आईसीईएक्स में काली मिर्च वायदा जल्द | बीएस संवाददाता / मुंबई May 16, 2019 | | | | |
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (आईसीईएक्स) इसी महीने काली मिर्च का वायदा कारोबार शुरू करने की तैयारी में है। श्रीलंका में हुए आतंकी हमले के बाद से कीमतों में अस्थिरता और बाजार में अनिश्चितता का फायदा उठाने की रणनीति के तहत आईसीईएक्स काली मिर्च का वायदा कारोबार जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश कर रहा है। श्रीलंका में आतंकी हमले के बाद से काली मिर्च की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। कीमतों में अचानक तेजी और माल फंसने से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय कारोबारियों को हो रहा है। आईसीईएक्स के मुख्य कार्याधिकारी संजित प्रसाद के मुताबिक काली मिर्च की कीमतों में इस अस्थिरता के मद्देनजर आईसीईएक्स कारोबारियों के हित में जल्द ही काली मिर्च का वायदा शुरू करने जा रहा है। इसी महीने यह वायदा शुरू हो सकता है। एक्सचेंज पर फिलहाल हीरा, इस्पात, रबर और इसबगोल का कारोबार हो रहा है। जल्द ही दूसरी जिंसों में भी कारोबार शुरू होगा। आईसीईएक्स हीरे में वायदा कारोबार करने वाला दुनिया का इकलौता एक्सचेंज हैं। एक्सचेंज के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में काली मिर्च के कुछ व्यापारियों ने अनुबंधों के कारोबार का लॉट और डिलिवरी यूनिट 100 किलोग्राम से बढ़ाकर एक टन करने का सुझाव दिया।
प्रसाद ने कहा कि आईसीईएक्स कोट्टायम, एर्णाकुलम, पाला, कुशलनगर और हासन के सैकड़ों छोटे भारतीय व्यापारियों की मदद से रबर और काली मिर्च की कीमतों को वैश्विक बनाने का प्रयास करेगा। घरेलू एक्सचेंज की कीमतें वैश्विक बेंचमार्क बनेंगी। काली मिर्च के भंडारण के लिए एक्सचेंज ने एर्णाकुलम के कदवंदर में सीडब्ल्यूसी वेयरहाउस रखा है। काली मिर्च की गुणवत्ता और मात्रा बरकरार रखने की कोशिश की जाएगी। एक्सचेंज पर ये अनुबंध मासिक होंगे और इनमें सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9 बजे से शाम5 बजे तक कारोबार किया जा सकेगा। इसकी कारोबार और डिलिवरी इकाई एक टन होगी। 'टिक साइज' 0.05 रुपये और अधिकतम ऑर्डर साइज 50 टन रखा गया है। अनुबंध में आरंभिक मार्जिन चार प्रतिशत रखा गया है।
भारत के कुल काली मिर्च उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत केवल केरल में ही होती है। इसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु, पुदुच्चेरी और अंडमान-निकोबार आते हैं। भारत में काली मिर्च के बाजार कोच्चि, एलेप्पी, कालीकट, नेदुमंगड़, कोनी, अदूर, पाला, अलवे, तोडुपुजा, चालकुडी, बडऩगर, कैनानोर, तलिचेरी, कंजंगड और कासरगोड हैं। भारत में काली मिर्च की 75 से अधिक किस्मों की खेती की जा रही है। करीमुंडा केरल के उत्पादकों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। काली मिर्च के कोच्चि के बड़े कारोबारी नित्यानंदन कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों से काली मिर्च की आपूर्ति घटी है। इसे देखते हुए कीमतें फिर से पिछले साल (375-400 रुपये) के स्तर तक जा सकती हैं। इस साल मौसम में बदलाव की वजह से काली मिर्च के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों में से एक केरल में उपज में कमी आने की आशंका है। पिछले साल का उत्पादन 60,000 से 70,000 टन के आस-पास रहने का अनुमान है लेकिन इस साल यह 50,000 टन से भी कम रहने के आसार हैं जबकि घरेलू खपत लगभग 17,700 टन और निर्यात लगभग 17,000 टन रहने की संभावना है।
श्रीलंका में पिछले दिनों हुए आतंकी हमले के बाद भारत में काली मिर्च की कीमतों में उछाल आई है। घरेलू बाजार में काली मिर्च के दाम 350 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर पहुंच गए हैं। इनमें और तेजी आ सकती है। इससे पहले इस साल मार्च में काली मिर्च की नई फसल की आवक बढऩे और श्रीलंका के रास्ते वियतनाम की काली मिर्च की आपूर्ति बढऩे से देश में काली मिर्च की कीमतों में भारी गिरावट आई थी। पिछले महीने भारत में काली मिर्च की कीमतें करीब 20 फीसदी फिसलकर 300-325 रुपये प्रति किलो रह गई थीं।
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