दूसरी तिमाही तक पीसीए से निकलेगा यूनाइटेड बैंक | नम्रता आचार्य / कोलकाता May 14, 2019 | | | | |
लगातार सात तिमाहियों तक नुकसान झेलने के बाद सुधार दर्ज करने वाले यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) को मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक आरबीआई की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) श्रेणी से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है। बैंक ने वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही में 95.18 करोड़ रुपये का शुद्घ लाभ दर्ज किया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में उसे 261 करोड़ रुपये के शुद्घ नुकसान से जूझना पड़ा था। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में बैंक ने लगभग 1139 करोड़ रुपये का शुद्घ नुकसान दर्ज किया था।
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अशोक कुमार प्रधान ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'बैंकिंग सेक्टर के लिए बुरा समय बीत चुका है। हम इस वित्त वर्ष के अंत तक सकल एनपीए को घटाकर 8-9 प्रतिशत और शुद्घ एनपीए को 3-4 प्रतिशत पर लाने में सक्षम हो सकते हैं।' पीसीए से बाहर होने के बारे में समय-सीमा पूछे जाने पर प्रधान ने कहा, 'हम इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक पीसीए से बाहर आने में सक्षम हो सकते हैं।' पिछली तिमाही में कुल उधारी के प्रतिशत के तौर पर बैंक की सकल एनपीए 16.48 प्रतिशत पर दर्ज की गईं, जो पूर्ववर्ती वित्त वर्ष की समान अवधि के 24.10 प्रतिशत के मुकाबले काफी कम है। पिछली तिमाही में शुद्घ एनपीए का प्रतिशत 8.67 पर रहा जो पूर्ववर्ती वित्त वर्ष की समान अवधि में 16.49 प्रतिशत था।
बैंक की स्थिति में आए सुधार के पीछे मुख्य रणनीतियों में से एक पिछले वित्त वर्ष में शानदारी रिकवरी रही। बैंक ने बट्टे खातों के मामले में परिसंपत्तियों की बिक्री की, और अन्य मामलों में एकमुश्त निपटान किया। इस तरह से, उसे पिछले वित्त वर्ष लगभग 6,000 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिली। बैंक को मौजूदा समय में सरकारी शेयरधारिता 96.83 प्रतिशत से घटाकर अगस्त 2020 तक 75 प्रतिशत करने की चुनौती से जूझना पड़ रहा है। प्रधान ने कहा कि बैंक ने सरकार से अपनी हिस्सेदारी घटाने का अनुरोध किया है। साथ ही बैंक इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही तक पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये लगभग 700-800 करोड़ रुपये जुआने की योजना बना रहा है। इसके अलावा ईएसपीएस के जरिये भी लगभग 100-150 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है।
एनबीएफसी क्षेत्र में जोखिम बरकरार
भले ही बैंकिंग क्षेत्र इस साल सुधार की राह पर आगे बढ़ता दिख रहा है, लेकिन एनबीएफसी क्षेत्र में समस्याएं थमने के आसार नहीं दिख रहे हैं। प्रधान ने कहा, 'हमें एनबीएफसी पर नजर बनाए रखने की जरूरत होगी और बैंकों को इस क्षेत्र के लिए उधारी को लेकर सतर्क रहना होगा। नई एनबीएफसी को परिसंपत्ति और देनदारियों में असंतुलन की वजह से दबाव से जूझना पड़ सकता है और कुछ पर इसका प्रभाव दिखने लगा है।'
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