इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएलऐंडएफएस) समूह की फर्मों द्वारा भुगतान में चूक करने से म्युचुअल फंड (एमएफ) और बीमा कंपनियों के पीड़ित होने के बाद अब इसका असर भारतीय उद्योग जगत पर पड़ सकता है। करीब 2,000 कंपनियों के अपने निजी भविष्य निधि और पेंशन फंड का निवेश आईएलऐंडएफएस समूह की फर्मों के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर में किया है और अब इस पर ब्याज आय जोड़ने पर उन्हें करीब 9,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक का नुकसान होने का अंदेशा है। इतना ही नहीं, कर्मचारी भविष्य निधि योजना (ईपीएफएस), 1952 के दिशानिर्देशों के अनुसार इन कंपनियों को इस घाटे का वहन करना होगा।
इनमें इन्फोसिस, टाटा पावर, ल्यूपिन जैसी दिग्गज कंपनियां शुमार हैं। इसके साथ ही इस सूची में भारतीय खाद्य निगम, भारतीय स्टेट बैंक, भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल जैसी कई सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं। ऐसा नहीं है कि केवल निजी क्षेत्र के भविष्य निधि फंडों को ही इस संकट का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्टों में कहा गया है वित्त मंत्रालय ने हाल ही में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से भी आईएलऐंडएफएस तथा इस तरह की जोखिम वाली फर्मों में निवेश की जानकारी मांगी है क्योंकि इसकी वजह से इस साल के लिए घोषित ब्याज दर का भुगतान करने में ईपीएफओ को मुश्किल हो सकती है।
मर्सर में इंडिया बिजनेस लीडर-सेवानिवृत्ति अनिल लोबो ने कहा, 'सरकार निजी भविष्य निधि और पेंशन योजनाओं को कुछ शर्तों के साथ छूट देती है। इनमें से एक है ब्याज दर का भुगतान ईपीएफओ द्वारा घोषित दर से अधिक नहीं होने की स्थिति में कम से कम समान होना चाहिए।'
लोबो के अनुसार अगर निवेश से होने वाली आय में किसी तरह की कमी आती है या खराब निवेश पर घाटा होता है या ब्याज नहीं मिलने से घाटा होता है तो नियोक्ता को उक्त घाटे का वहन करना होता है। उन्होंने कहा, 'नियोक्ता की यह वैधानिक जिम्मेदारी होती है क्योंकि उन्होंने कर्मचारियों के साथ इस बारे में लिखित में वादा किया होता है।'
ईपीएफएस के अध्याय-6 की धारा 27एए (परिस्थिति 6) में स्पष्ट तौर पर कहा गया है, 'नियोक्ता को पीएफ के सभी प्रशासनिक खर्चों का वहन करना होगा और किसी भी वजह से भविष्य निधि को होने वाले नुकसान का वहन करना होगा।' इसी तरह परिस्थिति 7 और 28 में ब्याज आय में नुकसान और न्यास को होने वाले नुकसान की भरपाई का उल्लेख किया गया है। आईएलऐंडएफएस, आईएलऐंडएफएस फाइनैंशियल सर्विसेज (आईफिन), आईएलऐंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवक्र्स (आईटीएनएल) और हजारीबाग रांची एक्सप्रेसवे में इन फंडों का निवेश किया गया है।
इनमें से आईएलऐंडएफएस, आईफिन और आईटीएनएल 'रेड' श्रेणी में हैं, जिसका मतलब है कि इन कंपनियों के पास नकदी नहीं है। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि कंपनियां निजी पीएफ/न्यास इसलिए चलाती हैं क्योंकि यह उनके लिए निवेश का एक अच्छा साधन होता है। एक बीमा फर्म के प्रमुख ने कहा, 'कंपनियां आमतौर पर ईपीएफओ से थोड़ा अधिक ब्याज दर का भुगतान करती हैं, वहीं अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न हासिल करती हैं। बड़े स्तर पर चूक के मामले दुर्लभ होते हैं।'
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