लघु वित्त बैंकों को राहत नहीं! | |
हंसिनी कार्तिक / मुंबई 05 28, 2019 | | | | |
► सूचीबद्धता नियमों में रियायत देने के पक्ष में नहीं भारतीय रिजर्व बैंक
► एनओएचएफसी और बैंक कंपनी को सूचीबद्ध करने पर मूल्यांकन में बदलाव से चिंतित हैं लघु वित्त बैंक
► उज्जीवन और इक्विटास ने किया कंपनियों को सूचीबद्ध
► गवर्नर शक्तिकांत दास नियमों में ढील देने पर सहमत नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लघु वित्त बैंकों को सूचीबद्धता के नियमों में छूट देने से इनकार कर दिया है। नियमों के मुताबिक इन बैंकों को अपना कारोबार शुरू करने के बाद तीन साल के भीतर सूचीबद्ध होना जरूरी है। केंद्रीय बैंक ने साथ ही इन बैंकों के साथ इस सप्ताह होने वाली बैठक भी अगले महीने के लिए टाल दी है। सूत्रों के मुताबिक आरबीआई ने लघु वित्त बैंकों को सूचित किया है कि सूचीबद्धता के नियमों में छूट देना उनकी लाइसेंस की शर्तों में छूट देने के बराबर होगा। एक सूत्र ने कहा, 'आरबीआई ने पहले कभी लाइसेंस की शर्तों में छूट नहीं दी है और इस स्थिति को बनाए रखने के लिए वह लघु वित्त बैंकों के अनुरोध पर विचार नहीं करेगा।'
सूचीबद्धता के नियमों में छूट की मांग के पीछे असली चिंता मूल्यांकन को लेकर है जिस पर बैंक शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होंगे। अगर वे अपनी गैर ऑपरेटिव वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) और बैंकिंग कंपनियों को भी सूचीबद्ध करते हैं तो इसका मतलब यह होगा कि बैंकिंग कारोबार का मूल्य सूचीबद्ध एनओएफएचसी में शामिल नहीं होगा और यह एक अलग सूचीबद्ध कंपनी के पास रहेगा। कुछ मामलों में लघु वित्त बैंकों ने अपने कारोबार में इतनी पूंजी नहीं डाली है कि उन्हें शेयर बाजारों से मूल्यांकन मिल सके।
केंद्रीय बैंक ने पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के कार्यकाल के दौरान सितंबर 2015 में 10 लघु वित्त बैंकों को लाइसेंस जारी किया था। इसमें एयू फाइनैंशियर्स को छोड़कर बाकी आवेदक सूक्ष्म वित्त संस्थान थे। इनमें उज्जीवन और इक्विटास ने अपनी-अपनी एनओएफएचसी को 2016 में सूचीबद्ध करवाया था जबकि एयू फाइनैंशियर्स ने एक साल बाद अपनी बैंकिंग कंपनी को एयू स्मॉल फाइनैंस बैंक के नाम से सूचीबद्ध कराया। लाइसेंस पाने वाले बाकी सात लघु वित्त बैंकों को अभी सूचीबद्ध होना है।
सूचीबद्धता को लेकर मौजूदा चिंता इस बात को लेकर है कि गैर-परिचालित वित्तीय होल्डिंग कंपनी उज्जीवन और इक्विटास की बैंकिंग इकाइयों तक ही सीमित है, जिन्हें चालू वित्त वर्ष के दौरान नियमों का पालन करना है। उज्जीवन को सितंबर 2019 तक जबकि इक्विटास को जनवरी 2020 तक नियमों का अनुपालन करना है।
सूत्रों का कहना है कि लघु वित्त बैंक को उम्मीद थी कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास उनके आग्रह पर पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल की तुलना में ज्यादा सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उज्जीवन लघु वित्त बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी समित घोष ने कहा, 'इस हफ्ते बुलाई गई बैठक जून के लिए टाल दी गई है और लघु वित्त बैंक की सूचीबद्धता की जरूरतें पहले की तरह बनी हुई है।' इक्विटास लघु वित्त बैंक के प्रबंध निदेशक पीएन वासुदेवन ने कहा कि हम लघु वित्त बैंक के सूचीबद्धता नियमों का पालन करेंगे।
लघु वित्त बैंक का कारोबार अभी शुरुआती चरण में है। ऐसे में इक्विटास और उज्जीवन तथा उनकी जैसी अन्य कंपनियों को इसकी चिंता है कि बैंकिंग इकाई को सूचीबद्ध कराने से उन्हें वाजिब मूल्यांकन मिलने और निवेशकों की इसमें दिलचस्पी बने रहने की चिंता है। इक्विटास के मामले में एमएफ आई ऋण पर निर्भरता घटकर 26 फीसदी रह गई जो एक साल पहले करीब 50 फीसदी थी। इसी तरह उज्जीवन के लोन बुक में एमएफआई ऋण की हिस्सेदारी अभी भी करीब 80 फीसदी है जो वित्त वर्ष 2016 में 87 फीसदी थी।
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