मैं प्रवासी भारतीय हूं और पिछले पांच सालों से म्युचुअल फंडों में लगातार निवेश कर रहा हूं। मैं अपने पोर्टफोलियो में एनर्जी सेक्टर (21 फीसदी)में हुए ज्यादा एलोकेशन को लेकर चिंतित हूं। मैं इसे बदल भी नहीं पा रहा हूं। मेरे पोर्टफोलियो में डेट में एक्सपोजर काफी कम दिखाई पड़ता है। चूंकि मैं लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहता हूं मैं डेट में शिफ्ट करने से पहले इक्विटी बाजार के सुधरने का इंतजार कर सकता हूं। म्युचुअल फंडों में निवेश ही भविष्य में मेरी कमाई का स्त्रोत रहेगा। कृपया बदलाव सुझाएं। - संजीव सूरी आप एक एग्रेसिव निवेशक हैं। यह आपके काफी ज्यादा इक्विटी एक्सपोजर से ही नहीं झलकता बल्कि आपके तरीके से भी लगता है। आपने एचडीएफसी इक्विटी से स्विच करके एचडीएफसी टॉप 200 में निवेश किया है। इसके अलावा रिलायंस ग्रोथ से स्विच करके रिलायंस डाइवर्सिफाइड पावर सेक्टर में लगाया है। आपने फिर रिलायंस डाइवर्सिफाइड पावर सेक्टर और रिलायंस ग्रोथ से रिडीम करके रिलायंस रेगुलर सेविंग्स इक्विटी में निवेश किया। सुंदरम सेलेक्ट फोकस में निवेश सुंदरम केपेक्स से स्विच करके किया गया। हालांकि स्विच करने के वक्त आप उन स्कीमों के प्रदर्शन से काफी प्रभावित रहे होंगे लेकिन लंबे समय में इससे फायदा नहीं होने वाला। आपको कुछ अच्छे फंड चुनने होंगे और उनके साथ रहना होगा। आपको तब फंड बदलना चाहिए जब उसका प्रदर्शन लगातार खराब बना रहे। कोर फंडों का फोकस निवेश की रणनीति आपकी कोर होल्डिंग पर फोकस होनी चाहिए। कोर होल्डिंग में वेनीला डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड होने चाहिए जिनका ट्रैक रिकार्ड अच्छा रहा हो। हो सकते तो वो लार्ज कैप वाले फंड होने चाहिए। इसके बाद के सपोर्टिंग फंड थीमेटिक, सेक्टर या मिडकैप फंड होने चाहिए। चूंकि यह फंड ज्यादा वोलाटाइल होते हैं और उनका प्रदर्शन भी खास सेक्टर या थीम पर निर्भर होता है, लिहाजा ऐसे फंडों में जोखिम भी ज्यादा होता है। आपके पोर्टफोलियो में जो टॉप के फंड हैं वो हैं मैगनम कॉन्ट्रा (15.83 फीसदी), एचडीएफसी टॉप 200 (14.65 फीसदी), रिलायंस ग्रोथ (13.31 फीसदी)और रिलायंस डाइवर्सिफाइड पावर सेक्टर फंड (12.81 फीसदी)। मैगनम कॉन्ट्रा और एचडीएफसी टॉप 200 आपकी कोर होल्डिंग हो सकती है लेकिन बाकी के दोनों नहीं। रिलायंस ग्रोथ मिडकैप फंड है और रिलायंस डाइवर्सिफाइड पावर सेक्टर फंड एक थीमेटिक फंड है। डेट की भी भूमिका है आपके पोर्टफोलियो में डेट का एलोकेशन बहुत कम है (4 फीसदी)। क्या आपने दूसरे फिक्स्ड रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया होता तो बात और होती। लेकिन सच यही है कि आपका दूसरा कोई डेट एक्सपोजर नहीं है। हमारी राय है 80 फीसदी के इक्विटी एक्सपोजर को बैलेंस करने के लिए 20 फीसदी का डेट एक्सपोजर होना चाहिए। लेकिन इस एक्सपोजर को बनाए रखने के लिए आपको हर साल अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करना होगा। आपकी रणनीति इस बैलेंस को सही रखना होना चाहिए। अगर आपको लगे कि आपका इक्विटी एक्पोजर बढ़ गया है तो डेट एक्सपोजर को बढ़ाए या फिर कुछ इक्विटी बेचें। जैसे जैसे आप आपने लक्ष्य की ओर बढ़ें धीरे धीरे अपना इक्विटी एक्सपोजर कम करना शुरू कर दें और डेट में ज्यादा निवेश करें। दूसरे शब्दों में आपका असेट एलोकेशन साल दर साल डेट की ओर ज्यादा झुकता जाएगा। सिस्टमैटिक रहें लंबी अवधि के निवेशक के लिए बहुत अहम है कि वह निवेश की सिस्टमैटिक एप्रोच रखे। इससे एक अनुशासन ही नहीं रहता बल्कि इसके नतीजे भी बेहतर होते हैं क्योकि निवेश बाजार के निचले और ऊंचे दोनों ही स्तरों पर हो रहा होता है। मिसाल के लिए अगर आप हर महीने नियम से दस हजार रुपए अगले 16 साल तक निवेश करते हैं तो आपके पास कुल 46 लाख रुपए होंगे (दस फीसदी के अनुमानित सालाना रिटर्न के साथ)। निवेश बनाए रखें आप किसी एक सेक्टर में ज्यादा एलोकेशन को लेकर चिंतित हैं लेकिन अगर आप कुछ कोर होल्डिंग और कुछ सपोर्टिंग फंड तय कर लें तो आप स्वत: ही अपना लक्ष्य पा सकेंगे। आखिर आप अलग अलग फंड हाउस में अपना फंड रखेंगे। लक्ष्य कैसे पाएं आपके निवेश का लक्ष्य आपके बच्चे की पढ़ाई और आपके रिटायरमेंट के लिए पैसा इकट्ठा करना है। चूंकि यह दोनों अलग अलग लक्ष्य हैं हम सलाह देंगे कि आप अपना पोर्टफोलियो दो हिस्सों में बांट लें। इसमें डेट और इक्विटी का हिस्सा निवेश की अवधि के मुताबिक होना चाहिए। बच्चे की पढ़ाई एसआईपी- 20,000 रु. भविष्य में वैल्यू- 9.18 लाख रु. फंड का सुझाव- एसआईपी कोटक 30- 10,000 रु. फ्रैंकलिन इंडिया प्राइमा प्लस- 10,000 रु. पहला और छोटा वाला कॉर्पस बच्चे की पढ़ाई के लिए होगा जिसकी जरूरत 15 साल बाद आनी है। इसके लिए अगर आप हर महीने दस हजार रुपए बचाते हैं जो आप इस अवधि में 45 लाख रुपए जोड़ लेंगे। जरूरत (रकम की) पता हो तो तय कर लें कि आप अपने लक्ष्य के लिए कितना बचाना चाहेंगे। इसके लिए आप यह दो इक्विटी फंड चुन सकते हैं।
