रिटेल भुगतान क्षेत्र की वृद्घि में मददगार साबित हो रही एनपीसीआई | निकहत हेटावकर / मुंबई May 10, 2019 | | | | |
नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) देश में यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और इमिडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) जैसी अपनी पेशकशों के साथ देश में रिटेल भुगतान को बढ़ावा दे रही है। जहां केंद्रीय बैंक मूल्य के संदर्भ में भुगतान की सर्वाधिक भागीदारी का प्रबंधन करता है , वहीं एनपीसीआई बड़ी तादाद में भुगतान में मदद करती है और इसमें लगातार तेजी आ रही है। एनपीसीआई के आंकड़े के अनुसार यूपीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान मात्रा में 349 प्रतिशत और मूल्य में 452 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की और इसके साथ ही मार्च 2019 में कुल मात्रा बढ़कर लगभग 80 करोड़ और वैल्यू 1.3 लाख करोड़ से अधिक हो गई।
आरबीआई द्वारा जारी ताजा आंकड़े के अनुसार वॉलेटों ने पूर्ववर्ती वर्ष के मुकाबले मार्च 2019 में मात्रा में 43 प्रतिशत और वैल्यू में 58 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की। एटीएम लेनदेन को छोड़कर, कार्ड के जरिये भुगतान में वर्ष के दौरान मात्रा और वैल्यू दोनों के संदर्भ में 28 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की गई। जहां एनपीसीआई केंद्रित आईएमपीएस ने वित्त वर्ष 2019 के दौरान वैल्यू और मात्रा दोनों में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की, वहीं आरबीआई संचालित एनईएफटी ने मार्च 2019 में एक साल पहले की तुलना में मात्रा में 14 और वैल्यू में 13 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की। केंद्रीय बैंक द्वारा संचालित रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) ने समान अवधि के दौरान मात्रा में 8 प्रतिशत और वैल्यू में 20 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की।
हालांकि संपूर्ण आंकड़ों में, एनपीसीआई की पेशकशों को आरबीआई द्वारा प्रबंधित भुगतान पेशकशों के अनुरूप प्रदर्शन करने के लिए लंबा रास्ता तय करना बाकी है। एनईएफटी और आरटीजीएस की मासिक मात्रा आईएमपीएस और यूपीआई की तुलना में 20-100 गुना अधिक है। आरबीआई ने जनवरी में एक नीति पत्र जारी किया था जिसमें संकेत दिया गया था कि फिलहाल और अधिक रिटेल पेमेंट सिस्टम ऑपरेटरों की जरूरत है, क्योंकि एनपीसीआई मौजूदा समय में ज्यादातर रिटेल भुगतान के लिए एकमात्र संगठन है। इसका मकसद भुगतान उद्योग में संकेद्रण जोखिम को दूर करना था। नीति पत्र में कहा गया है कि जहां आरबीआई संचालित एनईएफटी का वित्त वर्ष 2017-18 में लेनदेन की वैल्यू में 60 प्रतिशत का योगदान था, वहीं एनपीसीआई ने अक्टूबर 2018 में कुल खुदरा भुगतान के लगभग 50 प्रतिशत को प्रसंस्कृत किया था।
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