► होल्डिंग कंपनी का विनियमन और निगरानी कौन करेगा
► होल्डिंग कंपनी का स्वामित्व
► होल्डिंग कंपनी के अंतर्गत किस तरह की गतिविधियों की होगी अनुमति
► होल्डिंग कंपनी, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के बीच क्रॉस होल्डिंग की सीमा
► होल्डिंग कंपनी के लिए पूंजी पर्याप्तता के नियम
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने होल्डिंग कंपनी मॉडल पर बैंकों के साथ औपचारिक चर्चा शुरू कर दी है। आरबीआई के इस कदम से बैंकिंग समूहों में स्पष्टï इक्विटी होल्डिंग ढांचे को बढ़ावा मिलेगा। पहले चरण की बातचीत में बैंकों ने होल्डिंग कंपनी के ढांचे को अपनाने की इच्छा जताई है लेकिन इसके अनुपालन के लिए दो साल की मोहलत दिए जाने की मांग की है। एक सूत्र ने कहा कि केंद्रीय बैंक सितंबर 2019 तक होल्डिंग कंपनी के मॉडल पर दिशानिर्देश जारी कर सकता है और उम्मीद है कि इसका मसौदा पहले ही सार्वजनिक किया जा सकता है।
होल्डिंग कंपनी के ढांचे के साथ ही आरबीआई होल्डिंग कंपनी की सूचीबद्घता पर दिशानिर्देश लेकर आ सकता है। माना जा रहा है कि आरबीआई होल्डिंग कंपनी के अंतर्गत मुख्य बैंकिंग सहायकक इकाई का ढांचा भी ला सकता है, जिसमें विशुद्घ रूप से समूह की बैंकिंग से संबंधित इकाइयां होंगी। इस कंपनी को परिचालन उद्देश्य से आरबीआई को रिपोर्ट करना होगा, जिससे नियामकीय और निगरानी तंत्र के दोहराव को भी कम करने में मदद मिलेगी। नई व्यवस्था के तहत होल्डिंग कंपनी में आने वाली बैंकों की सहायक इकाइयों अपनी शेयरधारिता का भी खुलासा करना होगा। होल्डिंग कंपनी अपनी सहायक इकाइयों के जुडऩे की शर्तें भी निर्धारित करेगी। इससे बैंक को सहायक इकाइयों के नुकसान से होने वाले सीधे प्रभाव से बचने में भी सहूलियत होगी। बैंक बोर्डों को भी सहायक इकाइयों का प्रबंधन करने की चिंता करने की जरूरत नहीं होगी।
मई 2011 में आरबीआई की तत्कालीन डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथन की अध्यक्षता वाले कार्यकारी समूह ने वित्तीय समूहों के लिए होल्डिंग कंपनी मॉडल का सुझाव दिया था। लीमन संकट के बाद यह प्रस्ताव लाया गया था और सहायक इकाइयों में होने वाले नुकसान से बैंकों को बचाने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा की बात कही गई थी। हालांकि इस प्रक्रिया में शुरुआती अनुपालन लागत ज्यादा हो सकती है, खास तौर पर आयकर, स्टांप शुल्क और अन्य अप्रत्यक्ष कर के मामले में।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-प्रमुख संपत्तियों की बिक्री सहित कुछ महत्त्वपूर्ण सौदे अटके हुए हैं क्योंकि केंद्रीय बैंक होल्डिंग कंपनी मॉडल पर बैंकों और उनकी सहायक इकाइयों के बारे में राय ले रहा है। आईडीबीआई फेडरल लाइफ इंश्योरेंस में आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी की बिक्री, फेडरल बैंक द्वारा चेन्नई की एक माइक्रोफाइनैंस कंपनी मुंदड़ा माइक्रोफाइनैंस का अधिग्रहण और मैक्स लाइफ इंश्योरेंस में ऐक्सिस बैंक द्वारा संभावित हिस्सेदारी की खरीद का मामला अभी लंबित है। ऐक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ चौधरी ने हाल ही में कहा था कि नियामक की मदद मिले तो बैंक इस सौदे (मैक्स लाइफ) पर आगे बढ़ सकता है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था, 'आरबीआई ने स्पष्टï किया है कि वह बीमा कंपनियों में बैंकों के पास बड़ी हिस्सेदारी के पक्ष में नहीं है।'
हालांकि कुछ का मानना है कि होल्डिंग कंपनी के प्रस्ताव से बैंकों के शेयरधारकों के मूल्यों में गिरावट आ सकती है। एक सलाहकार ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'बैंकों ने पूंजी और ग्राहक आधार के लिहाज से सहायक इकाइयों पर भारी निवेश किया है। और अब जबकि सहायक इकाइयों में बदलाव होने जा रहा है तो बैंकों को संभावित मूल्य का लाभ देने से इनकार नहीं किया जाना चाहिए।'