नकद लेनदेन पर कर की तैयारी | |
मोदी सरकार काले धन पर रोक और नए कर लगाने के कर सकती है उपाय | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली 05 27, 2019 | | | | |
► नकद लेनदेन को हतोत्साहित करने के लिए लग सकता है बैंकिंग नकद लेनदेन कर
► विरासत में मिली संपत्ति पर भी लग सकता है कर
► 2005 में लगाया गया था बीसीटीटी जिसे 2009 में वापस ले लिया गया था
► वित्त वर्ष को अप्रैल-मार्च के बजाए जनवरी-दिसंबर करने पर भी होगा विचार
नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में काला धन सृजन को काबू में करने के लिए कुछ और सख्त कदम उठा सकती है। सूत्रों के अनुसार नीति निर्माताओं ने प्रणाली में नकद लेनदेन को हतोत्साहित करने के मकसद से बैंकिंग नकद लेनदेन कर (बीसीटीटी) को फिर से लागू करने की संभावनाओं पर बातचीत शुरू कर दी है। इसके अलावा कर अधिकारी विरासत से मिली संपत्तियों पर कर लगाने पर विचार कर रहे हैं। दुनिया के कई देशों में इस तरह के कर लगाए जाते हैं।
एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा, 'नकद लेनदेन पर कर लगाने के संदर्भ में हमें कुछ सुझाव मिले हैं। विभाग इस तरह के कर के प्रभाव और व्यवहार्यता का आकलन कर रहा है। इस तरह के उपाय राजस्व अर्जित करने के लिए नहीं बल्कि काला धन से लेनदेन पर रोक लगाने के लिए हैं। अभी इस पर विचार विमर्श चल रहा है और इनमें से कुछ पर बजट पूर्व परामर्श बैठक में विचार किया जा सकता है। इस पर अंतिम निर्णय नई सरकार के गठन और वित्त मंत्री की नियुक्ति के बाद ही लिया जा सकता है।' सूत्रों ने कहा कि इस कर के तौर-तरीके पहले की तुलना में एकदम अलग हो सकते हैं। नकद लेनदेन पर कर पहली बार 1 जून, 2005 को पी चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान लगाया गया था लेकिन 1 अप्रैल, 2009 को इसे वापस ले लिया गया क्योंकि कहा गया कि काले धन पर रोक के लिए कर विभाग के पास पहले से ही कई उपाय हैं।
उस समय बचत खाते से इतर अन्य खातों से व्यक्तिगत तौर पर 50,000 रुपये और कंपनियों द्वारा 1 लाख रुपये की नकद निकासी पर 0.1 फीसदी कर लगाया गया था। वर्ष 2017 में मुख्यमंत्रियों की समिति ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए बीसीटीटी को फिर से लागू करने का सुझाव दिया था। एक कर विशेषज्ञ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देगी। हालांकि इस तरह के कर का मकसद राजस्व कमाना नहीं बल्कि काले धन के लेनदेन पर रोक लगाना होगा।
इसके साथ ही कर अधिकारी विरासत में मिली संपत्ति पर कर लगाने की संभावना और प्रभाव पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'राजस्व अधिकारियों के साथ इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया गया है। अगर यह कर लगाया जाता है तो विरासत में मिली संपत्ति पर बाजार भाव के हिसाब से कर लगाया जा सकता है। हालांकि संपत्ति की कीमत 5 करोड़ रुपये से कम हो तो यह कर लागू नहीं होगा। 10 करोड़ रुपये तक की कुछ संपत्तियों को भी छूट दी जा सकती है। लेकिन इस प्रारूप पर नई सरकार के साथ सलाह-मशविरा करने की जरूरत होगी।'
वर्तमान में भारत में विरासत से मिली संपत्ति पर कर नहीं लगाया जाता है। करीब तीन दशक पहले इस तरह का कर लागू था लेकिन 1985 में तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह ने इसे खत्म कर दिया था। कई मामलों में विरासत से मिली संपत्ति आय का साधन होती हैं। ऐसे में कर अधिकारी चाहते हैं कि लोग इससे होने वाली आय का खुलासा करें और उसके मुताबिक कर चुकाएं।
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