक शर्त यह भी है कि खरीदार के प्रशिक्षण के लिए रहने-सहने और यात्रा का खर्च खरीदार उठाएगा। अगर किन्हीं खास परिस्थितियों में अन्य विक्रेता के प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण मुहैया कराना पड़ा तो खरीदार को एयरबस के प्रशिक्षक से संबंधित सभी खर्चों का भुगतान करना पड़ेगा। इसके अलावा प्रशिक्षण सामग्री और उपकरणों की लागत का बोझ खरीदार को उठाना होगा। ईडी ने कहा है, 'समझौते की धारा 16 कैबिनेट समिति की इस मंजूरी के ठीक विपरीत है कि भारत में एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा।'
खरीद समझौते के नियम एवं शर्तों की और पड़ताल करने से पता चलता है कि दो महत्त्वपूर्ण शर्तों को उस अंतिम खरीद समझौते में शामिल नहीं किया गया, जिस पर भारतीय विमानन कंपनी के सीएमडी और एयरबस के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए थे। असल में इस समझौते के साथ नत्थी किए गए पत्र में पायलट प्रशिक्षण केंद्र, डेडीकेटेड स्पेयर सेंटर और एमआरओ इकाई स्थापित करने में सहयोग की बात कही गई है। इसका मतलब है कि भारतीय विमानन कंपनियों को ये सुविधाएं विकसित करने में अतिरिक्त पैसा खर्च करना पड़ेगा क्योंकि पत्र में सहयोग के लिए एयरबस द्वारा किसी अतिरिक्त निवेश की बात नहीं कही गई।
जांच एजेंसी ने तत्कालीन नागरिक उड्डन सचिव और एयर इंडिया के एक अधिकारियों से पूछताछ की, लेकिन वे शर्तों को हटाने को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। सचिव के यात्रा कार्यक्रम से पता चलता है कि वह एमआरओ और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की बातचीत के लिए फ्रांस गए थे। ईडी ने कहा, 'कैबिनेट की मंजूरी के बिना इन अहम बदलावों से भारतीय विमानन कंपनियों पर 1,000 करोड़ रुपये का वित्तीय असर (खरीदार पर प्रशिक्षण की अतिरिक्त लागत समेत) पड़ा है।' जब प्रफुल्ल पटेल से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
पटेल के एक नजदीकी सूत्र ने कहा, 'कैबिनेट द्वारा फैसला लिया जाने के बाद इस फैसले से संबंधित बातचीत एवं क्रियान्वयन का काम अधिकारी और संबंधित विमानन कंपनी करती है। मंत्री की भूमिका मंजूरी तक सीमित है और उस समय कोई भी ये मुद्दे किसी के संज्ञान में नहीं लेकर आया।'
कॉरपोरेट लॉबीइस्ट तलवार से जुड़े एयरबस के तार
ईडी ने जांच के दौरान एयरबस के डिप्टी सीएमडी मानेट पेस से स्पष्टीकरण मांगा और उनके साथ खरीद समझौता साझा किया। ईडी ने कहा कि गौर करने वाली बात यह है कि पेस बाद में कॉरपोरेट लॉबीइस्ट दीपक तलवार द्वारा नियंत्रित कंपनी (ट्रैक इंडिया) के निदेशक बने। ईडी ने अपनी जांच में मामले में तलवार की भूमिका एवं संबंध को भी उजागर किया है। ईडी के मुताबिक यह शर्त हटाए जाने के बाद एयरबस एवं उसकी सहयोगी कंपनियों ने दीपक तलवार को 142 करोड़ रुपये का भुगतान किया। यह पैसा तलवार की कंपनी के बैंक खाते में डाला गया।
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