भारत की कला व हस्तशिल्प विदेश पहुंचाने की तैयारी | पतंजलि पाहवा / मुंबई May 27, 2019 | | | | |
नैसडैक में सूचीबद्ध ई-कॉमर्स कंपनी एटसी भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है। कंपनी प्राथमिक रूप से कला और हस्तशिल्प का कारोबार करती है। ऑनलाइन क्रॉफ्ट मार्केटप्लेस यहां अपने विक्रेताओं का आधार मजबूत करने पर काम कर रही है। यह ऐसे विक्रेताओं की तलाश कर रही है, जो अपनी कला और हस्तशिल्प को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को बेच सकें। एटसी इंडिया के प्रबंध निदेशक हिमांशु वर्धन ने कहा, 'हम बड़े पैमाने पर छोटे छोटे कारोबारियों को प्रोत्साहन देने की संभावनाएं तलाश रहे हैं, जो अपने खास उत्पादों की पेशकश इटसे कम्युनिटी को कर सकें।' उन्होंने कहा कि कंपनी 'भारत के रचनात्मक उद्यमियों' में संभावनाएं तलाश रही है। ऑनलाइन रिटेलर छोटे और अपने घर से सामान बेचने वाले विक्रेताओं व एक दो लोगों के स्टूडियो जैसे कारोबारियों में संभावनाएं तलाश रही है।
इस काम में यही अवधारणा है। लेकिन छोटे विक्रेताओं के साथ काम करने में मशीन से विनिर्माण के विपरीत कीमतें तय करना होता है, जिसमें आपूर्ति शृंखला की लागत और शिपिंग व प्रॉफिट मार्जिन भी शामिल होता है। अगर नीलामी नहीं होती है तो कला का मूल्य विक्रेता के मुताबिक होता है। इसके अलावा इसमें फर्जीवाड़े की भी समस्या होती है, जिससे भारत की करीब सभी ई कॉमर्स कंपनियों को जूझना पड़ रहा है। वर्धन ने कहा, 'हमारे पास बहुत मजबूत भरोसेमंद और विश्वसनीय टीम है, जो सभी दुकानों की निगरानी करती है। यह टीम केंद्रीकृत है और इसका आधार अमेरिका में है। कोई दुकान खरी या असली है या नहीं, उसकी हर पहलू से जांच की जाती है।'
हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि अगर कोई कलाकार दूसरे की नकल कर रहा है तो इसकी जांच कैसे की जाएगी। खासकर भारत में, जहां परंपरागत कला ऐतिहासिक और मिथकीय कहानियों की कल्पना के आधार पर होती है। इस मामले में एटसी की नीति साफ नहीं है। साथ ही इसने कीमतों को बाजार की मांग पर छोड़ दी है। इसके अलावा एक बड़ी चुनौती शिपिंग को लेकर है। वर्धन ने कहा, 'पहले विक्रेता इंडिया पोस्ट, डीएचएल, फेडएक्स और अन्य के साथ काम करते थे। हम विक्रेताओं के साथ साझेदारों की पेशकश करेंगे, जिनके साथ वे काम कर सकते हैं।'
एटसी की ईबे के साथ तुलना अहम है। ईबे जब पहली बार भारत में आई थी, फर्जी शिपिंग के अलावा विक्रेता शिपिंग में लागत बचाने की कवायद करते थे। इसकी वजह से उपभोक्ताओं को क्षतिग्रस्त उत्पाद मिलता था। एटसी ने इस समस्या का अब तक समाधान नहीं किया था। अगर इसे वापस किया जाता है तो इससे आगे और जटिलता पैदाहोगी क्योंकि यह विक्रेताओं के लिए बहुत ज्यादा खर्चीला सौदा हो जाता है। खासकर ऐसी स्थिति में जब क्षतिग्रस्त माल को विदेश से मंगाना पड़ता है। विक्रेताओं का मजबूत आधार बन जाने के बात इटसे ने भारत केंद्रित परिचालन शुरू करने की योजना बनाई है। कंपनी ने यह ब्योरा नहीं दिया कि यहां कब ऐसी पेशकश की जाएगी। हालांकि वर्धन ने कहा कि भारत अहम बाजार है और भारत की स्थितियों के मुताबिक योजना बनाई जाएगी।
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