मुकदमे 'बिना शर्त' वापस लेने की मांग करते हुए गुजरात में मुकदमा झेलने वाले आलू किसानों ने आज कहा कि उन्होंने मुकदमे के कारण हुए उत्पीडऩ पर पेप्सिको इंडिया होल्डिंग्स लिमिटेड (पीआईएच) से मुआवजे की मांग की है। पेप्सिको ने जिन किसानों के खिलाफ मुकदमा किया है उनमें से तीन किसानों ने किसान संघ के नेताओं और किसान अधिकार कार्यकर्ताओं के साथ आज एक प्रेस वार्ता में कहा कि बीजों की आजादी भारतीय किसानों तक नहीं पहुंच पाई है। आरएसएस से संबद्ध भारतीय किसान संघ (बीकेएस) सहित अन्य किसान संगठनों और कार्यकर्ताओं के समर्थन से आलू किसानों ने न केवल मुआवजे की ही मांग की है बल्कि इस खाद्य दिग्गज के उत्पादों का बहिष्कार करने का भी आह्वान किया। विपिन पटेल ने कहा कि पेप्सिको को बिना शर्त मुकदमे वापस लेने चाहिए। कंपनी को हमें सारे उत्पीडऩ के लिए मुआवजा भी देना होगा जो हमने झेला जबकि इस संबंध में कानून स्पष्टï है। पटेल उन चार आलू उत्पादकों में से एक हैं जिनके खिलाफ पेप्सिको ने मुकदमा दायर किया था।
मुकदमा झेलने वाले आलू किसानों ने कहा कि हम राज्य सरकार से चाहेंगे कि वह कंपनी के साथ चल रही बातचीत के पूरे विवरण का खुलासा करे क्योंकि हम पीपीवी और एफआर अधिनियम 2001 की धारा 39 (1) चतुर्थ की पुनरावृत्ति के आधार पर बिना किसी शर्त मुकदमा वापस लेने की मांग कर रहे हैं और इसके अलावा हमें कुछ भी मंजूर नहीं है। इससे पहले पेप्सिको ने गुरुवार को कहा था कि वह सरकार के साथ चर्चा करने के बाद गुजरात में आलू किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए सहमत हो गई है। पेप्सिको द्वारा पंजीकृत एफएल2027 किस्म के बीजों की खरीद और आलू बिक्री के आरोप में कंपनी ने गुजरात में नौ आलू किसानों के खिलाफ मुकदमा किया था जिनमें से पांच के खिलाफ पिछले साल और चार के खिलाफ इस साल मुकदमा किया गया था। आलू की इस किस्म का उपयोग पेप्सीको द्वारा 'लेज' चिप्स बनाने के लिए किया जाता है। पेप्सिको इंडिया के प्रवक्ता ने कहा था कि सरकार के साथ चर्चा के बाद कंपनी किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने के लिए सहमत हो गई है। हमें बीज संरक्षण से जुड़े सभी मसलों के दीर्घकालिक और मैत्रीपूर्ण समाधान खोजने वाली इस चर्चा पर भरोसा है। कंपनी उन हजारों किसानों के लिए गहराई से प्रतिबद्ध है जिनके साथ हम देश भर मेंकाम करते हैं और सर्वोत्तम कृषि पद्धति अपनाने का भरोसा देते हैं।
मुकदमा झेल रहे इन आलू किसानों ने देश भर के किसानों के बीच पौधों की किस्मों के संबंध में कानून के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अदालत की कार्यवाही के साथ-साथ कंपनी जिस नुकसान राशि का दावा कर रही है उससे हमें सदमा लगा है। यह स्पष्ट रूप से हमें डराने और परेशान करने की कोशिश थी। इसका असली उद्देश्य शायद बाजार से प्रतिस्पर्धियों का सफाया करना रहा हो लेकिन कंपनी ने किसानों को परेशान करना पसंद किया। कंपनी को हमारे द्वारा झेले गए सभी उत्पीडऩ के लिए हमें मुआवजा देना होगा। दूसरी ओर भारतीय किसान संघ के मगनभाई पटेल ने कहा कि यह बात देखते हुए कि पीपीवी और एफआर अधिनियम 2001 स्पष्ट तौर पर किसानों के पक्ष में है, किसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी को तुरंत रोकना संभव है। आलू उत्पादकों और किसान कार्यकर्ताओं ने पेप्सिको पर दबाव डालने के लिए सरकार से मुआवजे की उनकी मांगों पर सहमति के लिए समर्थन भी मांगा है। आज किसानों और कार्यकर्ताओं ने एक नई संस्था - बीज अधिकार मंच के गठन की भी घोषणा की।
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