आरकॉम सीओसी के निर्णय के खिलाफ दोहा बैंक | सुब्रत पांडा और देव चटर्जी / मुंबई May 30, 2019 | | | | |
रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) दिवालिया मामले में हस्तक्षेप करते हुए आरकॉम की सहायक इकाई रिलायंस इन्फ्राटेल के वित्तीय देनदारों में से एक दोहा बैंक ने गुरुवार को हुई आरकॉम सीओसी की बैठक में लिए गए निर्णयों पर नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) से रोक लगाने की मांग की। दोहा बैंक का आरोप है कि आरकॉम को रिलायंस इन्फ्राटेल द्वारा दी गई कॉरपोरेट बैंक गारंटी का बैंकों द्वारा इस्तेमाल किया गया और इससे रिलायंस इन्फ्राटेल का कर्ज काफी बढ़ गया। दोहा बैंक समेत चार बैंकों का रिलायंस इन्फ्राटेल में लगभग 1400 करोड़ रुपये का निवेश है।
दोहा बैंक का यह भी कहना है कि अंतरिम रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) ने उन बैंकों के दावे स्वीकार किए जिन्होंने चार संबद्घ बैंकों को जानकारी दिए बगैर ऐसी बैंक गारंटी का इस्तेमाल किया। इस मामले की अगली सुनवाई 31 मई को होगी। अंतरिम आरपी ने ट्रिब्यूनल को आरकॉम की कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के बारे में अपनी प्रगति रिपोर्ट भी सौंपी हे। पिछली सुनवाई में एनसीएलटी ने अंतरिम आरपी से सीआईआरपी की प्रगति रिपोर्ट सौंपने को कहा था। बुधवार को सीओसी बैठक का आयोजन अंतरिम आरपी द्वारा सौंपे गए दावों की समीक्षा करने और रिजोल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त करने के लिए किया गया था। ऋणदाताओं ने आरपी के तौर पर डेलॉयट की नियुक्ति के पक्ष में वोट दिया। अंतरिम आरपी आरबीएसए एडवाइजर्स है।
नैशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) द्वारा कर्ज में डूबी दूरसंचार कंपनी की सीआईआरपी प्रक्रिया को रद्द किए जाने के बाद कंपनी की सीआईआरपी प्रक्रिया को पुन: शुरू किया गया। परिचालन लेनदार एरिक्सन ने सितंबर 2017 में आरकॉम के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया का आवेदन किया था। इसे एनसीएलटी द्वारा स्वीकार किया गया था और आरकॉम लगभग 1500 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में विफल रही। हालांकि इस पर बाद में एनसीएलएटी द्वारा रोक लगा दी गई, क्योंकि दोनों पक्ष सहमत हो गए थे और आरकॉम 550 करोड़ रुपये चुकाने को तैयार हो गई थी। इस बीच, आरकॉम न्यायालय में चली गई और उसने एरिक्सन को चुकाई जाने वाली रकम की समय-सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया, क्योंकि उसे स्पेक्ट्रम बिक्री और अन्य परिसंपत्तियों की बिक्री में विलंब का सामना करना पड़ा। इस वजह से सर्वोच्च न्यायालय ने उसे 15 दिसंबर, 2018 तक का और समय दिया। आरकॉम भुगतान में विफल रही तो एरिक्सन अदालत में चली गई।
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