राजनीतिक तपिश से महंगा हुआ प्याज! | सुशील मिश्र / मुंबई June 03, 2019 | | | | |
दो महीने पहले रसातल में रहने वाले प्याज की कीमतों में अचानक तेजी का रुख दिखने लगा है। प्याज में आई अचानक से तेजी से व्यापारी भी हैरान हैं। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद थोक बाजार में आठ रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाले प्याज के दाम 12 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गए, जबकि खुदरा बाजार में प्याज 30 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। अगले सप्ताह से महाराष्ट्र में मॉनसून के सक्रिय होने की संभावना है और इस साल के अंत में राज्य विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं जिससे अब प्याज पर महंगाई का रंग चढ़ा रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में प्याज की आवक लगभग सामान्य है। मंडी में आपूर्ति सामान्य रहने के बावजूद महज दो सप्ताह में प्याज के दाम 40 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए। लासलगांव थोक मंडी में प्याज का औसत भाव 1,200 रुपये प्रति क्विंटल पार कर गया, जबकि अधिकतम दाम 1,300 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर से और आगे बढऩे का संकेत दे रहे हैं। यहां मई की शुरुआत में प्याज का औसत भाव 800 रुपये प्रति क्विंटल बोला जा रहा था। थोक बाजार में कीमतें बढऩे का असर खुदरा बाजार पर भी पड़ा और कीमतें दोगुनी हो गई। महज 10 दिन पहले मुंबई के खुदरा बाजार में 10-15 रुपये किलोग्राम बिकने वाले प्याज के दाम बढ़कर 20-30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए।
आमतौर पर प्याज का भाव बढऩे की सबसे बड़ी वजह आवक में कमी होती है लेकिन लासलगांव सहित दूसरी मंडियों में प्याज की आपूर्ति सामान्य है। अभी बारिश भी शुरू नहीं हुई है। वाशी एपीएमसी के आलू-प्याज के थोक कारोबारी मनोहर तोतलानी कहते हैं कि करीब दो महीने से प्याज के दाम स्थिर थे लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद अचानक कीमतों में 10 रुपये प्रति किलोग्राम तक की बढ़ोतरी हो गई, जबकि आवक लगभग सामान्य है। प्याज के दाम बढऩे की वजह राजनीतिक लग रही है। इस साल महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों को देखते हुए प्याज में महंगाई बनी रह सकती है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों ने जान-बूझकर कीमतों को हवा देने वाली राजनीतिक चाल चलनी शुरू कर दी है। मुंबई में प्याज के खुदरा कारोबारी रफीक भाई कहते हैं कि कुछ समझ नहीं आ रहा है कि कीमतें अचानक क्यों बढ़ गईं। थोक बाजार में कीमतें बढऩे की वजह से हमें भी प्याज महंगा करके बेचना पड़ रहा है।
कारोबारियों का कहना है कि प्याज के दाम महंगे नहीं हुए बल्कि सही हुए हैं। अभी तक प्याज सस्ता था लेकिन फिर भी कीमतों में अचानक तेजी समझ से परे है। वैसे भी किसानों की मांग रही है कि उन्हे 8.5 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से दाम मिलने चाहिए। महज दो महीने पहले प्याज 1-2 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा था। जिससे किसान नाराज थे। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान द्वारा जारी भाव के अनुसार प्याज के दाम 20 मई से भागना शुरू हुए। 19 मई को लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही एक्जिट पोल के आंकड़े आने शुरू हो गए और 23 मई को नतीजे आए। 20 मई से पहले लासलगांव में प्याज का भाव 850 रुपये प्रति क्विंटल बोला जा रहा था जो 23 मई को बढ़कर 1,000 रुपये पहुंच गया और आज प्याज का औसत भाव 1,200 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गया। पिछले साल 2018 में मई महीने में लासलगांव में प्याज का औसत भाव 690 रुपये था जबकि 3 जून 2018 को औसत भाव 850 रुपये प्रति क्विंटल था।
इस साल देश में प्याज का उत्पादन लगभग पिछले साल के बराबर ही रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार देश में इस साल प्याज का उत्पादन लगभग 232.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल प्याज का उत्पादन 232.6 लाख टन हुआ था।
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