एनबीएफसी: कोष उगाही की राह नहीं आसान | अनूप रॉय और हंसिनी कार्तिक / मुंबई May 02, 2019 | | | | |
रिलायंस कैपिटल की रेटिंग में कमी से निजी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई हैं। एनबीएफसी क्षेत्र ने पिछले साल आईएलऐंडएफएस के दिवालिया संकट के बाद पैदा हुई नकदी किल्लत से हाल में उबरना शुरू किया है। कोष की लागत बढऩे से पिछले एक साल में कई बड़ी एनबीएफसी के शेयरों में भारी गिरावट आई है। भारत में कॉरपोरेट ऋण बाजार में लगभग 70 प्रतिशत का योगदान रखने वाली एनबीएफसी को अब बाजार में अवसरों का लाभ उठाने की राह में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि भले ही एनबीएफसी इन चुनौतियों का सामना करने में सफल रहें, लेकिन उन्हें अपनी विकास योजनाओं में कमी लाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। ऐसे समय में जब बैंक भी उधारी में कमी ला रहे हैं, एनबीएफसी कोष के लिए वैश्विक बाजारों का इस्तेमाल करने की संभावना तलाशने लगी हैं। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उनके लिए सस्ती हेजिंग लागत के जरिये उधारी लागत में कमी लाना आसान बना दिया है। फिर भी, बेहतर रेटिंग वाली एनबीएफसी को पूंजी जुटाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। श्रेष्ठ रेटिंग वाली गैर-वित्तीय कंपनियों को एएए कॉरपोरेट बॉन्डों से 40-50 आधार अंक ज्यादा रकम खर्च करने की जरूरत होगी। हालांकि यह अंतर बहुत ज्यादा नहीं हो सकता है, लेकिन जब आप यह विचार करें कि एएए रेटिंग के कॉरपोरेट बॉन्ड सरकारी बॉन्डों से लगभग 100-110 आधार अंक ज्यादा भुगतान कर रहे हैं तो एनबीएफसी पर वास्तविक असर स्पष्ट दिखेगा।
इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित आवास वित्त कंपनियां हैं। पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस के शेयर में एक साल में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आई है और मंगलवार को केयर रेटिंग्स द्वारा इसकी निगरानी की गई, क्योंकि कंपनी में कॉरपोरेट ऋण का दायरा ऐसे समय में बढ़ गया जब रियल एस्टेट को कमजोरी का सामना करना पड़ रहा है। प्रमुख एनबीएफसी में, पीएनबी हाउसिंग के बहीखाते में कम अवधि वाले बॉन्ड शामिल रहे हैं, पर वह वाणिज्यिक पत्रों और बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) बाजारों में अधिक सक्रिय है।
पीएनबी हाउसिंग इस तरह की अव्यवस्था में अकेली नहीं है। अन्य आवास वित्त कंपनियों को भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। क्रेडिट सुइस के अनुसार, आरबीआई द्वारा रिकॉर्ड मात्रा में पूंजी डालने से कुल नकदी स्थिति आसान होने और और रीपो दर कटौती से प्रतिफल में सुधार आने के बावजूद घरेलू थोक बिक्री डेट बाजार एनबीएफसी में अलग बने हुए हैं। क्रेडिट सुइस का कहना है कि ब्रोकरेज द्वारा 17 बड़े एनबीएफसी और एचएफसी समूहों का विश्लेषण किया गया, फरवरी और मार्च में बॉन्ड निर्गमों की तादाद बढ़ी, लेकिन सबसे बड़ी मॉर्गेजर एचडीएफसी लिमिटेड और एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस का इन दो महीनों में कुल बॉन्ड निर्गमों में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान रहा।
एसएमसी ग्लोबल के सिद्घार्थ पुरोहित का कहना है, 'पीएनबी हाउसिंग की परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर संदेह गहराने से पूरे क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ा। अब तक उद्योग परिसंपत्ति गुणवत्ता दबाव के लिहाज से मजबूत बना हुआ है, लेकिन एनबीएफसी, खासकर उन कंपनियों के संदर्भ में जोखिम बरकरार है जिनका संपत्ति और वाणिज्यिक वाहनों के ऋण में बड़ा निवेश है।' बाजार में एएए रेटिंग वाली कंपनियों के लिए भी समस्या बनी हुई है। सुंदरम फाइनैंस ने 26 अप्रैल को दो वर्षीय बॉन्ड में 8.41 प्रतिशत पर 500 करोड़ रुपये जुटाए। दो वर्षीय सरकारी बॉन्ड के लिए प्रतिफल फिलहाल 6.72 प्रतिशत पर है। इसका मतलब है कि इनके बीच अंतर 165 आधार अंक का था। सामान्य समय में, यह अंतर सरकारी प्रतिभूतियों को लेकर 100 आधार अंक से ज्यादा नहीं रहता है। एक विश्लेषक ने कहा, 'मौजूदा समय में बाजार में पूंजी है, लेकिन निवेशक अब निजी कंपनियों के मुकाबले पीएसयू कंपनियों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।'
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