ज्यादा वेतन के लिए बढ़ाकर दिखाया लाभ | |
जयदीप घोष और देव चटर्जी / नई दिल्ली/मुंबई 06 03, 2019 | | | | |
► शिवशंकरन को भुगतान के लिए यूनिटेक को ऋण हुआ मंजूर
► शिवशंकरन ने इससे आईएफआईएन को किया भुगतान
► एडवाइजरी इनकम के लिए आईएफआईएन ने स्वयं किया रकम का प्रबंधन, आवंटित किए अधिक ऋण
► पार्श्वनाथ, ग्रेवेक इन्वेस्टमेंट और अन्य को पिछला ऋण चुकाने के लिए दी गई रकम
► कंपनी ने आरबीआई के निर्देशों का नहीं किया पालन
गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने आईएलऐंडएफएस मामले में पहला आरोप पत्र तैयार कर लिया है। एसएफआईओ ने आरोप पत्र में आईएफआईएन और आईएलऐंडएफएस ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के पूर्व निदेशकों पर मुनाफा बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने और होल्डिंग कंपनी को अधिक लाभांश देने के लिए अवैध तरीका अपनाने का आरोप लगाया है।
आरोप पत्र में कहा गया है कि मनगढ़ंत मुनाफे के आधार पर ही कंपनी प्रबंधन और निदेशक कंपनी से प्रदर्शन आधारित भत्ते एवं वेतन प्राप्त कर रहे थे। आईएलऐंडएफएस के निदेशक आईएफआईएन के निदेशक मंडल में भी शामिल थे और मनगढंत मुनाफे के आधार पर कमीशन और अन्य शुल्क ले रहे थे। इससे भुगतान में चूक करने वाली इकाइयों को गैर-निष्पादित आस्तियों में वर्गीकृत करने में देरी की गई।
आरोप पत्र में दावा किया गया है कि चेयरमैन रवि पार्थसारथि, वाइस-चेयरमैन हरिशंकरन, अरुण साहा, निदेशक विभव कपूर, के रामचंद, रमेश बावा, मिलिंद पटेल और राजेश कोटियन ने कंपनी के कर्मचारी कल्याण न्यास को 190 करोड़ रुपये ऋण मंजूर किए थे। बाद में इस रकम का इस्तेमाल आईएलऐंडएफएस के शेयर खरीदने के लिए गए ऋण चुकता करने और अन्य पुराने ऋणों के ब्याज भुगतान में किया गया।
आईएफआईएन ने सी शिवशंकरन, एबीजी, ए2जेड, पाश्र्वनाथ समूह की कंपनियों सहित अन्य इकाइयों को ऋण दिए थे। शिवा समूह की 15 कंपनियों को ऋण देने के अलावा निदेशकों ने समूह को भूगतान में चूक करने वाली सूची में जाने से बचाने के लिए एक अनोखा तरीका भी अपनाया। 2012 में आईएलऐंडएफएस ने यूनिटेक समूह को 125 करोड़ रुपये ऋण मंजूर किया, जिनका इस्तेमाल समूह पर 80 करोड़ रुपये कर्ज के एवज में सी शिवशंकरन को भुगतान करने के लिए किया गया। इसके अलावा आईएफआईएन ने 8 करोड़ रुपये की एडवाइजरी इनकम के लिए स्वयं वित्त पोषण किया औैर शिवशंकरन को अतिरिक्त 8 करोड़ रुपये ऋण मुहैया कराए। ऋण के बदले शिवा ग्रुप ने टाटा टेलिसर्विसेज के शेयर आईएफ आईएन को दे दिए।
जांच में यह बात भी सामने आई है कि आईएफआईएन में निदेशक रमेश बावा ने एएए इन्फोसिस्टम्स और एएएबी इन्फ्रास्ट्रक्चर में अपनी हिस्सेदारी के बारे में कुछ नहीं बताया। बावा कंपनी में शेयरधारक थे जबकि उनकी पत्नी और पुत्री निदेशक थीं। एएएबी इन्फ्रास्ट्रक्चर ने यूनिटेक के साथ करीब 12 करोड़ रुपये का लेनदेन किया था। आरोप पत्र में कहा गया है, 'तथ्यों को छुपाने से कंपनी के उन कर्जदाताओं को नुकसान पहुंचा था, जिन्होंने उधार दिए थे और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर्स में निवेश किए थे।' आरोपपत्र में ऑडिटरों-डेलॉयट और बीएसआर ऐंड कंपनी पर भी निशाना साधा गया है। कंपनियों की बुनियादी हालत बताने के लिए ऑडिटरों ने पेशेवर रवैया नहीं अपनाया।
|