बख्शी को बकाया चुकाने का अंतिम अवसर | आशिष आर्यन / May 28, 2019 | | | | |
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने आज विक्रम बख्शी को सरकारी कंपनी- आवास एवं विकास निगम (हुडको) के 190 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान करने के लिए अंतिम मौके के रूप में चार सप्ताह का समय दिया। न्यायाधिकरण ने कहा कि ऐसा करने में नाकाम रहने पर उनके मैकडॉनल्ड्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ अदालत के बाहर किए गए सौदे को रद्द माना जाएगा। न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अगुआई वाले दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि हुडको 190 करोड़ रुपये के बकाये का दावा कर रही है और उसमें से कम से कम आधी राशि का बख्शी को भुगतान करना चाहिए। दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि दोनों पक्ष शेष बकाया राशि को लेकर बातचीत कर सकते हैं। बख्शी के वकील अमित सिबल ने एनसीएलएटी को बताया कि बख्शी इस 190 करोड़ रुपये के बकाये में से 66 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुके हैं और अन्य 70 करोड़ रुपये का भुगतान करने को तैयार हैं। सिबल ने न्यायाधिकरण को बताया कि इनके अलावा करीब 300 करोड़ रुपये कीमत की बिना किसी विवाद वाली 4.65 एकड़ जमीन हुडको के कब्जे में है। इस मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी।
अपील न्यायाधिकरण ने 16 मई को कहा था कि अगर हुडको के बकाये का भुगतान नहीं किया गया तो वे बख्शी और मैकडॉनल्ड्स इंडिया के सौदे को मंजूरी नहीं देंगे। उस समय पीठ ने कहा था, 'हम किसी न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द नहीं कर सकते। अगर निपटान कानून के मुताबिक नहीं है तो हम इसे मंजूरी नहीं दे सकते। आपको इसका निपटारा हुडको के साथ करना होगा।' बख्शी और मैकडॉनल्ड्स इंडिया ने 7 मई को एनसीएलएटी को सूचित किया था कि दोनों पक्ष अपने छह साल पुराने विवाद को अदालत के बाहर निपटाने की कोशिश कर रहे हैं। उस समय एनसीएलएटी ने दोनों पक्षों को सुलह की बातचीत को आगे बढ़ाने की मंजूरी दी थी। न्यायाधिकरण ने कहा था कि उसे इस बातचीत की प्रगति के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। इस सुलह की शर्तों के मुताबिक मैकडॉनल्ड्स इंडिया ने सीपीआरएल में बख्शी और उनकी पत्नी की 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी खरीद ली। हालांकि इस सौदे की रकम का खुलासा नहीं किया गया। वर्ष 1995 में बख्शी ने मैकडॉनल्ड्स के साथ भारत में आउटलेट खोलने के लिए करार किया था।
बख्शी और मैकडॉनल्ड्स के बीच करार होने के बाद हुडको एनसीएलएटी गई थी। हुडको ने अपनी याचिका में कहा था कि बख्शी को मिलने वाली रकम पर उनका पहला हक है क्योंकि ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के दिल्ली पीठ में उनके पक्ष में फैसला आया हुआ है। डीआरटी ने बख्शी को सीपीआरएल के करीब 31,000 शेयर हस्तांतरित नहीं करने और शेयरों की कीमत के ब्योरे साझा करने को कहा था।
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