लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के 'महागठबंधन' में दरार दिखने लगी है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को ऐसे संकेत दिए कि सपा और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के साथ उनका 'महागठबंधन' समाप्त हो सकता है। यह गठबंधन उत्तर प्रदेश में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए अस्तित्व में आया था और माना जा रहा था कि यह भगवा दल को कड़ी चुनौती पेश करेगा। राज्य में बसपा के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद मायावती ने चुनाव नतीजों की विवेचना के लिए नई दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद मायावती ने पाया कि महागठबंधन से बसपा कोई लाभ नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि गठबंधन के सहयोगियों के वोट एक दूसरे को नहीं मिल पाए। उन्होंने अपने नेताओं को आगामी विधानसभा चुनाव किसी गठबंधन के भरोसे नहीं बल्कि अकेले दम पर लडऩे के लिए कार्यकर्ताओं को तैयार करने के लिए कहा। मायावती के बयान के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बसपा उत्तर प्रदेश में 11 सीटों के लिए होने वाले उप-चुनाव अकेले लड़ेगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार मायावती ने माना है कि अखिलेश यादव यादव मतों में विभाजन रोकने में असफल रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने यादव मत भाजपा के पाले में कर दिए और ऐसा कर उन्होंने राज्य में महागठबंधन को नुकसान पहुंचाया। गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव में राज्य में बसपा और सपा ने क्रमश: 38 और 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 3 सीटें रालोदी के लिए छोड़ दी थीं। गठबंधन ने रायबरेली और अमेठी से अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। बसपा को 10 और सपा को केवल 5 सीटें मिलीं। रालोद की झोली में कोई सीट नहीं आई।
