पेटीएम, फ्रीचार्ज, मोबीक्विक समेत विभिन्न मोबाइल वॉलेट कंपनियों के साथ साथ गूगल पे जैसे पेमेंट प्लेटफॉर्म और सरकार के भीम यूपीआई तथा बहुप्रतीक्षित जियो ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लेनदेन को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए सरकार सभी दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर क्यूआर कोड्स को अनिवार्य बनाए जाने पर विचार कर रही है। यदि इस योजना को अंतिम रूप दिया जाता है तो डिजिटल भुगतान छोटी से लेकर बड़ी रिटेल चेन समेत सभी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों का अभिन्न हिस्सा बन जाएगा। सूत्रों के अनुसार, जहां इस संबंध में रूपरेखा तैयार कर ली गई है, लेकिन इस संबंध में काफी कार्य तभी शुरू होगा जब चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद नई सरकार बनेगी। मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, दुकानदारों को सरकार के यूपीआई समेत विभिन्न भुगतान प्लेटफॉर्मों के कम से कम दो या इससे अधिक क्यूआर कोड डालने होंगे। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'भीम यूपीआई के उपयोगकर्ता काफी अधिक हैं और कई लोग भुगतान के माध्यम के तौर पर पहले से ही इसे पसंद कर रहे हैं। हमें भरोसा है कि बड़ी तादाद में दुकानदार यूपीआई का क्यूआर कोड इस्तेमाल करेंगे।' आरबीआई के ताजा आंकड़े के अनुसार इस साल मार्च में लगभग 16,000 करोड़ रुपये के डिजिटल लेनदेन हुए। सरकार को उम्मीद है कि नई पहल की मदद से भविष्य में इस संख्या को बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि इससे संबंधित किसी तरह का क्रियान्वयन नई सरकार के गठन के बाद ही संभव होगा, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इस पहल पर अभी और विचार-विमर्श की जरूरत हो सकती है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवद्र्घन विभाग (डीपीआईआईटी) के एक अधिकारी ने कहा, 'जहां हम देशव्यापी तौर पर डिजिटल कवरेज में शानदार वृद्घि की संभावना तलाश रहे हैं, वहीं व्यापार में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति ने इस प्रस्ताव के संबंध में समस्याओं की ओर भी इशारा किया है।' उन्होंने कहा कि इसके अलावा, मौजूदा समय में इस सवाल का कोई पक्का हल नहीं है कि अनिवार्य नीति को किस तरह से लागू किया जाएगा। विभाग को हाल में देश में रिटेल व्यापार बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है, और अधिकारियों ने संकेत दिया है कि इस मामले पर और अधिक वार्ताएं उद्योग प्रतिनिधियों के साथ 23 मई के बाद शुरू होंगी। दूसरी तरफ, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने जीएसटी परिषद के अन्य प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है जो 18 महीने से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था। प्रस्तावित ई-वॉलेट व्यवस्था से निर्यातकों को जीएसटी का भुगतान करने में मदद मिलेगी। शुरू में अक्टूबर 2017 में घोषित इस पहल का वित्त मंत्रालय ने कई बार विरोध किया था। हालांकि निर्यातकों से व्यापक समर्थन लगातार मिला है, क्योंकि उनका दावा है कि इससे छोटे व्यवसायियों को नकदी संकट से मुकाबला करने में मदद मिलेगी।
